Karnataka Assembly election: दिल्ली के कोहली को “कन्नड़ गौरव” बनाकर चुनाव जीतेगी कांग्रेस!

Kannadiga Pride जाए तेल लेने, बस मकसद नहीं भूलना है

Karnataka Assembly election: सोचो, आपका कोई मित्र हो, जो बात बात पर “माई स्टेट माई प्राइड”, “स्टाप हिन्दी इम्पोजीशन” जैसी नौटंकी करता है। परंतु अचानक से कोई ऐसा व्यक्ति उनका आराध्य बन जाता है, जो न उनके क्षेत्र का हो, न ही उनकी संस्कृति से इनका दूर दूर तक नाता हो। पर कांग्रेस को देखिए, दिल्ली के दो लड़कों की लड़ाई के सहारे कर्नाटक में अपने डूबते हुए जहाज़ को किनारे तक पहुँचने के लिए लगे पड़े हैं।

इस लेख में पढिये कैसे विराट कोहली में कर्नाटक कांग्रेस अपना “कन्नड़ गौरव” खोज रही है, और कैसे इनके बहाने कांग्रेस कर्नाटक में सत्ता पे काबिज होना चाहती है।

Karnataka Assembly election: अवसरवाद का दूसरा नाम कांग्रेस

उत्तर प्रदेश की हवा में एक अलग ही खुशबू है। यहाँ लड़ाई के लिए माहौल नहीं बनाना पड़ता है, अपने आप ही व्यवस्था हो जाती है। अभी अभी उत्तम प्रदेश के उत्तम इकाना स्टेडियम में सोमवार  को विराट कोहली और गौतम गंभीर के बीच लड़ाई हो गई। ऐसा उपहार तो निब्बा निब्बी अपने संबंध के प्रथम माह पर नहीं देते, जैसे दोनों बंधु अपने झड़प के 10 वर्ष पूर्ण होने पर दिए हैं। लड़ाई तो पहले विराट कोहली और नवीन-उल-हक़ में हुई, परंतु बात गंभीर और कोहली में झड़प तक पहुँच गई। बस दिल्ली वालों की क्लासिक लड़ाई की भांति इस बार लात घूंसे नहीं चले, इसी बात की ग्लानि उत्तम प्रदेश वासियों को हमेशा रहेगी।

अब युगों पूर्व हमए परधान मंत्री कहे थे कि आपदा में अवसर खोजें। औरों का नहीं पता, परंतु कर्नाटक कॉन्ग्रेस ने तो गजब ही अवसर खोज निकाला है। इनके आईटी सेल वाले इस घटना को Karnataka Assembly election से जोड़ रहे हैं। चूंकि गौतम गंभीर पूर्वी दिल्ली से भाजपा के सांसद भी हैं, ऐसे में कॉन्ग्रेस समर्थक अब इस लड़ाई को लेकर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में फायदा उठाना चाहते हैं।

प्रोफेशन से बकैत पर मन से आज भी कांग्रेसी श्रीमान संजय झा फरमाते हैं, “गौतम गंभीर भारत के लिए खेला करते थे। लेकिन, भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने अपने स्तर को गिरा कर खुद को एक धौंस जमाने वाला राजनीतिक व्यक्ति बना लिया है। IPL मैच के दौरान जो भी हुआ, वो निंदनीय है। क्या Karnataka Assembly election में दिख रही हार के कारण भाजपा नेता इतने गुस्से में हैं?”

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सत्ता के लिए कुछ भी

हाँ जी, बिल्कुल ठीक सुने आप। दिल्ली के निवासी विराट कोहली दिल्ली के ही गौतम गंभीर से उत्तम प्रदेश के लखनऊ नगर में लड़े, परंतु कन्नड़ गौरव कौन? विराट कोहली। विश्वास नहीं होता तो अर्चना पवार नामक यूजर का ट्वीट देखिए, “भाजपा सांसद गौतम गंभीर घमंड को देखिए। वो कन्नड़ लोगों के गौरव, कप्तान विराट कोहली को धमकी दे रहे हैं। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ऐसा करने का अधिकारी दिया है? ऐसे खिलाड़ियों को किसी भी टीम के लिए नहीं चुना जाना चाहिए। 13 मई को कर्नाटक ज़रूर इन लोगों को सबक दिखाएगा।”

देखिए, इतना तो समझ में आता है कि सत्ता की तड़प सबको है, परंतु ऐसी?

इसी तरह, APJ नाम के यूजर ने लिखा, “भाजपा नेता गौतम गंभीर ने 7 करोड़ कन्नड़ जनता का अपमान किया है। जिस कप्तान विराट कोहली से हम इतना प्यार करते हैं, उनका उन्होंने अपमान किया है। आशा है कि चुनाव के दिन कर्नाटक सटीक जवाब देगा।” इसी तरह, निम्मो यादव नामक हैंडल ने LSG के कोच गौतम गंभीर को मानसिक इलाज की ज़रूरत तक बता दिया। शांतनु नाम के यूजर ने भी लिखा कि कन्नड़ जनता भाजपा को सबक सिखाएगी।

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क्या होगा कांग्रेस का …..

बता दें कि कोहली-गंभीर के बीच का झगड़ा एक दशक पुराना है। 2013 में जब गौतम गंभीर KKR (कोलकाता नाइट राइडर्स) के कप्तान थे और विराट कोहली RCB के, तब एक मैच में कोहली के आउट होने के बाद गंभीर ने कुछ कह दिया था, जिस पर तनातनी हुई थी। तब रजत भाटिया ने उन्हें अलग किया था। याद हो कि जब विराट कोहली ने अपना पहला शतक जड़ा था, तब गौतम गंभीर ने अपना ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ अवॉर्ड उन्हें दे दिया था। ये स्नेह बाद में झगड़े में बदल गया।

लेकिन जिस प्रकार से कांग्रेस इस झड़प से अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में लगी है, उसे देखते हुए इतना ही कहेंगे कि कांग्रेस को हमारे सहायता की सख्त आवश्यकता है। जैसे नन्हे मुन्ने बच्चे के हाथ से टॉफी छीनने पर वह बदहवास हो जाता है, वैसे ही कांग्रेस का ऐसा हाल हो गया है कि सत्ता में आने के लिए वह चौराहे पर नुक्कड़ नाटक करने को तैयार है। कोई तो सुने, किसी को उनकी बात समझ में आए, कोई तो वोट दे। ऐसी बेबसी ढूँढे से भी देखने को नहीं मिलती।

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