भारत में BPharma graduates के लिए इससे स्वर्णिम अवसर कुछ नहीं!

यह अवसर फिर नहीं मिलेगा!

विश्व ने कोविड 19 की महामारी के कारण अनेक चुनौतियों का सामना किया है, चाहे राजनीतिक हो, आर्थिक या फिर सांस्कृतिक। परंतु इसने कुछ क्षेत्रों में अनंत अवसर भी प्रदान किये हैं, और ऐसा ही एक क्षेत्र है फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री। भारत, जिसे ‘विश्व की फार्मेसी’ के रूप में जाना जाता है, ने इस अवधि के दौरान महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे उसकी छवि वैश्विक दवा उद्योग में अग्रणी होते हुए दिख रही है। इसी कारणवश देश में बैचलर ऑफ फार्मेसी (BPharma) graduates के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है।

वैक्सीन निर्यातक शक्ति के रूप में भारत का उदय

भारत जेनेरिक दवाइयों का बहुत बड़ा प्रचारक एवं निर्यातक रहा है, पर कोविड 19 की महामारी वो समय था, जब भारत ने इस आपदा में एक अद्वितीय अवसर ढूंढ निकाला। इसी आपदा का सदुपयोग करते हुए भारत वैक्सीन निर्माण क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरा। उदाहरण के लिए दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का भारी मात्र में  उत्पादन किया गया, जिसे भारत में कोविशील्ड के रूप में विपणन किया गया। वहीं भारत बायोटेक ने स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन Covaxin विकसित किया, जिससे वैक्सीन उत्पादन में भारत की प्रतिष्ठा में और वृद्धि हुई। लाख बाधाओं के बाद भी कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में इस महत्वपूर्ण कार्य ने कुशल BPharma graduates की बढ़ती मांग का मार्ग प्रशस्त किया है।

Source: Google

और पढ़ें: सर्वाइकल कैंसर के विरुद्ध पहली स्वदेशी वैक्सीन बनाने जा रहा है भारत

Hydroxychloroquine (HCQ) की सफलता

केवल इतना ही नहीं, जब 2020 में कोविड 19 ने संसार भर में त्राहिमाम मचा रखा था, तो उस समय भी भारत आवश्यक दवाइयों के उत्पादन में संकटमोचक के रूप में उभरकर आया था। हमारा भारत Hydroxychloroquine (HCQ) का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया, जो वैसे तो मलेरिया रोधी दवा थी, परंतु  जिसे COVID-19 लक्षणों के निवारण में उपयोग किया गया। एचसीक्यू की इस सफलता की कहानी ने एक बार फिर भारत के फार्मास्युटिकल क्षेत्र की क्षमताओं और इसके विकास और नवाचार की इसकी क्षमता को रेखांकित किया है।

Source: Google

और पढ़ें: भारत की वैक्सीन नीति के आगे नतमस्तक हुई दुनिया, दावोस शिखर सम्मेलन में मिला ‘स्टैंडिंग ओवेशन’

स्वदेशी दवाइयों एवं APIs के लिए पीएम मोदी का सक्रिय अभियान

परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की घरेलू दवाओं और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के लिए तत्परता मेडिकल क्षेत्र को और सशक्त करना चाहता है। आत्मनिर्भरता, या ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर सरकार के विशिष्ट फोकस ने एपीआई और प्रमुख प्रारम्भिक सामग्रियों (केएसएम) के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की है। यह पहल विशेष रूप से चीन से आयात पर भारत की निर्भरता को कम करती है और इस क्षेत्र में इनोवेशन और रोजगार के व्यापक अवसर खोलती है।

और पढ़ें: दुनिया भर के जानवरों को ‘कोविड-मुक्त’ रखने के लिए भारत ने बनाया वैक्सीन

अब बनेगा भारत “चिकित्सक सुपरपावर”

सब कुछ ऐसे ही चलता रहा, तो अगले 5-10 वर्षों में भारत के चिकित्सा महाशक्ति बनने के लिए मंच तैयार है। स्वास्थ्य सेवा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता, फार्मास्युटिकल कंपनियों की वृद्धि, अनुसंधान और विकास पर जोर, और एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला यानि सप्लाई चेन, सभी इस परिकल्पना को यथार्थ में परिवर्तित करने हेतु उद्यत है।

यह ग्रोथ trajectory BPharma graduates के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाता है। फार्मास्युटिकल रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग में निवेश बढ़ने से ऐसे कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ेगी, जो दवा के विकास, गुणवत्ता नियंत्रण, नियामक मामलों, क्लिनिकल ट्रायल और मार्केटिंग में अपना विशिष्ट योगदान दे सकते हैं। BPharma graduates, अपने तकनीकी ज्ञान और व्यावहारिक कौशल के साथ, इस अप्रत्याशित प्रगति में सबसे आगे होंगे, जो भारत में स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देंगे।

ऐसे में भारत में BPharma वास्तव में निकट है। जैसे जैसे भारत अपने आप को पुनः वैश्विक फार्मा हब के रूप में विकसित कर रहा है, तो ऐसे विशेषज्ञ इस उद्योग की मजबूत रीढ़ अर्थात बैकबोन बनेंगे। उनका ज्ञान, कौशल और इनोवेटिव सोच उन विशाल अवसरों का उपयोग करने में सहायक होगी जो महामारी के बाद की दुनिया में लाभकारी होगा। शॉर्ट में कहे तो, “पैसा ही पैसा होगा!”

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version