कमल हासन और नसीरुद्दीन शाह : भारतीय सिनेमा के ट्यूबलाइट

इसीलिए इन्हे कोई गंभीरता से नहीं लेता

Naseeruddin Shah trashes The Kerala Story: कल्पना कीजिए, कोई कार्यक्रम खत्म हो जाए, और उसके बारे में कोई व्यक्ति आगे आकर उपद्रव मचाए। आप भी सोचोगे, “पागल है क्या?” लेकिन फिर, वह अभिनेता कमल हासन और नसीरुद्दीन शाह का दैनिक पिरोग्राम भी है। “द केरला स्टोरी” के लगभग एक महीने बाद सभी उम्मीदों पर खरा उतरा और एक योग्य ब्लॉकबस्टर बनने के बाद, ये लोग अब इस फिल्म के विषय पर अपने सुवचन देते हैं।

इस लेख मे पढिये कि आखिर क्यों कमल हासन और नसीरुद्दीन शाह ने अत्यधिक सफल फिल्म “द केरला स्टोरी” की रिलीज के लंबे समय बाद इसकी आलोचना (Naseeruddin Shah trashes The Kerala Story) करने का बीड़ा उठाया है, और क्यों इसके पीछे वे उपहास का पात्र बने हुए हैं।

“The Kerala Story”: हर आँकलन को पछाड़ती एक अद्भुत ब्लॉकबस्टर

क्या आप सोच सकते हैं कि एक फिल्म, जिसका ट्रेलर उसके रिलीज से कुछ ही दिनों पूर्व प्रदर्शित हुआ हो, वह अचानक से पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच ले, और एक अद्वितीय ब्लॉकबस्टर बन जाए? परंतु फिर आप द केरल स्टोरी से परिचित नहीं होंगे।

सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और विपुल अमृतलाल शाह द्वारा निर्मित, “वक्त” और “कमांडो” जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, “द केरल स्टोरी” केरलवासियों के धोखे से धर्मांतरित होने और आईएसआईएस में शामिल होने के लिए सीरिया भेजे जाने के कष्टप्रद कथाओं की पड़ताल करती है। शुरुआती विरोध और इसके प्रभाव को कम करने के प्रयासों के बावजूद, फिल्म एक आश्चर्यजनक ब्लॉकबस्टर के रूप में उभरी। अदा शर्मा और योगिता बिहानी द्वारा अभिनीत, यह फिल्म लगभग 20 करोड़ के बजट पर बनी थी और दुनिया भर में 280 करोड़ से अधिक की कमाई कर चुकी है, जिसमें 220 करोड़ अकेले भारत से आए।

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आ गए नसीरुद्दीन और कमल

परंतु कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हे इस फिल्म की सफलता से विशेष पीड़ा होती है। इन्ही में से एक है कमल हासन। “द केरला स्टोरी” की जबरदस्त सफलता और सकारात्मक स्वागत के बावजूद कमल हासन फिल्म को लेकर परेशान नजर आते हैं। वह फिल्म पर मनमाने ढंग से प्रतिबंध लगाने को लगभग जायज ठहराते हैं और इसे प्रोपगंडा करार देते हैं। यह रुख हासन की कलात्मक अभिव्यक्ति की समझ और दर्शकों के साथ प्रतिध्वनित होने वाली फिल्म पर निर्णय पारित करने की उनकी तत्परता के बारे में सवाल उठाता है।

परंतु ये तो मात्र प्रारंभ था, क्योंकि घोर निद्रा के बाद मुल्ला नसीरुद्दीन (Naseeruddin Shah trashes The Kerala Story) को भी अपना ज्ञान बांचना था। वह फिल्म की सफलता को ‘एक खतरनाक प्रवृत्ति’ बताते हैं, जिसे प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। ये बयान नसीरुद्दीन की दर्शकों की पसंद को समझने और समग्र रूप से फिल्म उद्योग पर उनके शब्दों के प्रभाव के बारे में चिंता पैदा करते हैं। परंतु फिर ये स्मरण होता है कि ये नसीरुद्दीन शाह, इनसे शिष्टाचार की आशा करना मतलब के एल राहुल से विश्व कप जिताने की आशा करने समान है : पॉइंटलेस।

इसीलिए हैं उपहास का पात्र

निस्संदेह “द केरल स्टोरी” की उनकी अनुचित आलोचना ने एक सम्मानित कलाकार के रूप में दोनों की छवि को धूमिल किया है। एक मनमाना प्रतिबंध का समर्थन करने और पर्याप्त सबूत के बिना एक फिल्म को प्रोपगैंडा के रूप में लेबल करने की इनकी इच्छा उनकी विश्वसनीयता को कम करती है और विविध कहानी कहने की उनकी क्षमता के बारे में संदेह पैदा करती है।

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अब कमल हासन के पास फिर भी “विक्रम” जैसी फिल्म है, जिसकी आड़ में ये इस तरह का अनर्गल प्रलाप कर सकते हैं, परंतु हमें एक ऐसी फिल्म बताइए, जिसे पिछले दस वर्ष में अपने बल पर नसीरुद्दीन शाह ने हिट करवाई हो! “द केरला स्टोरी” के खिलाफ कमल हासन और नसीरुद्दीन शाह की हालिया नाराजगी के पीछे ये दोनों ही उपहास का पात्र बने हुए हैं। अपार प्रतिभा और प्रभाव वाले अभिनेताओं के रूप में, हासन और शाह के लिए यह आवश्यक है कि वे सावधानी बरतें और अपने स्वयं के प्रतिष्ठा पर उनके शब्दों के असर पर विचार करें। पर इन्हे अगर ये छोटी सी बात समझ में आती, तो ऐसा अनर्गल प्रलाप ही क्यों करते?

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