“Inspector Avinash”: इस सीरीज़ को कहाँ छुपाये हुए थे?

कोयले की खदान में हीरा है ये!

सोचिए, अगर चुलबुल पांडे की दबंगई को तनिक व्यावहारिक और गाजे बाजे से मुक्त रखा गया होता, तो? ऐसे प्रोजेक्ट की कल्पना कर सकता है कोई? वेल, नीरज पाठक ने अवश्य की, और परिणामस्वरूप सामने आई “Inspector Avinash”।

इस लेख में पढिये “Inspector Avinash” नामक वेब सीरीज़ के बारे में, और क्यों इसकी उतनी चर्चा नहीं हो रही, जितनी होनी चाहिए।

भारतीय वेब सीरीज़ के विशाल शृंखला में, कुछ छिपे हुए रत्न अक्सर अधिकांश दर्शकों द्वारा अनदेखे रह जाते हैं। ऐसी ही एक सीरीज़ “Inspector Avinash” है, जो वर्तमान में JioCinema पर स्ट्रीमिंग कर रही है, और जितनी चर्चा इसकी होनी चाहिए, उससे अधिक इसपे ध्यान देना चाहिए। प्रतिभाशाली रणदीप हुड्डा अभिनीत, यह वेब सीरीज़ 90 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में आपराधिक-राजनीतिक गठजोड़ की पृष्ठभूमि के खिलाफ एक आकर्षक कहानी प्रस्तुत करती है।

परफेक्ट हीरो नहीं, पर

यहाँ कोई भी रणदीप हुड्डा के अभिनय कौशल से अनभिज्ञ नहीं है, और “Inspector Avinash” में वह पुनः भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे चतुर अभिनेताओं में से एक के रूप में अपनी सूक्ष्मता साबित करते हैं। अपना हीरो परफेक्ट नहीं, लेकिन भौकाल एकदम टाइट है। अविनाश मिश्रा का उनका चित्रण कुकी-कटर पात्रों के समुद्र के बीच ताजी हवा की एक सांस है जिसे हम ओटीटी प्लेटफार्मों पर कम ही देखते हैं।

सौम्य, निरीह नायकों के चित्रण के विपरीत, अविनाश मिश्रा को कमजोरियों और खामियों वाले चरित्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह दृष्टिकोण उनके व्यक्तित्व में परतें जोड़ता है और उन्हें दर्शकों से अधिक जोड़ता है। समकालीन ओटीटी परियोजनाओं में अक्सर हमारे सामने आने वाले घिसे-पिटे प्रतिनिधित्व से यह एक वेलकम रिलीफ़ है।

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“Inspector Avinash” आपराधिक-राजनीतिक गठजोड़ की तह तक जाता है, जिसने 90 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश को त्रस्त कर दिया था। एक समय तो यूपी और बिहार मानो इसी परिप्रेक्ष्य में एक डाली दो फूल थे। ऐसे में ये सीरीज़ एक पूर्व एसटीएफ अधिकारी अविनाश मिश्रा के कारनामों के इर्द-गिर्द एक सम्मोहक कहानी बुनती है, जो इस विश्वासघाती परिदृश्य को नेविगेट करता है। यह भ्रष्टाचार, शक्ति की गतिशीलता और उस युग के दौरान कानून प्रवर्तन अधिकारियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालती है।

बिना लाग लपेट दिखाई वास्तविकता

श्रृंखला अतीत की महत्वपूर्ण घटनाओं को निडरता से कवर करती है, जिसमें 1997 में अयोध्या में संभावित आतंकी हमला भी शामिल है, जिसे कुछ लोगों की माने, तो वास्तव में “बजरंगबली की कृपा” से ध्वस्त किया गया था!

यहाँ की कहानी निष्पक्ष है, बिना किसी द्वेष या नापाक एजेंडे के घटनाओं को प्रस्तुत करती है। यह कथा की अखंडता को बनाए रखते हुए ऐतिहासिक घटनाओं में अंतर्दृष्टिपूर्ण झलक प्रदान करता है। निस्संदेह इस सीरीज़ में रणदीप हुड्डा ने गर्दा उड़ा दिया है। इसमें अमित सियाल, अभिमन्यु सिंह और रजनीश दुग्गल ने उनका साथ देने का भरपूर प्रयास किया है। उनके प्रदर्शन श्रृंखला में गहराई और प्रामाणिकता जोड़ते हैं, समग्र देखने के अनुभव को और बढ़ाते हैं।

बस एक गड़बड़ हो गई

“इंस्पेक्टर अविनाश” ने अनेक मायनों में दमदार प्रदर्शन किया। ये वेब सीरीज़ “CAT” की भांति रणदीप हुड्डा के लिए एक और ब्लॉकबस्टर सिद्ध होती, अगर उर्वशी रौतेला की उपस्थिति न होती तो। वह तो भला हो की इनका अभिनय केवल कुछ मिनटों तक ही सीमित रहा, अन्य इस सीरीज़ का अनर्थ हो जाता।

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“Inspector Avinash” वेब श्रृंखलाओं के बीच एक छिपा हुआ रत्न है, जो अधिक पहचान के योग्य है। रणदीप हुड्डा के सम्मोहक प्रदर्शन, एक आकर्षक कहानी और उत्तर प्रदेश में आपराधिक-राजनीतिक गठजोड़ की खोज के साथ, यह श्रृंखला देखने का एक अनूठा अनुभव प्रदान करती है। परफेक्ट हीरो न होने के बाद भी यह शो की समग्र प्रतिभा को कम नहीं करता है। एक त्रुटिपूर्ण लेकिन प्रभावशाली नायक के साथ क्राइम ड्रामा को ताज़ा करने की चाह रखने वालों के लिए, “इंस्पेक्टर अविनाश” एक ऐसी श्रृंखला है जिसे कदापि नहीं मिस करना चाहिए।

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