Zelensky writes letter to PM Modi: अब “जोकर” जेलेन्सकी को चाहिए भारत का साथ!

अब आया न लाइन पे!

Zelensky writes letter to PM Modi: भारत उभरती वैश्विक शक्ति के रुप में संपूर्ण विश्व का ध्यान अपनी ओर केंद्रित कर रहा है। वर्तमान भारत का सशक्त नेतृ्त्व वैश्विक मंचों से भारत पर उंगली उठाने वालों को लताड़ लगाने से कतई भी पीछे नही हटता। जब भारत वैश्विक मंचों पर बोलता है तो विश्व के कई शक्तिशाली देश गंभीरता के साथ सुनते है। रुस यूक्रेन युद्ध के समय पूरे विश्व ने भारत की बढ़ती शक्ति को अनुभव किया। उस दौरान कुछ देश भारत पर रुस का समर्थन करने का आरोप लागते थे तो कुछ रुस से तेल लेना बंद करने का दबाव, लेकिन भारत ने वही किया जिसमें उसकी भलाई थी। भारत युद्ध में निष्पक्ष बना रहा और ना किसी के आरोपों से और ना किसी के दबाव से प्रभावित हुआ। अब जिस भारत पर युद्ध में रुस का समर्थन करने के आरोप लग रहे थे अब उसी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की सहायता की याचना कर रहे हैं।

इस लेख में पढिये युद्ध से बेहाल यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की पीएम मोदी से सहायता की याचना वाली चिट्ठी (Zelensky writes letter to PM Modi).

दरअसल, रुस और यूक्रेन युद्ध को शुरु हुए एक वर्ष से अधिक समय हो चुका है। इस युद्ध से दोनों ही देशों को काफी हानि हुई है। इस युद्ध के दौरान भारत भी खूब चर्चा में रहा। हमे ऐसी भी बातें सुनने  को मिली कि भारत ही  है जो इस युद्ध को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और भारत की ओर से यथासंभव प्रयास किए गए। पीएम मोदी ने मित्र देश रुस से भी बात की तो यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को भी समझाया। लेकिन जेलेंस्की पश्चिमी देशों के दिखाए रास्तों पर चलते रहे। उन्होंने किसी की एक ना सुनी। स्थिती ये हो चुकी है आज यूक्रेन के हाल बेहाल है और होने भी थे क्योंकि युद्ध से तबाही के सिवा कुछ अधिक प्राप्ति नही होती।

भारत ने हर वैश्विक  मंच से यही कहा कि बातचीत से ही कोई उचित उपाय निकाला जा सकता है।  भारत इकलौता देश है जो रूस और पश्चिमी देशों दोनों से खुलकर बात करता आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ही पक्षों से कह चुके हैं कि यह युद्ध का समय नहीं है। हालांकि, यह भी सच है कि भारत ने अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर अपने सबसे भरोसेमंद दोस्‍त रूस को  कभी अकेला नहीं छोड़ा है।

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भारत का न्यूट्रल रहना ही है उसकी शक्ती

भारत युद्ध को लेकर इधर उधर की बात ना कर निष्पक्ष बातें कर रहा था। लेकिन बावजूद इसके पश्चिमी देश  भारत पर रुस का समर्थन करने के आरोप तथा रुस से तेल खरीदने का विरोध कर रहे थे। लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि भारत वही करेगा जिसमे उसका लाभ होगा। वर्तमान भारत धमकी या दबाव के समक्ष दबने वाला भारत नही है। अपने निर्णय स्वयं लेने में समर्थ है और भारत की इन बातों को पश्चिमी देश समझ भी गए और उसके वर्ताव में नरमी भी देखी गई। क्योंकि कोई नही चाहेगा कि विश्व की उभरती अर्थव्यवस्था से संबंध खराब हो। भारत के शक्तिशाली नेतृत्व के समक्ष किसी की एक ना चली। परणिनाम ये हैं कि वर्तमान में हर कोई भारत के व्यापार करने की इच्छा  रखता है। कई देश भारत के साथ व्यापार करने के प्रस्ताव भेजते हैं।

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यूक्रेन पीएम मोदी से कर रहा है सहायता की याचना

अब इन सब घटना कर्मों के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी (Zelensky writes letter to PM Modi) लिखी है। जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी है। दरअसल, भारत के दौरे पर आई संकटग्रस्त देश यूक्रेन की डिप्टी फॉरेन मिनिस्टर एमिन झापरोवा ने ये पत्र एक बैठक के दौरान विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी को दिया। पत्र में दवाओं और मेडिकल इक्विपमेंट्स समेत अतिरिक्त मानवीय सहायता देने की बात लिखी है। इतना ही नही यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिन झारपोवा ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को सितंबर में नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करने में खुशी होगी । यूक्रेनी मंत्री चाहती हैं कि भारत ठीक उसी तरह से जेलेंस्‍की को न्‍योता दे जिस तरह से इंडोनेशिया ने बाली में आयोजित पिछले जी-20 शिखर सम्‍मेलन में यूक्रेनी राष्‍ट्रपति को बुलाया था।

उन्होंने जी-20 के इस साल के मेजबान भारत से यह भी कहा कि यूक्रेन के प्रतिनिधियों को भी जी-20 की बैठकों में शामिल किया जाए क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। अपने संबोधन के दौरान यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिन झापरोवा ने कहा कि यूक्रेन भारत के साथ करीबी और गहरे संबंध चाहता है। आईसीडब्ल्यूए में उन्होंने कहा कि मैं यहां एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश के साथ आई हूं कि यूक्रेन वास्तव में चाहता है कि भारत और यूक्रेन करीब आएं।

विदित है कि पश्चिमी देश और यूक्रेन रुस को घेरने में कोई कसर नही छोड़ते और यही वो भारतीय अध्यक्षता में आयोजित होने में होने वाले जी- 20 सम्मेलन में करना चाह रहे हैँ। बता दें कि युद्ध के बीच यूक्रेन से किसी नेता की यह पहली भारत यात्रा थी।

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इस समय रुस  राष्ट्रपति के साथ बातचीत की स्थिती कोई देश है तो वो भारत ही है यह यूक्रेन को भी ज्ञात है। यूक्रेन की मंत्री ने भी भारत को विश्व-गुरु बताते हुए  कहा- हम भारत को विश्व-गुरु के तौर पर देखते हैं। कुछ देश होते हैं जो दोस्ती और शांति के बदले जंग में भरोसा करते हैं, लेकिन भारत विश्व-गुरु के तौर पर अहम रेल अदा कर सकता है। हम जंग खत्म कराने की कोशिशों का स्वागत करते हैं। बता दें रूस के आक्रमण को लेकर भारत का रुख न्‍यूट्रल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि भारत और रूस के रिश्‍ते ‘कभी नहीं टूटने वाले’ हैं। कई बार इस युद्ध के दौरान भारत पर रुस के खिलाफ मत देने जैसे दबाव बनाए गए लेकिन वो न्यूट्रल ही रहा और अभी भी न्यूट्रल ही है।

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