कांग्रेस कर्नाटक में PFI बैन करेंगी। बैन करें उससे पहले कर्नाटक के मुस्लिम इन्हे बैन कर देंगे!

इनके लॉजिक को 21 तोपों की सलामी!

Congress Karnataka manifesto: कांग्रेस लगता है सलमान खान की जबरा फैन है। “दिल में आता हूँ, समझ में नहीं” को इन्होंने कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया है। हम मज़ाक नहीं कर रहे, कर्नाटक में इन महानुभावों ने घोषणा (Congress Karnataka manifesto) की है कि PFI जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, और उसी लाइन में बजरंग दल को भी जोड़ लिए हैं।

इस लेख में पढिये कैसे कांग्रेस (Congress Karnataka manifesto) ने PFI पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया है, और क्यों इसके पीछे कर्नाटक के मुसलमान इनका साथ छोड़ने को तैयार हो जाएंगे।

PFI जैसी सोचने रखने वालों के लिए कर्नाटक में जगह नहीं!

हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कॉन्ग्रेस ने मंगलवार को अपना घोषणा-पत्र (Congress Karnataka manifesto) जारी किया। इसमें कॉन्ग्रेस ने सत्ता में आने पर बजरंग दल और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) जैसे संगठनों पर बैन का वादा किया है। ऐसे में बजरंग दल पर प्रतिबंध का वादा कॉन्ग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत कभी ‘भगवा आतंकवाद’ गढ़ा गया था।

घोषणा-पत्र जारी किए जाने के मौके पर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार जैसे पार्टी नेता मौजूद थे। घोषणा-पत्र में पाँच प्रमुख गारंटी का जिक्र करते हुए बजरंग दल, पीएफआई और ऐसे अन्य संगठनों पर प्रतिबंध की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि ये कानून और संविधान का उल्लंघन करते हैं और समुदायों के बीच दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा देते हैं। कॉन्ग्रेस जाति और धर्म के आधार पर समुदायों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कड़ी और निर्णायक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।

कॉन्ग्रेस ने घोषणा पत्र में कहा है, “हम मानते हैं कि कानून और संविधान पवित्र हैं। बजरंग दल, पीएफआई जैसे व्यक्तियों के जरिए बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक समुदायों के बीच शत्रुता या घृणा को बढ़ावा देने वाले अन्य लोगों की तरफ से इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है।”

Congress Karnataka manifesto SS

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ये सब दोगलापन है

शास्त्रों में ऐसे ही लोगों को पढ़े लिखे गंवार कहा गया है। पिछले ही वर्ष गाजे बाजे सहित केंद्र सरकार ने PFI के कई केंद्रों पर धावा बोला था, और इस आतंक समर्थक संगठन पे अच्छा खास प्रतिबंध भी लगाया था। इसके अतिरिक्त कांग्रेस द्वारा किस प्रकार से भाजपा को हराने हेतु PFI से सहायता मांगी गई, ये किसी से नहीं छिपी है। ऐसे में ये पूछना तो बनता है कि आखिर कांग्रेस किसे उल्लू बना रहा है?

कॉन्ग्रेस द्वारा बजरंग दल पर बैन की बात पे पूरे कर्नाटक में माहौल गरमाया हुआ है। स्टार प्रचारक एवं असम के धाकड़ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “गृह मंत्री (अमित शाह) ने PFI को बैन किया तो कॉन्ग्रेस बोल रही है कि वे बजरंग दल को बैन करेंगे, मुस्लिम आरक्षण को फिर से शुरू करेंगे। कॉन्ग्रेस ने जो घोषणा-पत्र जारी किया है, वह पूरा मुस्लिम फंडामेंटलिस्ट का घोषणा-पत्र है।”

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जीत चुकी कांग्रेस!

लेकिन वह अकेले नहीं है। स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी भी सक्रिय रूप से मैदान में उतर चुके हैं। होसपेट पहुँचे पीएम मोदी ने कहा कि “ये हनुमान जी की पवित्र भूमि है और उनके लिए इस धरती को नमन करना बहुत बड़ा सौभाग्य है, लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि कॉन्ग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में बजरंग बली को ताले में बंद करें का निर्णय किया है।

पहले इन्होंने भगवान श्रीराम को ताले में बंद किया, अब कॉन्ग्रेस ने ‘जय बजरंग बली’ बोलने वालों को ताले में बंद करने का संकल्प लिया है। ये देश का दुर्भाग्य है कि कॉन्ग्रेस पार्टी को प्रभु श्रीराम से भी तकलीफ होती थी, वहीं अब ‘जय बजरंग बली’ बोलने वालों से भी तकलीफ हो रही है। कॉन्ग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड गारंटी पूरी करने का नहीं बल्कि गरीबों को लूटने का है”।

इसके अतिरिक्त अगर कांग्रेस को ये प्रतीत होता है कि ऐसे तुष्टीकरण के बल पर वह विजयी होंगी, तो ऐसा कुछ नहीं है। जिस प्रकार से वह नौटंकी कर रही है, वह न केवल हिंदुओं का समर्थन खोने को तैयार है, अपितु PFI पर उसके दोहरे मापदंडों पर वह इस्लामिस्टों का समर्थन भी खोने को तैयार है। कांग्रेस अब न घर का रहेगा न घाट का!

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