अब सलमान खान ने भी बोला, “OTT पर कुछ भी नहीं चलेगा”

सलमान खान के मुख से ये सुनना अजीब लगेगा, पर गलत तो कुछ नहीं कहा

सलमान खान का लॉजिक और व्यवहारिकता से उतना ही नाता है, जितना रोहित शेट्टी का रोमांटिक फिल्मों से। “दिल में आता हूँ, समझ में नहीं” इनके जीवन का मूल मंत्र है। परंतु इन दिनों जिस प्रकार से सलमान खान अपने विचार प्रकट कर रहे हैं, एक ही बात स्मरण में आती है : आज सूरज किस दिशा से उगा है?

इस लेख में पढिये कि कैसे OTT पर कॉन्टेन्ट को नियंत्रित करना अवश्यंभावी है, और कैसे आश्चर्यजनक रूप से सलमान खान ने भी इस बात पर अपना समर्थन दिया है।

सलमान खान के OTT पर विचार

इन दिनों OTT पे रचनात्मकता के नाम पर कुछ लोग क्या परोसते हैं, ये किसी से नहीं छुपा है। ऐसे में जब फिल्मफेयर अवार्ड्स 2023 के उद्घाटन समारोह पर सलमान खान से वार्तालाप किया गया, तो वे भी चुप नहीं रहे।

उन्होंने सिनेमा, टेलीविजन और OTT के विचारों और उनकी सीमारेखा को स्पष्ट करते हुए OTT पे परोसी जा रही अश्लीलता और फूहड़ता पे प्रकाश डालते हुए कहा, “जो बात रामगोपाल वर्मा ने मजे मजे में चालू की [अश्लीलता और फूहड़ता], उसका अजब ही अंधानुकरण हो रहा है। चलो एक बार को किशोर लोग देख लें, परंतु क्या आप चाहोगे कि ये जो कुछ भी चल रहा है, उसे पढ़ने के बहाने आपकी छोटी सी बच्ची भी देखे? मैं 1989 से यहाँ पे हूँ, मैंने ऐसी बातों को बढ़ावा नहीं दिया। मुझे लगता है कि OTT पर जो भी कॉन्टेन्ट आ रहा है, उसे रेगुलेट करना चाहिए, उसके लिए कुछ नियामक होने चाहिए। जितना साफ सुथरा कॉन्टेन्ट होगा, उतना ही लोग उसे देखेंगे भी!”

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विकट समस्या है

कहने को सलमान खान के मुख पर ऐसी बातें शोभा नहीं देती, जोकि इनके वर्तमान फिल्मों के चॉइस को देखते हुए काफी हद तक उचित भी है। परंतु एक प्रश्न अपने आप से भी पूछिए, “क्या उन्होंने कुछ गलत कहा?” क्या OTT पर किसी प्रकार की अश्लीलता या फूहड़ता नहीं परोसी जाती?

OTT पर जिस प्रकार का कॉन्टेन्ट भारत में परोसा जाता है, वह पिछले कई वर्षों से विवादों के घेरे में है। “तांडव” जैसे सीरीज़ के चक्कर में OTT पर नियंत्रण लगाने की मांग बहुत ज़ोरों शोरों से उठी थी, परंतु कोई ठोस परिणाम निकलकर नहीं आया।

इसके अलावा जिस प्रकार से ALTT एवं ULLU जैसे एप उभरकर सामने आ रहे हैं, वो भी बताते हैं कि OTT को नियंत्रण में रखने हेतु कोई एजेंसी या वॉचडॉग नहीं है, चाहे सरकार की ओर से हो, या फिर स्वयं इस माध्यम पे कार्यरत विभिन्न कंपनियां हो। इसी बात पर प्रकाश डालते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने “कॉलेज रोमांस” में रचनात्मकता के नाम पे जो फूहड़ता प्रदर्शित की गई, उसपे भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ये किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।

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क्या निजी अनुभव है कारण?

परंतु एक प्रश्न तो अब भी व्याप्त है : आखिर सलमान खान को ये विचार अभी क्यों हुआ? वे इतने भी समाज के कल्याण को उत्सुक नहीं है। तो कहीं ये विचार उनके निजी अनुभव का ही परिणाम नहीं?

हो भी सकता है, क्योंकि OTT पे सभी स्टार्स सफल नहीं हुए हैं। जब सलमान खान ने 2021 में “राधे” को पे पर व्यू के बेसिस पर रिलीज़ करवाया, तो उद्देश्य तो स्पष्ट था कि OTT पर भी सलमान खान अपना जादू बिखेरना चाहते थे। परंतु हुआ इसका ठीक उल्टा, और वर्षों बाद सलमान खान को ईद के अवसर पर एक सुपरफ्लॉप फिल्म उपहार में मिली। इसके पश्चात “अंतिम” और “गॉडफादर” का भी परिणाम कुछ खास बेहतर नहीं रहा।

कहने को जिस प्रकार से फरहाद सामजी द्वारा निर्देशित “किसी का भाई किसी की जान” के क्लिप्स निकलकर सामने आ रही है, उससे सलमान खान के लिए इस समय भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं नज़र आ रही। परंतु जिस प्रकार से OTT पर दिन प्रतिदिन फूहड़ता बढ़ रही है, वो भी अनदेखी नहीं की जा सकती, और ऐसे में सलमान खान इस विषय पर चर्चा भी कर रहे हैं, यही अपने आप में आश्चर्य है।

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