दिग्विजय कांग्रेस नहीं, कांग्रेस के नेता कांग्रेस के नहीं, तो कौन है असली कांग्रेसी?

बड़ी विकट समस्या है....

तीतर के आगे दो तीतर, तीतर के पीछे दो तीतर, बोलो कितने तीतर?

पहले मुर्गी आई कि अंडा?

अगर आप इन प्रश्न के उत्तर नहीं ढूंढ पाए हैं, तो ठहरिए, एक और प्रश्न है : असली कांग्रेसी कौन? इस प्रश्न का यदि उत्तर आपको मिल गया, तो आपसे बुद्धिमान, आपसे परिपक्व व्यक्ति इस संसार में कोई नहीं।

इस लेख में पढिये कि आखिर एक असली कांग्रेसी कैसा होता है, और उसके लिए क्या पैमाने तय हैं।

दिग्विजय सिंह कांग्रेस के आदर्श नहीं….

हाल ही में राहुल गांधी के संसद सदस्यता को लेकर काफी बवाल मचा, और ऐसे में एक सच्चे कांग्रेसी होने के नाते पार्टी का कर्तव्य था कि इसे ब्रह्मांड के हर दरबार तक ले जाए, केवल यूएन तक बात सीमित न रखें।

इसी परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस आईटी सेल के कुछ कर्मठ एजेंटों ने दे दिलाकर यूएस और जर्मनी का समर्थन प्राप्त कर लिया, जिसके लिए कट्टर कांग्रेसी दिग्विजय सिंह [राघोगढ़ वाले] खुलकर इसका इजहार करते भी दिखे।

लेकिन काँग्रेसियों और उनके दरबारी पत्रकार और बुद्धिजीवियों की माने, तो वे शुद्ध कांग्रेसी नहीं है, उनमें “मिलावट है”। कांग्रेस के अनुसार जो भी समस्याएँ है, उनका निस्तारण स्वयं करना होगा, विदेशी हस्तक्षेप से काम नहीं चलेगा।

इसी बात का अनुमोदन कपिल सिब्बल ने भी कुछ दिन पूर्व किया था। परंतु कुछ दिनों पूर्व राहुल बाबा ने कहा था कि विदेशी देश समर्थन करे, तो नरेंद्र मोदी को हाताने में सहायता मिल पाएगी। अब अगर दिग्गी राजा ने इसी बात का अनुसरण किया है, तो क्या बुराई है?

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कांग्रेस का हित चाहने वाले कांग्रेस के आदर्श नहीं….

कांग्रेस का यह धर्मसंकट यहीं पर नहीं खत्म होता। दिग्विजय सिंह तो मात्र एक उदाहरण है, कांग्रेस उस नाविक की भांति है, जिसे यही नहीं पता कि नाव को किस पार लगाना है। उदाहरण के लिए 2020 के इस वाकये पर ध्यान दीजिए।

दरअसल, जब चीन ने लद्दाख और सिक्किम दोनों राज्यों के बार्डर पर भारतीय सेना के साथ झड़प किया उसके बाद कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने चीन को चेतावनी देते हुए ट्वीट किया कि, “चीन! सावधान हो जाओ। भारत को पता है कि तुम जैसे जहरीलों सापों के फन को कैसे कुचला जाता है। पूरी दुनिया की नजर तुम्हारी चालाकी पर है।“

अब इसमें क्या दिक्कत है? ये तो सर्वविदित है कि कई वर्षों से कांग्रेसी पीएम मोदी की चीन संबंधित नीतियों की आलोचना करते आ रहे हैं, और अधीर रंजन ने तो बस “भारत के हित” में अपनी बात कही, तो फिर उन्हे वह ट्वीट डिलीट करने पर क्यों विवश किया गया?

इतना ही नहीं, लोकतंत्र को लेकर भी कांग्रेसी के अजब गजब विचार है। “आपातकाल के महान दिनों” को साइड में रखे, तो एक ओर कांग्रेस सदैव चिल्लाते हैं कि “लोकतंत्र खतरे में है”, “लोकतंत्र पे वार हो रहे हैं”।

परंतु जब बात आती है अपने विचारों को एक्शन में लाने की, तो फिर वे सैम पित्रोदा जैसों को आगे कर देते हैं, जो ऐसे सुविचार बोलते हैं, “आप ऐसा कैसे कह सकते हैं कि आप अपने देश के विरुद्ध कुछ नहीं बोल सकते? किसने इस सिद्धांत की उत्पत्ति की? संसार में हर कोई वास कर सकता है, तो ये तो बिल्कुल नहीं चलेगा कि आप दूसरे देश में जाकर अपने देश की बुराई नहीं कर सकते। आपको कुछ भी कहने का अधिकार है। मुझे नहीं समझ में आता कि प्रॉब्लम क्या है? प्रॉब्लम है कहाँ?”

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असली कांग्रेसी कौन?

तो भई असली कांग्रेसी कौन है? क्या वे वह राजनीतिज्ञ है, जो दिन रात संसद की कार्यवाही बाधित करते हैं, ताकि वे अपने “युवराज” के प्रभाव को अक्षुण्ण रख सके? क्या वे जयराम रमेश, अधीर रंजन चौधरी जैसे लोग हैं, जो लोकतंत्र के हित की बात कर लोकतंत्र का ही उपहास उड़ाने में विश्वास रखते हैं?

या फिर वे स्वयं “युवराज” राहुल गांधी हैं, जो पलटीखोरी में नीतीश कुमार को पीछे छोड़ दे? कभी दावा करते हैं कि वे किसी के समक्ष नहीं झुकेंगे, परंतु अधिकतम समय जेल जाने से बचने के लिए बेल की अर्जी डालते फिरते हैं।

कभी कहते हैं कि वे सावरकर नहीं जो माफी मांगेंगे, परंतु हर कोर्ट एवं संस्थान से माफी मांगने के सिलसिले में वे अपने परनाना जवाहरलाल नेहरू को शर्मिंदा होने पर विवश कर दे।

आखिर चाहता क्या है कांग्रेस, और ये मानसिकता फॉलो कर उसे क्या मिल जाएगा? पूछता है भारत….

 

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