शरद पवार की आखिरी इच्छा : बनें एनडीए का भाग!

सत्ता के लिए कुछ भी करेगा!

राहुल गांधी लाइमलाइट में रहने का कोई अवसर हाथ से जाने नहीं देते। चाहे हाथ कुछ न लगे, परंतु कवरेज के लिए बंधु किसी भी हद तक जा सकते हैं। परंतु यही खुजली अब उन्हे अपने पारंपरिक सहयोगियों से भी दूर कर रही है, और शरद पवार इसके प्रत्यक्ष प्रमाण है!

इस लेख में पढिये कि कैसे एनसीपी नेता शरद पवार अब यूपीए से कन्नी काट रहे हैं और प्रतीत हो रहा है कि राजनीति के अंतिम पड़ाव में अब वरिष्ठ नेता शरद पवार की अंतिम इच्छा एनडीए का भाग बनना हो सकता है।

जैसे कहते हैं, राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता, और मित्रता एवं शत्रुता तो कदापि नहीं। शरद पवार तो वह प्राणी जो पलटने में नीतीश बाबू को टक्कर दे सकते हैं। पवार को कुछ लोग राजनीति का गुगली मास्टर भी कहते हैं, और कुछ अति उत्साही राजनीतिक विशेषज्ञ “राजनीति के चाणक्य”। परंतु इन सबके बारे में फिर कभी।

पिछले कुछ समय से शरद बाबू को देख एक ही संवाद स्मरण में आता है, “भाईसाब ये किस लाइन में आ गए आप?” शरद पवार एक के बाद एक ताबड़तोड़ बयानों से विपक्ष की सिट्टी पिट्टी गुल कर दिए हैं। अब 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले शरद पवार का यूं चर्चा में आना कई राजनितिक कयासों को जन्म देता है।

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विपक्ष के अरमान गटर में….

पिछले कुछ समय से विपक्षी पार्टियां कुछ ऐसे मुद्दों को खूब उछाल रही हैं, जिनका धरातल पर कतई भी असर पड़ी नही दिख रहा है। 2024 से पहले विपक्ष का ये बेकार परफोरमेंस विपक्षी नेताओं के लिए चिंताजनक विषय है। बात चाहे कांग्रेस की हो या फिर आम आदमी पार्टी की, सभी राजनीतिक पार्टियों ने बिना किसी असरदार मुद्दे के सड़क से लेकर सदनों तक हंगामा मचा रखा है। अराजक्तावाद ही इनका टॉनिक है।

राहुल गांधी अडानी के नाम पर कैसे दिन प्रतिदिन अराजक्तावाद को बढ़ावा दे रहे हैं, इससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं। परंतु प्रश्न उठता है कि इस मुद्दे का प्रभाव कितना है? अब जब शरद पवार स्वयं इस बात से पल्ला झाड़ रहे हो, तो समझ जाइए कि इस विषय में कितना दम है? विपक्ष लगातार अडानी के मुद्दे पर जेपीसी की जांच की मांग कर रहा है। अब ऐसे जेपीसी की मांग करने वालों को एनसीपी नेता शरद पवार ने आईना दिखाया है। एनसीपी प्रमुख और वरिष्ठ विपक्षी नेता शरद पवार ने कहा है कि अडानी मामले की jpc की जांच की आवश्यकता नही है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति यथोचित जांच कर रही है”।

इतना ही नही उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट  में अडानी समूह को निशाना बनाया गया है। किसी ने बयान दिया और देश में हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि पहले भी ऐसे बयान दिए गए, जिससे बवाल मचाा। हालांकि इस बार मुद्दे को जो महत्व दिया गया, वह जरूरत से कहीं ज्यादा था। यह सोचने की आवश्यकता है कि किसने मुद्दा उठाया। हमने बयान देने वाले का नाम तक नहीं सुना। बैकग्राउंड क्या है? जब देश में हंगामा खड़े करने वाले ऐसे मुद्दे उठाए जाते हैं, तो उसकी एक कीमत चुकानी पड़ती है। ऐसे मुद्दों का अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है, इसे समझने की आवश्यकता है। हम देश से जुड़ी ऐसी बातों को नजरअंदाज नहीं कर सकते”।

स्पष्ट तौर पर शरद पवार ने अडानी समूह के मुद्दे पर विपक्ष की अराजकता से मुंह मोड़ लिया है। अब शरद पवार के कुछ यूं विपक्ष की राह अलग हो जाने के पीछे किसी नए राजनीतिक दांव का अंदेशा लगाया जा रहा है।

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डिग्री विवाद को भी पवार ने नही बक्शा

परंतु शरद काका इतने तक न सीमित रहे। ब्रह्मांड की सबसे कर्मठ और ईमानदार राजनीतिक इकाई, आम आदमी पार्टी विगत कुछ दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर एक विवाद छेड़े हुए है। आम आदमी पार्टी की ओर से तकरीबन हर दिन ही पीएम डिग्री विवाद पर कोई न कोई बयान सामने आता रहता है, अब वो अलग बात है भष्ट्राचार के आरोपों पर इन्हे सांप सूंघ जाता है।

लेकिन शरद पवार के सामने इनकी एक न चली। उनके अनुसार, “आज मुद्दा ये नहीं कि किसकी डिग्री क्या है, बल्कि देश के सामने महंगाई, बेरोजगारी, जात-पात और धर्म के नाम पर लड़ाई-झगड़े जैसे बड़े मुद्दे हैं”।

पीएम नरेंद्र मोदी के डिग्री विवाद को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने भी केजरीवाल सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि “मैं यह कहना चाहूंगा कि कभी भी किसी को अपनी डिग्री पर गुमान नहीं होना चाहिए, क्योंकि डिग्रियां तो पढ़ाई के खर्च की रसीदें होती हैं। शिक्षा वही है जो आपका ज्ञान और आपका व्यवहार दर्शाता है”। उन्होंने केजरीवाल पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि “इन कुछ दिनों में मैंने देखा है कि किस तरह का व्यवहार हो रहा है।  मैं यह कह सकता हूं कि अब यह बात भी साबित हो गई है कि कुछ लोग IIT से डिग्री लेने के बावजूद अशिक्षित रह जाते हैं”।

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परंतु इन सब में एक बात तो स्पष्ट है : विपक्षी एकता बस नाममात्र की है, असल में कोई पार्टी एक दूसरे के साथ रहने को तैयार है। ऐसे में कांग्रेस के “शक्ति प्रदर्शन” पे शरद पवार विपक्ष को 440 वोल्ट का झटका दे दिया है, और ये खलबली भाजपा के लिए किसी वरदान से कम नहीं होंगी। संभव है कि शरद पवार अपने इस समाप्त होते राजनीतिक करियर के साथ कोई नया अध्याय रचने जा रहे हैं, और उनका संदेश विपक्ष को स्पष्ट है अपने साथ मत जोडिये हमको हं अलग है.

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