चीन ने श्रीलंका को बर्बाद कर उसे उसके हालातों पर छोड़ दिया है । श्रीलंका की स्थिती बद से भी बदतर हो चुकी है। लेकिन बावजूद इसके चीन की अभी भी श्रीलंका पर गिद्ध रुप दृष्टी गढ़ी हुई है। वो लगातार श्रीलंका में अपनी पैठ बनाने के प्रयास कर रहा है। वहीं भारत ड्रैगन की इस चाल लगातार चुनौती दे रहा है। चीन श्रीलंका के जरिए हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की योजनाओं पर काम कर रहा है। जहां अब भारत , फ्रांस और जापान मिलकर श्रीलंका ऋणमुक्त चीन के नापाक मंसूबो को ध्वस्त करने की दिशा में आगे बढ़ते दिखाई पड़ रहे हैं।
श्रीलंका में चीन को चुनौती
दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने फ्रांसीसी और जापानी समकक्षों के साथ श्रीलंका के लिए ऋण पुनर्गठन वार्ता की प्रगति की घोषणा करने जा रही हैं अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने यह जानकारी दी है। वाशिंगटन में विश्व बैंक और आईएमएफ की बैठक के अवसर पर श्रीलंका को कर्ज देने वाले तीन देशों के वित्त मंत्री संवाददाता सम्मेलन करेंगे।
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आईएमएफ ने जापान के वित्त मंत्रालय के बयान के हवाले से मंगलवार को कहा कि जापान, भारत और फ्रांस गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में श्रीलंका के लिए ऋण पुनर्गठन वार्ता की प्रगति की घोषणा करेंगे। बयान में कहा गया है कि तीन ऋणदाता देश श्रीलंका के लिए ऋण पुनर्गठन का समन्वित प्रयास कर रहे हैं। चीन हिंद महासागर में भारत की गतिविधियों पर तीनों देशों का ये सम्मेलन श्रीलंका को ऋण से मुक्त कराने में लाभकारी हो सकता है और ड्रैगन के अत्यंत चुनौतीपूर्ण।
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