‘द्वारका एक्सप्रेसवे घोटाले’ का अधूरा सच!

तथ्यों के सिवा कुछ नहीं!

एक समय था जब भारत में करप्शन आम दिनचर्या सामान था. आज तो करप्शन का उल्लेख सुनते ही लोगों के कान खड़े हो जाते हैं. इसी बीच द्वारका एक्सप्रेसवे को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हुआ है. संसद में रिपोर्ट के अनुसार CAG ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इसके निर्माण में आवश्यकता से अधिक व्यय है.

अब ये CAG के विचार है, उनकी ड्यूटी है. इसपर अलग से वाद विवाद हो सकता है, परन्तु दो सरकारी विभागों में तनातनी का आम आदमी पार्टी कुछ अलग ही फायदा उठाना चाहती है. उदाहरणत  इन्होने केंद्र सरकार पर एक विशाल घोटाले को अंजाम देने का आरोप लगाया है.

भारतमाला परियोजना को आप देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों का वृहद स्तर पर निर्माण समझ सकते हैं, जिसके अंतर्गत द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण भी आता है। 74942 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए 2017 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने भारतमाला परियोजना को मंजूरी दी थी। उस समय 34800 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए 535000 करोड़ रुपए का बजट रखा गया था।

भारतमाला परियोजना और इसके लिए शुरुआत में जो बजट कैबिनेट समिति ने आवंटित की थी, उसके साथ द्वारका एक्सप्रेसवे को जोड़ कर देखने से समस्या होगी। अभी हो रही राजनीति भी इसी कारण से है। जमीन पर सड़क बनाने के औसत बजट को पूरी तरीके से एलिवेटेड और सुरंगों वाली प्रोजेक्ट (द्वारका एक्सप्रेसवे) के साथ कॉम्पेयर करना आम और संतरे की तुलना के बराबर है। तुलना अगर करनी ही है तो दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज और उसमें लगे बजट के साथ कीजिए (2018 और 2023 के बीच 5 साल में लागत के बढ़ते आँकड़ों को अगर दरकिनार कर भी दिया जाए तो)।

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आम आदमी पार्टी की मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि यह इतना बड़ा घोटाला है, जिसे खुद केंद्रीय एजेंसी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG: Comptroller and Auditor General) भी नहीं दबा पाई। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने 18 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर और 251 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर जैसे आँकड़े गिनाए

AAP की प्रियंका कक्कड़ ने 16 अगस्त 2023 को समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत को बिना अप्रूवल के ही बढ़ा दिया गया। आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि दिल्ली में कई सड़कें, कई फ्लाईओवर तय लागत से कम कीमत पर बना डाले।

परन्तु सत्य क्या है? द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 14 अगस्त 2023 को ही आँकड़ों सहित विस्तृत जवाब दे दिया था। मंत्रालय ने बताया था कि भारतमाला परियोजना के तहत 18.2 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत का आँकड़ा पूरी परियोजना के लिए था न कि सिर्फ द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए।

मंत्रालय ने यहाँ तक बताया था कि 18.2 से बढ़ कर 251 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर का जो आँकड़ा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दिया, वो तथ्यात्मक तौर पर सही नहीं है।

मंत्रालय ने हालाँकि स्वीकार किया है कि CAG के सुझाव पर ग्रेड आधारित निर्माण अगर किया जाता तो द्वारका एक्सप्रेसवे बनाने की औसत लागत 1200 करोड़ रुपए तक कम हो सकती थी। लेकिन इसमें एक बाधा थी। निर्माण की गति में कमी होती। इसके लिए मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग-48 का उदाहरण भी दिया।

और कृपया आम आदमी पार्टी तो नैतिकता पर ज्ञान न ही दे! जिस आम आदमी पार्टी की सरकार ने 266 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत से साल 2018 में सड़क बनाई, उसकी राष्ट्रीय प्रवक्ता साल 2023 में 251 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत से बने द्वारका एक्सप्रेसवे को लेकर सवाल खड़े कर रही हैं, ये सोचकर ही हंसी आती है.

 

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