GD Naidu biopic माधवन का अगला प्रोजेक्ट : “एडिसन ऑफ इंडिया” पर बायोपिक

न थमेंगे न थकेंगे

GD Naidu biopic

GD Naidu biopic trailer: कौन कहता है कि भारत में रचनात्मकता के लिए कोई स्थान नहीं? इस देश को यूं ही सोने की चिड़िया नहीं कहा जाता था। यहाँ के कोने कोने में रचनात्मकता एवं उद्यमिता बसी हुई है, वो अलग बात है कि कुछ दशकों तक भारत के इसी जज्बे पर लगाम लगाने का प्रयास किया गया था। पर अब और नहीं

इस लेख में पढिये कि कैसे माधवन के नए प्रोजेक्ट (GD Naidu biopic) में भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण हस्ती को वर्षों बाद उनका महत्व दिया जाएगा।

कौन थे जी डी नायडू?

हाल ही में मीडियावन ग्लोबल इंटरटेन्मेंट लिमिटेड ने अपने आगामी प्रोजेक्ट की घोषणा की है। ये भारत के “Miracle Man” एवं अभियंता जी डी नायडू पर आधारित है, जिन्हे “एडिसन ऑफ इंडिया” भी कहा जाता था। इस फिल्म में माधवन जी डी नायडू की भूमिका निभाएंगे, और GD Naidu biopic के निर्माण में वो लोग भी उपस्थित होंगे, जिन्होंने “Rocketry” के सहयोग में आर माधवन का साथ दिया था। अभी ये नहीं स्पष्ट हुआ है कि इस फिल्म का निर्देशन कौन करेगा, परंतु इतना तो स्पष्ट है कि इस फिल्म के निर्माण में संभवत: आर माधवन एवं उनके सहयोगी भी सम्मिलित होंगे।

परंतु ये जी डी नायडू हैं कौन, जिनके जीवन को आर माधवन सिल्वर स्क्रीन पर आत्मसात करने जा रहे हैं? इनके प्रोफ़ाइल को देखकर आपको विश्वास ही नहीं होगा कि ये इंजीनियरिंग में इतने निपुण थे। 23 मार्च 1893 को मद्रास प्रेसिडेंसी के कोयम्बटूर जिले के कलांगल कस्बे में जन्मे गोपालस्वामी दुरईस्वामी नायडू एक किसान के पुत्र थे। परंतु उनकी शिक्षा केवल स्कूल की प्रारम्भिक शिक्षा तक सीमित थी।

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परंतु ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में इनकी विशेष रुचि थी। इसी के पीछे इन्होंने कोयम्बटूर में एक वेटर के रूप में कार्य करने का निर्णय लिया। जैसे ही पर्याप्त रुपये बचे, तो इन्होंने 1920 में अपना ऑटोमोबाइल का उद्योग प्रारंभ किया। धीरे धीरे यूनिवर्सल मोटर सर्विस की कीर्ति चहुंओर फैलने लगी।

परंतु जी डी नायडू अपना प्रभाव केवल ऑटोमोबाइल तक सीमित नहीं की। वे निरंतर उद्यमिता में हाथ आजमा रहे थे, और इसी के आधार पर उन्होंने 1937 में डी बालसुंदरम नायडू के साथ मिलकर भारत का सर्वप्रथम स्वदेशी इलेक्ट्रिक मोटर ईजाद किया। जल्द ही इनका व्यापार पब्लिक ट्रांसपोर्ट और ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग से आगे बढ़ने लगा।

इतना ही नहीं, डॉक्यूमेंट्री फिल्मांकन में भी इनकी विशेष रुचि थी। जब 1935 में ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम की मृत्यु हुई थी, तो ये उसे कवर करने पहुंचे थे। इसके अतिरिक्त इन्होंने गांधी से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कई अभूतपूर्व क्षण अपने कैमरे में कैद किये।

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“Rocketry” की सफलता के बाद माधवन का नया दांव

जी डी नायडू के प्रशंसकों में सर सीवी रमन एवं सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या भी सम्मिलित थे। इनके आविष्कारों में अति सूक्ष्म शेविंग ब्लेड, फिल्म कैमरा के लिए डिस्टेंस एडजस्टर, फ्रूट जूस मशीन, टैंपर प्रूफ वोट रिकॉर्डर एवं केरोसीन संचालित फैन इत्यादि सम्मिलित थे।

इन्होंने 1950 के दशक में दो सीटर वाली पेट्रोल कार का आविष्कार किया, जो उस समय मात्र 2000 रुपये में बिक रहा था। परंतु नेहरुवादी मानसिकता और लाइसेंस राज का इन्हे भी भुक्तभोगी बनना पड़ा। इन्हें इनके योगदानों के लिए कोई विशेष सम्मान नहीं मिला और जनवरी 1974 में इनकी असामयिक मृत्यु हो गई।

परंतु पहले नम्बी नारायणन और अब जी डी नायडू के जीवन को सिल्वर स्क्रीन पर उकेरकर आर माधवन ने फिल्म उद्योग में अपने लिए अलग पोजीशन बनाने की ठान ली है। पिछले ही वर्ष इनकी वर्ष से लंबित फिल्म “Rocketry” सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई, जो इसरो के पूर्व वैज्ञानिक, एस नम्बी नारायणन के जीवन और उनके संघर्षों पर आधारित थी। आर माधवन ने केवल उस भूमिका को आत्मसात ही नहीं किया, अपितु इस फिल्म का निर्देशन भी किया, और लगभग 25 करोड़ के बजट पर बनी इस फिल्म ने वैश्विक तौर पर 50 करोड़ के आसपास का कलेक्शन किया। ऐसे में GD Naidu biopic में अब ये देखना होगा कि जी डी नायडू के किन पक्षों को आर माधवन हम सबके समक्ष लाते हैं।

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