“बोए पेड़ बबूल के, तो आम कहाँ ते होय?” शायद उद्धव ठाकरे को इस कथन का सबसे कड़वा अनुभव हो रहा होगा। इनके नेतृत्व में महाराष्ट्र प्रशासन ने किस प्रकार राज्य वासियों का जीवन नारकीय बनाया था, ये किसी से नहीं छुपा है। परंतु कोविड में केवल इनका कुप्रबंधन ही चर्चा का केंद्र नहीं रहा। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोविड के नाम पर उद्धव प्रशासन ने कुछ ऐसा किया, जिसे जानकर निकृष्ट से निकृष्ट राजनेता भी कहेंगे: कुछ भी हो, ऐसे तो बिल्कुल न हैं!
इस लेख में, जानिये बीएमसी के घोटाले के बरे में, और इसमें शामिल लोगों के लिए क्या परिणाम होंगे, जिनमें उद्धव ठाकरे भी शामिल हैं।
एक स्वास्थ्य संकट का ऐसा दुरुपयोग?
कोविड-19 जंबो सेंटर घोटाले की जांच से धोखे और लालच का बेहद परेशान करने वाला स्तर सामने आया है। केंद्रों के संचालन के लिए जिम्मेदार ठेकेदार लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज (एलएचएमएस) पर निजी ठेकेदारों के साथ मिलकर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को अनुमानित 4,000 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है। नकली डॉक्टरों और मरीजों को कृत्रिम रूप से संख्या बढ़ाने और नागरिक निकाय से अधिक धन खींचने के लिए सूचीबद्ध किया गया था। सच में, गिद्ध राजनीति को बिल्कुल नया अर्थ मिल गया है।
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ईडी को संदेह है कि एलएचएमएस ने बीएमसी से धोखाधड़ी से अधिक धन प्राप्त करने के लिए भर्ती मरीजों की संख्या में हेरफेर किया। चौंकाने वाली बात यह है कि ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत डॉक्टरों के 80% नाम नकली थे, अधिकारियों द्वारा सत्यापन के बिना नकली बायोडाटा और प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए गए थे। यह रहस्योद्घाटन न केवल धोखाधड़ी की दुस्साहस की ओर इशारा करता है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के भीतर निगरानी और जवाबदेही तंत्र में एक गंभीर चूक को भी उजागर करता है। और हमें लगता था कि पिनराई विजयन से नीचे कोई नहीं गिर सकता।
A scam ₹12,500 crore in BMC under the leadership of Uddhavji..
मुंबई महापालिकेत ₹12,500 कोटींचा घोटाळा उद्धवजींच्या नेतृत्वात झाला. त्याची चौकशी आता…
उद्धवजी के नेतृत्व में मुंबई नगर निगम में ₹12,500 करोड़ का घोटाला हुआ। उसकी जांच अब…
(Modi@9 Grand Public Meeting, Kalyan |… pic.twitter.com/s14xqHvxzp— Devendra Fadnavis (Modi Ka Parivar) (@Dev_Fadnavis) June 23, 2023
वित्तीय अनियमितताओं से परे
घोटाले की सीमा वित्तीय अनियमितताओं से भी आगे तक जाती है। उक्त जांच में दवाओं और बॉडी बैग के लिए अत्यधिक शुल्क वसूलने, ओवरबिलिंग और आवास के लिए किए गए भुगतान का खुलासा हुआ है जब आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं थे। ये अतिरिक्त खुलासे सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और व्यक्तिगत लाभ के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के शोषण के बारे में चिंताएँ बढ़ाते हैं।
घोटाले में राजनेताओं और अधिकारियों की संलिप्तता ने सिस्टम की ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने संजय राउत के साथी सुजीत पाटकर और एलएचएमएस के खिलाफ कम से कम ₹100 करोड़ के अनुबंध प्राप्त करने में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कई माह पूर्व ही प्राथमिकी दर्ज की थी । इस मामले में आदित्य ठाकरे और संजय राउत के करीबी सूरज चव्हाण, राजीव नंदकुमार सालुंके और बाला रामचंद्र कदम को भी आरोपित पाया गया है। ईडी द्वारा व्हाट्सएप चैट, डायरी और नकद लेनदेन विवरण की पुनर्प्राप्ति ने जांच को और गहरा कर दिया है।
BMC Covid scam case | Searches revealed that a particular entity was supplying body bags for dead COVID-19 patients for Rs 2,000, while the said company supplied body bags for Rs 6,800 to the Central Procurement Department of BMC. The contract was given on instruction of the then…
— ANI (@ANI) June 23, 2023
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जवाबदेही और आगे की राह
महाराष्ट्र के मानवाधिकार आयोग ने एलएचएमएस और सुजीत पाटकर सहित प्रमुख व्यक्तियों और संगठनों को आपराधिक लापरवाही के आरोपों का जवाब देने का निर्देश दिया है, जिसके परिणामस्वरूप सीओवीआईडी रोगियों की मौत हुई है। जैसे-जैसे जांच जारी है, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जिम्मेदार लोगों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। व्यवस्था में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए कानून को निष्पक्ष रूप से और राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना लागू किया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र कोविड-19 जंबो सेंटर घोटाले ने भ्रष्टाचार, हेराफेरी और शोषण के गहरे गठजोड़ का खुलासा किया है। बीएमसी को बड़ी रकम का चूना लगाने में राजनेताओं, अधिकारियों और ठेकेदारों की कथित संलिप्तता स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के भीतर पारदर्शिता, जवाबदेही और सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती है, यह आवश्यक है कि सच्चाई का खुलासा किया जाए और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों को प्रभावी ढंग से और नैतिक रूप से संभालने की सरकार की क्षमता में विश्वास बहाल करने के लिए न्याय दिया जाए। उद्धव ठाकरे और उनके सहयोगियों का भाग्य अधर में लटका हुआ है, और यदि आरोप सही साबित हुए, तो उन्हें कारावास सहित गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
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