Karnataka election 2023: अब एक हिन्दू वोट नहीं देगा कांग्रेस को कर्नाटक का!

ऐसे जीतेंगे कर्नाटक?

Karnataka election 2023

Karnataka election 2023 : भारत के अन्य राज्यों की तरह कर्नाटक भी दक्षिण भारत का एक राज्य है, जो अपने राजनीतिक, भाषाई और सांस्कृतिक स्वाद के अनूठे मिश्रण के लिए प्रसिद्ध है, और यही विशेषताएं इसे देश के अन्य राज्यों की तरह इसे भी खास बनाता है। एक समृद्ध इतिहास और विविध विरासत के साथ, कर्नाटक ने हमेशा अपनी अपार क्षमताओं के साथ राष्ट्र की सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से लेकर विकास के विभिन्न क्षेत्रों में अपने योगदान तक, कर्नाटक लगातार सुर्खियों में रहा है।

कर्नाटक का गतिशील और जीवंत राजनीतिक परिदृश्य  राष्ट्रीय विमर्श में काफी उच्चतम रहा है और यही कारण है कि आप और हम चाहकर भी इस राज्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते । जैसा कि सभी को ज्ञात है कि कर्नाटक आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है। ऐसे में कर्नाटक में राजनीतिक हलचल स्वाभाविक है और ये स्वाभिकता शुरुआत का रुप ले चुकी है। पूरा देश की दृष्टी इस राज्य पर टिकी हुई हैं। सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं परतूं इन सब के बीच कांग्रेस का रवैया देख इतना तो तय है कि अन्य राज्यों में बिखरी कांग्रेस पार्टी Karnataka election 2023 में भी अपना बेड़ागरक करने को उतारु है।

इस लेख में पढिये कि कैसे देश की सबसे पुरानी पार्टी यानि कांग्रेस यह सुनिश्चित करने में प्रयासरत है कि कर्नाटका में कोई भी हिंदू कांग्रेस को वोट न दे।

Karnataka election 2023: कांग्रेस ने की आतंकवादी संगठन PFI से अपील

Karnataka election 2023 की तैयारियां ज़ोरों पर है, और इस परिप्रेक्ष्य में भाजपा, कांग्रेस एवं जेडीएस श्रेष्ठतम सिद्ध करने हेतु अपना सर्वस्व दांव पे लगाने को तैयार है। परंतु कांग्रेस का मैटर तनिक अलग है। ये वो बिरादरी है, जिन्हे अगर Karnataka election 2023 जीतना हो, तो शैतान से भी हाथ मिलाने से परहेज़ नहीं करेंगे, भले ही खुद का विनाश क्यों न निश्चित हो।

तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस के माननीय कुछ भी करने को तैयार हैं। हम इस समय ऐसा क्यों कह रहे हैं चलिए बताते हैं,

दरअसल, हाल ही में कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के प्रभावी नेता जी परमेश्वर ने SDPI से अपील की है कि वे कांग्रेस के साथ जुड़ें और भाजपा जैसी सांप्रदायिक ताकत का विध्वंस करें। अब आपको लग रहा होगा कि ये SDPI कौन से खेत की मूली है?  जिन्हे न ज्ञात हो, उन्हे बता दें कि SDPI उसी PFI का राजनीतिक रूप है, जिसे उसके आतंकवाद को बढ़ावा एवं भारतीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के कारण गृह मंत्रालय ने कुछ समय पूर्व प्रतिबंधित भी किया है।

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PFI आतंकवादी संगठन है, वर्ष 2006 में नेशनल डेवलेपमेंट फ्रंट के मुख्य संगठन के रूप में PFI का गठन किया गया।  PFI ने केरल के नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई को साथ लेकर देश में नफरत फैलाने का काम किया है। पीएफ़आई के विज़न 2047 डॉक्यूमेंट के अनुसार इस आतंकवादी संगठन का उद्देश्य अगले 25 वर्षों के भीतर भारत को इस्लामिक राष्ट्र घोषित करना था।

संगठन का नाम राष्ट्रीय स्तर पर तब चर्चा में आया जब पैगम्बर मोहम्मद के विषय में की गई टिप्पणी को लेकर वर्ष 2010 में इसके कैडरों ने केरल के प्रोफेसर टी जे जोसेफ का दाहिना हाथ काट दिया था। अब ऐसे में कर्नाटका कांग्रेस का SDPI से नजदीकियां बढ़ना अपने आप में रोश पैदा करता है और यही सब कारणों के पीछे कांग्रेस को आए दिन जनता की घृणा का सामना करना पड़ रहा है और पार्टी का लगातार पतन होना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है और कांग्रेस के इन रवैयों को देखते हुए ये कहने में कोई अतिश्योकती नही होगी कि अगर जरुरत पड़े तो कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए दाऊद और हफीज से भी हाथ मिला सकती है।

इन सब राजनीतिक उठापटक के बीच अब प्रश्न ये भी उठा है कि  पार्टी की लुटिया डूबने के लिए युवा राहुल गाँधी के प्रयासों में कोई कमी रह गई थी जो कर्नाटक कांग्रेस के प्रभावी नेता जी परमेश्वर PFI जैसे प्रतिबंधित संगठन से हाथ मिलाने को व्याकुल हैं।

कर्नाटका कांग्रेस के इस कदम से एक बात स्पष्ट है कि कर्नाटक में भी कांग्रेस का हाल उसके पूर्व के चुनावों नतीजों से अधिक खराब होने की सर्वाधिक संभावनाएं हैं।

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डूबती नाव पर सवार हुए पूर्व भाजपा नेता जगदीश शेट्टार

अब जब कांग्रेस की नाव इस भांति डामाडोल हो तो इतना तो तय है कि कोई बुद्धीमान व्यक्ति तो कांग्रेस की डूबती नाव पर सवार होने की भूल नही करेगा

अगर सवार होता है तो उसके लिए आप क्या कहेंगे?

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आज जिस प्रकार राहुल गाँधी के नेतृत्व वाली इस कांग्रेस में कर्नाटका के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व भाजपा नेता जगदीश शेट्टार कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए हैं तो कुछ तथाकथित चुनावी विशेलेषक ऐसा कहने लगे हैं कि इससे कांग्रेस को चुनाव में लाभ और भाजपा हानि होगी। परतूं वास्तविकता तो ये है कि जगदीश शेट्टार के कांग्रेस में शामिल होने से चुनाव में कोई फर्क पड़े या ना पड़े परतूं कांग्रेस में शामिल होने के पश्चात जगदीश शेट्टार के राजनीतिक कद का छोटा होना तय है।

कुल मिला के कहना गलत नही होगा कि देश विरोधी तत्वों का समर्थन, हिंदू विरोधी शक्तियों को बढ़ावा देना, तुष्टीकरण, परिवारवाद से आगे ना जाना, एक अयोग्य व्यक्ति को देश के ऊपर  थोपने का प्रयास ही कांग्रेस का लगातर चुनावों में हार और लोगों के बीच उपेक्षित होने का यही कारण है।

कांग्रेस की परिस्थितियां देखते हुए दुष्यंत कुमार की कुछ पंक्तियां स्मरण में आ जाती हैं जहां वो कहते हैं कि

तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं

कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं

मैं बेपनाह अँधेरों को सुब्ह कैसे कहूँ

मैं इन नज़ारों का अँधा तमाशबीन नहीं

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