Dasara Box Office Collection: न दसरा “कान्तारा” है और न भोला “रनवे 34”

मेरी जरूरतें कम है, इसलिए बाजुओं में दम है!

Dasara Box Office Collection: अंग्रेज़ी में एक कहावत है, “It is not over until its over”, अर्थात जब तक किसी कार्य का अंत न हो जाए, तब तक कोई भी परिणाम निकालना अनुचित और हास्यास्पद होगा। जब दसरा का प्रारम्भिक कलेक्शन चर्चा का केंद्र बना था, तो यहाँ तक खबर बनाई जा रही थी कि यह “पुष्पा” के रिकॉर्ड्स की बराबरी करेगी। परंतु इसका लाइफटाइम कलेक्शन “पुष्पा” का आधा भी छूने के करीब नहीं दिख रहा, जबकि उसी दिन प्रदर्शित होने वाला “भोला” अभी भी अपने स्थान पर विद्यमान है।

इस लेख में मिलिये पढिये कि कैसे दसरा (Dasara Box Office Collection) कान्तारा जैसी क्लासिक नहीं है, और कैसे अजय देवगन की भोला का हाल “रनवे 34” जैसा बिल्कुल नहीं होने वाला।

Dasara Box Office Collection Matters….

हाल ही में 30 मार्च को अजय देवगन की “भोला” सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। ये तमिल क्लासिक “कैथी” पर आधारित थी, परंतु उसकी फ्रेम बाई फ्रेम रीमेक नहीं थी। उधर उसी दिन श्रीकांत ओडेला के निर्देशन में नवीन राज उर्फ नानी अभिनीत “दसरा” सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। ये फिल्म प्रारंभ में “भोला” से अधिक कमाने का दावा कर रही थी, और इसके प्रारम्भिक कलेक्शन को देखकर अधिकतम ट्रेड एनालिस्ट ने घोषणा कर दी, “भोला तो गयो!”

परंतु वास्तविकता तो कुछ और ही बता रही है। जहां “भोला” अभी भी बॉक्स ऑफिस पर विद्यमान है, वहीं एक हफ्ते में ही “दसरा” की हालत पतली हो गई

कहने को ये फिल्म पैन इंडिया स्तर पर प्रदर्शित हुई थी, और कॉन्टेन्ट के अनुसार फिल्म औसत से तो ऊपर ही निकली। परंतु ये बात Dasara Box Office Collection में कम ही दिखी, और ये कलेक्शन अधिकतम तेलुगुभाषी क्षेत्रों तक सीमित रहा।

वहीं “भोला” भले ही दृश्यम 2 जितनी सफल नहीं रही, परंतु इसके बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन को देखते हुए इतना तो कहा जाता है कि ये “तू झूठी मैं मक्कार” के अतिरिक्त ये वर्ष की दूसरी बॉलीवुड फिल्म होंगी, जो फ्लॉप नहीं सिद्ध हुई।

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“कैथी” से आगे निकला भोला….

ये इसलिए भी घाटे का सौदा है, क्योंकि “दसरा” की जिस प्रकार से मार्केटिंग हुई थी, और जिस प्रकार से उसे चित्रित किया गया था, उस अनुसार तो Dasara का प्रथम हफ्ते का Box Office Collection ही 100 करोड़ पार होना चाहिए था, वह भी घरेलू कलेक्शन में। परंतु 65 करोड़ के बजट में बनी ये फिल्म वैश्विक तौर पर ही 100 करोड़ कमा पाई, और ये अगर 120 करोड़ से ऊपर कमा गई, तो यही अपने आप में आश्चर्य होगा। इसके ठीक उलट “कान्तारा” ने 400 करोड़ से अधिक का कलेक्शन किया, जिसमें से केवल हिन्दी का कलेक्शन ही मूल बजट का पाँच गुना, यानि लगभग 80 करोड़ के आसपास था।

“दसरा” के कलेक्शन मूल रूप से केवल तेलुगु भाषी क्षेत्रों तक सीमित रहे। हिन्दी से लेकर तमिल, तेलुगु, यहाँ तक कि कन्नड़ में इसका कलेक्शन संतोषजनक के आसपास भी नहीं था। “कान्तारा” और “पुष्पा” आपको अच्छी लगे या नहीं, ये आपकी चॉइस है, परंतु इस बार से आप कदापि मुंह नहीं मोड़ पाएंगे कि दोनों इसलिए भी ब्लॉकबस्टर सिद्ध हुए क्योंकि ये फिल्में हिन्दी क्षेत्र में बराबर लोकप्रिय थे।

वहीं “भोला” का बजट भले ही इसके कलेक्शन को नगण्य बनाने पर तुला हुआ हो, परंतु अभी इस फिल्म के पास 21 अप्रैल तक समय है, यानि जब तक सलमान खान की “किसी का भाई, किसी की जान” नहीं आ जाती, तब तक इस फिल्म के पास अपने कलेक्शन को आर या पार तक ले जाने को पर्याप्त समय है।

भोला का वर्तमान कलेक्शन 100 करोड़ से ऊपर है, यानि ये आराम से अब “शिवाय” के कलेक्शन को पछाड़ने के लिए सोच सकती है, और ये घरेलू स्तर पर ही मूल फिल्म “कैथी” को पार कर चुका है, जिसमें “शहज़ादा” से लेकर “विक्रम वेधा” जैसी फिल्में असफल रही थी। सबसे बड़ी बात, “भोला” केवल हिन्दी में प्रदर्शित हुई, और “दसरा” लगभग 5 भाषाओं में।

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पैन इंडिया की परिभाषा में बदलाव अवश्यंभावी है….

तो इस प्रकरण से क्या सीख मिलती है? यही कि पैन इंडिया की परिभाषा में बदलाव करना चाहिए। जो फिल्म हर मायने में हर क्षेत्र में सफल हो, वही पैन इंडिया या बहुभाषीय कहलाने योग्य है। पठान तीन भाषाओं में प्रदर्शित हुई, परंतु उसे अब भी बॉलीवुड फिल्म क्यों कहा जाता है? क्योंकि इसके 90 प्रतिशत कलेक्शन सिर्फ हिन्दी वर्जन से आए हैं, जिसपे आज भी संशय व्याप्त है।

वहीं “सीता रामम” मूल रूप से तेलुगु भाषी होने के बाद भी क्यों “पैन इंडिया” मानी जाती है? क्योंकि इसके कलेक्शन केवल तेलुगु भाषा तक सीमित नहीं रहे, अपितु हिन्दी से लेकर तमिल, मलयालम भाषा के डब संस्करण ने भी भरपूर योगदान दिया।

इसी भांति आजकल कुछ लोग पैन इंडिया के नाम पर कुछ भी लेकर सामने आ जाते हैं। उदाहरण के लिए “विक्रम” और “KGF” पर जनता का प्रेम देखते हुए अन्य निर्देशक उस मॉडेल का अंधाधुंध कॉपी करने लगे। परिणामस्वरूप “कब्ज़ा” और “माइकल” जैसी फिल्में भी सामने आई, जिन्हे देख अपने आप ऑडियंस को कब्ज हो जाए।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि Dasara Box Office Collection के मामले में “कान्तारा” बनने चला था, परंतु वह “सीता रामम” को भी नहीं पछाड़ पाई, और एक बार फिर एक बॉक्स ऑफिस क्लैश में अजय देवगन का प्रभाव खूब बोला।

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