हिन्द महासागर में चीन की गुंडई रोकने हेतु एक हुए जापान और भारत

गलत पंगा लिया है चीन ने....

विगत कुछ वर्षों से चीन ने कैसे एशिया के अनेकों देशों की नाक में दम किया है, इससे कोई अनभिज्ञ नहीं है। परंतु इस बार, चीन से निपटने उसके सबसे कट्टर शत्रुओं ने एक अनोखा उपाय भी निकाला है।

वो कैसे? असल में चीन को उसी के खेल में पटकने हेतु भारत और जापान एक हो चुके हैं। पाथफाइन्डर नामक रिसर्च संगठन के रिपोर्ट अनुसार भारत और जापान श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को चीन के मकड़जाल से निकालने हेतु कटिबद्ध है। Economic Times की रिपोर्ट के अंश अनुसार,

“चीनी कर्ज़ों के बोझ तले दबे श्रीलंका को उसकी वर्तमान स्थिति से बाहर निकालने हेतु रिपोर्ट ने भारत और जापान में साझा सहयोग को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा है। यह रिपोर्ट जापानी राजदूत मिजूकोशी हिदेयाकी और भारतीय उच्चायोग के अध्यक्ष गोपाल बागले की उपस्थिति में इसी हफ्ते कोलंबो में जारी की गई थी”।

इस अवसर पर भारतीय हाई कमीशनर का कहना था कि भारत और जापान के एक समृद्ध और सशक्त इंडो पैसिफिक के विकास में कई हित मिलते हैं। ये बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ समय पूर्व भारत यात्रा पर आए जापानी पीएम ने भी एक स्वतंत्र और सशक्त इंडो पैसिफिक पर मुखर विचार रखे थे।

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तो इसका श्रीलंका से क्या लेना देना? अपने विरोधियों, विशेषकर भारत का विध्वंस करने हेतु चीन ने “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” नामक नीति अपनाई, जिसके अंतर्गत कर्ज़ों के मायाजाल में भारत के पड़ोसियों को फँसाकर कूटनीतिक और सामरिक तौर पर भारत को अलग थलग करने की मंशा स्पष्ट थी। परंतु भारत ने अब जापान को भी इस खेल में सम्मिलित किया है, और इसका एक ही अर्थ है : चीन को उसी के अस्त्र से परास्त करना!

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