The return of Khans: “खान की वापसी?” कुछ तो गड़बड़ है

आप क्रोनोलॉजी समझिए

The return of Khans

The return of Khans: अगर आपकी टाईमलाईन भी ऐसे नौटंकियों से भरी पड़ी हो, तो चकित मत होइए। बॉलीवुड के मठाधीश अपने प्रिय सितारों को पुनर्जीवित करने हेतु कमर कस चुके हैं। लक्ष्य के एक संवाद को इनकी जुबानी बोलें, तो “ये बॉलीवुड के खान हैं, पलट के फिर आते हैं। इन्हे हल्के में मत लेना”!

इस लेख में पढिये “खानों के पुनरुत्थान” (The return of Khans) के कारण, और कैसे यहाँ कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है, परंतु नेचुरल भी नहीं है।

इस दुनिया में कुछ भी ऐसे ही नहीं होता!

कहीं सुने थे, “अगर कोई कथा कुछ ज़्यादा ही अविश्वसनीय हो, तो वह सच नहीं होती!” कभी सोचा है कि लाख गाली खाने और खाली थियेटरों के बाद भी “पठान” ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका कैसे मचाया? जो काम लाख PR के बाद “ब्रह्मास्त्र” नहीं कर पाया, वो सिद्धार्थ आनंद द्वारा निर्देशित इस अधकचरे फिल्म ने कैसे कर दिया?

सच पूछें, तो ये सब कुछ पुनः दोहराया जा रहा है, और इस बार प्रोजेक्ट है फरहाद सामजी द्वारा निर्देशित, “किसी का भाई, किसी की जान!” इस फिल्म को क्रिटिक्स ने छोड़िए, जनता ने भी सर आँखों पे नहीं नवाया। लगभग ढाई घंटे के इस कबाड़ ने कई सिनेमाप्रेमियों को और अधिक दृढ़निश्चयी बना दिया, कि कैसे भी करके फरहाद नोलन सामजी को “हेरा फेरी” की विरासत से दूर रखा जाए। परंतु इस बारे में बाद में।

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इन दिनों “खान” मंडली को पुनर्जीवित (The return of Khans) करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। वे सांस भी ले, तो दिखाते ऐसा है कि क्रांति आ गई। परंतु इस अजीबोगरीब ट्रेंड में एक बात समान है : दोनों फिल्मों का स्वभाव और उनकी बॉक्स ऑफिस पर कमाई। YRF Spy Universe की पोस्टर बॉय माने जाने वाली “पठान” एक ढंग की मसाला फिल्म तक कहलाने योग्य नहीं, स्पाई फिल्म तो दूर की कौड़ी।

परंतु इसका ओपनिंग वीकेंड का कलेक्शन तो 280 करोड़ के पार था, वो भी केवल भारत में! एक बार को लगा, कहीं यूरोपीय यूनियन का जीडीपी तो नहीं कमा लेगी पठान? इसी भांति अब “किसी का भाई, किसी की जान’ को भी ब्लॉकबस्टर बनाने पे तुले हुए हैं, जहां फिल्म ने वैश्विक तौर पर लगभग 130 करोड़ और राष्ट्रीय स्तर पर 80 करोड़ से ऊपर की कमाई कर ली है।

कभी जन लोकप्रियता का नाम सुना है?

इसका अर्थ का है? कागज़ पर देखें, तो जो बॉलीवुड महीनों से कराह रहा था, जिसे 2022 के अंत तक कइयों ने खत्म मान लिया था, वह अब “बैक इन एक्शन”, और खानों के बिना इस उद्योग का कुछ नहीं हो सकता!

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परंतु क्या सत्य भी इतना ही हलुआ है? शायद नहीं। कोविड के पश्चात ऐसी फिल्मों के लिए सर्वप्रथम ये आवश्यक है कि वह मल्टीप्लेक्स के साथ साथ सिंगल स्क्रीन में भी धमाका करे। परंतु सलमान खान के फिल्म के प्रथम दिन का कलेक्शन तो देखकर ऐसा नहीं लगता। पिछले 13 वर्षों में ईद पर प्रदर्शित सलमान खान की समस्त फिल्मों में इस फिल्म का कलेक्शन न्यूनतम है। जो फिल्म इतना बड़ा स्टार पावर के बाद भी रणबीर कपूर के ‘तू झूठी मैं मक्कार” से मात्र 10 लाख अधिक कमाए, वह कुछ भी हो जाए, एक ब्लॉकबस्टर तो नहीं हो सकती। अभी तो हमने पठान के ग्रह फोडू कलेक्शन पर चर्चा भी प्रारंभ नहीं की है।

आप क्रोनोलॉजी समझिए

जब 2017 में “बाहुबली” का द्वितीय संस्करण आया था, तो पूरा देश पागल हो गया था। दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद तो छोड़िए, पूना, सूरत, गया, गोंडा, गुन्टूर जैसे अनेकों टियर 2 अथवा टियर 3 नगरों में भी इस फिल्म की अलग धाक जमी थी। यूं ही “बाहुबली” भारत की सबसे सफलतम फिल्म का रिकॉर्ड नहीं स्थापित की थी। केवल 1400 करोड़ का कलेक्शन तो भारत के कोने कोने से प्राप्त हुआ था।

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परंतु कुछ ही माह बाद, एक भारतीय फिल्म एक अन्य राष्ट्र में प्रदर्शित हुई, और मात्र कुछ हफ्तों [महीने भी नहीं] में ये फिल्म भारत की सबसे सफलतम फिल्म बन गई, जिसका सम्पूर्ण भारतीय कलेक्शन 400 करोड़ भी नहीं था। इस फिल्म का नाम था “दंगल”, जिसमें आमिर खान बहुचर्चित पहलवान महावीर सिंह फोगाट बने थे। ये मात्र संयोग तो नहीं हो सकता?

ऐसे में चाहे पठान हो या किसी का भाई किसी की जान, संदेश स्पष्ट है : जब तक देह में श्वास का एक अंश भी बाकी है, बॉलीवुड के मठाधीश खान तिकड़ी को सर्वशक्तिशाली दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी, चाहे आंकड़ों से खेलना पड़े, VFX से नकली बॉडी, नकली स्टंट निकलवाने पड़े, या फिर एक्टिंग की.

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