“हेरा फेरी” कहीं नाडियादवाला को ले न डूबे

जाने किसकी नज़र लगी है

हेरा फेरी

कुछ लोगों के लिए कुछ कार्य वरदान की भांति होते हैं, परंतु कुछ लोगों के लिए वही कार्य अभिशाप सिद्ध होते हैं। इस समय नाडियादवाला के लिए “हेरा फेरी” उसी अभिशाप समान है। जाने कौन सा ग्रहण लगा है कि जब भी इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने चलते हैं, कुछ न कुछ अनर्थ हो जाता है।

इस लेख में पढिये हेरा फेरी” फ्रैन्चाइज़ को लेकर एक नए विवाद को जो नाडियादवाला को कहीं ले न डूबे.

टी सीरीज़ और एरॉस की लड़ाई

हाल ही में “हेरा फेरी” फ्रैन्चाइज़ को लेकर एक नया विवाद छिड़ गया है। इसके अधिकारों को लेकर दो बड़ी कंपनियों ने नाडियादवाला समूह पर दो अलग अलग दावे ठोंके हैं। एक ओर टी सीरीज़ ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी करते हुए कहा कि केस कोई भी हो, संगीत के मौलिक अधिकार टी सीरीज़ के पास सुरक्षित है। ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि “फिर हेरा फेरी” का संगीत प्रमुख तौर पर टी सीरीज़ ने दिया था।

लेकिन एरॉस के साथ नाडियादवाला का विवाद केवल वैचारिक नहीं, अपितु वित्तीय भी है। एरॉस ने स्पष्ट किया है कि नाडियादवाला की प्रोडक्शन कंपनी, बेस इंडस्ट्रीज ग्रुप [जिसने हेरा फेरी और फिर हेराफेरी, दोनों का निर्माण किया], वह असल में 60 करोड़ रुपये से अधिक की देनदार है, यानि नादियाडवाला पर एरॉस का 60 करोड़ रुपये से भी अधिक का बकाया है। जब तक यह हिसाब चुकता नहीं हो जाता, “हेरा फेरी” सीरीज़ से संबंधित सभी अधिकार एरॉस के पास रहेंगे।

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फरहाद सामजी हटाओ, हेराफेरी बचाओ!

अब “हेरा फेरी” के साथ कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही है। ये बात 2016 की है, जब इस फ्रैन्चाइज़ के तीसरे संस्करण की आधिकारिक घोषणा हुई थी। कुछ लोगों का मानना था कि अक्षय कुमार को इस बार नहीं लिया जाएगा, और हुआ भी वही। प्रथम प्रोमोशनल इवेंट में जॉन एब्राहम और अभिषेक बच्चन के साथ बाबूराव आप्टे यानि परेश रावल दिखाई दिए थे। परंतु लोगों को प्रियदर्शन एवं नीरज वोरा की सफलतम जोड़ी पर पूर्ण विश्वास था।

लेकिन इससे पहले कि प्रोजेक्ट सामने आती, 2017 में हृदयाघात से नीरज का असामयिक निधन हो गया। अब इस प्रोजेक्ट के लिए जब तक नया डायरेक्टर खोजा, 2020 आ गया, और कोविड 19 के बाद भारतीय फिल्म उद्योग की क्या हालत हुई, इससे आप बिल्कुल भी अपरिचित नहीं है।

आखिर काफी प्रयास के बाद “हेराफेरी” के तृतीय संस्करण को मूर्त रूप दिया गया। परंतु जनता के क्रोध का कोई ठिकाना नहीं रहा, जब ये पता चला कि स्क्रिप्ट और फिल्म, दोनों फरहाद सामजी संभालेंगे। एक तो पहले ही “एंटरटेन्मेंट”, “हाउसफुल” का तृतीय और चतुर्थ संस्करण एवं “बच्चन पांडे” जैसी विश्व प्रसिद्ध फिल्म इनके कलेक्शन में है, उसके ऊपर से “किसी का भाई किसी का जान” में जो इन्होंने सार्वजनिक मल विसर्जन किया है, उससे सभी “हेरा फेरी” प्रशंसकों ने एक स्वर में कहा है, “उठा ले रे बाबा, उठा ले। हमें नहीं, इस फरहाद को उठा लें!”

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अब क्या होगा?

अब सबसे बड़ा प्रश्न यही है : आगे क्या होगा? “हेरा फेरी” एक फ्रैन्चाइज़ मात्र नहीं है, एक ऐसी विरासत है, जिसे हम भूले से भी नहीं मिटा सकते। जो भी 90 s के किड्स हैं, उनके लिए ये अमृतधारा की भांति है, जिसमें किसी भी प्रकार की मिलावट स्वीकार्य नहीं है। ऐसे में नाडियादवाला समूह के लिए दो ही विकल्प बचे हैं: या तो इस संस्करण से हाथ खींच लें, और नहीं, तो फरहाद सामजी को अविलंब बाहर भगाएँ।

इसके अतिरिक्त हमारे पास निर्देशकों की कमी नहीं है। प्रियदर्शन विशुद्ध कॉमेडी के लिए नहीं जाने जाते थे, परंतु उन्होंने “हेरा फेरी” से अपने लिए एक अलग विरासत बनाई। ऐसे में कुछ नये निर्देशकों को भी अवसर दिया जा सकता है, जो अपनी विधा से बाहर जाकर “हेराफेरी” को एक अलग टच दे सकते हैं। परंतु अगर फरहाद सामजी को यथावत रखा गया, तो इतिहास नाडियादवाला समूह को इसलिए स्मरण रखेगा, जिन्होंने अपने हाथों से ही अपने विरासत का कत्ल कर दिया गया। अब सबके पास डेविड धवन जितना फालतू टाइम तो है नहीं.

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