वो क्या है, “लातों के भूत बातों से नहीं मानते”। परन्तु जयशंकर महोदय की फिलॉसोफी दूसरी है। कुछ लोगों अथवा राष्ट्रों के लिए उनकी बातें ही लातों के समान है, और इस बार कूटनीतिक धुलाई के पात्र बने श्रीमान जस्टिन ट्रूडो!
जाने कौन सा योग लगा है इस बेचारे को, जो कुछ भी कर रहा है, सब उल्टा हो रहा है। शांति की बात करो तो धमकी लगे, धमकी दो तो लोग हंसी में उड़ा दे! इसी अदूरदर्शिता पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर महोदय ने कनाडा को कूटनीति की मास्टरक्लास दी, और आज हमारी चर्चा इसी विषय पर होगी!
सीधी बात, नो बकवास!
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में ये जताने के बाद कि चंद देश सम्पूर्ण संसार के लिए निर्णय नहीं ले सकते, जयशंकर ने कनाडा को अपने तरीके से कूटनीति का पाठ पढ़ाया। उनके पाठ का विषय हरदीप सिंह निज्जर था, जिसकी ‘हत्या’ भारत और कनाडा के बीच के संबंधों को निम्नतम स्तर पे ला चुकी है। ऐसे में जब जयशंकर महोदय से इस विषय पर प्रश्न पूछे, तो उन्होंने बिना उग्र हुए कहा कि इस तरह के कृत्यों में शामिल होना “भारत सरकार की आधिकारिक नीति नहीं है”।
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत को जांच में सहयोग से कोई समस्या नहीं है, परन्तु कनाडा के पास ठोस प्रमाण भी तो होने चाहिए! उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर कनाडा के पास स्पष्ट साक्ष्य है, तो भारत को सहयोग में क्या परेशानी? परन्तु साथ ही साथ खालिस्तानी अलगाववादियों के विषय पर कैनेडियाई प्रशासन की बेरुखी को भी रेखांकित किया! जयशंकर का रुख स्पष्ट है: दूसरों पे ऊँगली उठाने से पूर्व अपने गिरेबान में भी झाँक ले ट्रूडो सरकार!
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“सबूत दिखाइए, हम सहयोग के लिए तैयार”
संयुक्त राष्ट्र के बाद जयशंकर ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जिसका संचालन भारत में अमेरिका के राजदूत रह चुके केनेथ जस्टर कर रहे थे। जयशंकर ने बिना लाग लपेट के कहा, “जहां तक अलगाववादी गतिविधि का सवाल है तो कनाडा में माहौल [खालिस्तानियों के] बहुत अनुकूल है।” इस कार्यक्रम में जब जयशंकर से हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा के लगाए आरोपों पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ”हमने कनाडा से कहा है कि ये भारत सरकार की नीति नहीं है। अगर आपके [ट्रूडो प्रशासन] पास कोई विशिष्ट जानकारी है तो हमें बताएं।”
परन्तु जयशंकर महोदय इतने पे नहीं रुके। उन्होंने ये भी बताया कि कनाडा में पिछले कुछ सालों के भीतर अलगाववादी ताकतों के चलते काफी हिंसा हुई है। जयशंकर ने कहा कि हमने उन्हें कनाडा से चलने वाले संगठित अपराध और उसके नेतृत्व के बारे में काफी जानकारी दी है। प्रत्यर्पण की कई रिक्वेस्ट भी पेंडिंग हैं। जयशंकर ने दो टूक कहा, “कई आतंकवादी नेताओं की भी पहचान हुई है… हमारी चिंता यह है कि कनाडा राजनीतिक कारणों से उनके प्रति काफी उदार रहा है। हमारे कॉन्सुलेट्स पर हमले हुए, डिप्लोमैट्स को धमकाया गया और कभी-कभी इसे यह कहकर सही ठहराया जाता है कि लोकतंत्र है, हमारे यहाँ ऐसे ही चलता है।”
इस समय कनाडा और भारत के राजनयिक रिश्ते बीते हफ़्ते से काफ़ी बिगड़े हुए हैं। राजनयिक संबंधों में कड़वाहट संभवत: सबसे निचले स्तर पर है, और बीते मंगलवार को कनाडा की सरकार ने कहा कि वो देश की राजनीति में विदेशी दखल को लेकर चिंतित हैं। वो अलग बात है कि अपने आरोपों को सिद्ध करने हेतु उन्होंने आवश्यक साक्ष्य अब तक साझा नहीं किये हैं!
बकवास के लिए कोई स्थान नहीं!
परन्तु जैसे जैसे वार्तालाप बढ़ी, ये स्पष्ट हो गया था कि जयशंकर के लिए डिफेंसिव तो मानो उनके शब्दकोष में ही नहीं था! जब खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आसपास की खुफिया जानकारी में फाइव आईज समूह की कथित भूमिका के बारे में पूछताछ की गई, साथ ही एफबीआई द्वारा अमेरिकी सिख नेताओं को “विश्वसनीय खतरों” के बारे में चेतावनी देने की रिपोर्टों के बारे में पूछताछ की गई, तो जयशंकर ने दृढ़ता से कहा, “मैं ऐसा नहीं हूं।” द फाइव आइज़ का हिस्सा; मैं निश्चित रूप से एफबीआई का हिस्सा नहीं हूं। इसलिए, मुझे लगता है कि आप गलत व्यक्ति से पूछ रहे हैं।”
हालाँकि, यह जयशंकर की कूटनीतिक कुशलता का सिर्फ एक उदाहरण था। भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर द्वारा संचालित एक अमेरिकी-आधारित थिंक-टैंक, काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (सीएफआर) में एक बातचीत के दौरान, पत्रकार डैनियल ब्लॉक ने फ्रीडम हाउस और वी-डेम लोकतंत्र स्कोर में भारत की गिरावट के विषय पर चर्चा की। .
परन्तु जयशंकर भी फुल फॉर्म में थे! उन्होंने पहले उक्त पत्रकार से सीधे मुद्दे पर आने का आग्रह किया, परन्तु जब महोदय नहीं माने, तो उन्होंने भी स्पष्ट कहा, “मुझे लगता है कि यह उस प्रश्न का उत्तर देता है यदि आप इसे समझने के लिए पर्याप्त वस्तुनिष्ठ होंगे। मुझे लगता है कि यह बहुत स्पष्ट रूप से कहता है कि जो लोग इन रिपोर्टों को लिख रहे हैं वे एक मजबूत पूर्वाग्रह रखते हैं, अक्सर वे तथ्यों को विकृत करते हैं। इनमें से कई रिपोर्टें उलझी हुई हैं, जिनका कोई सर पैर नहीं!”
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जयशंकर ने आगे ये भी बताया, “हमने उन्हें संगठित अपराध और नेतृत्व के बारे में बहुत सारी जानकारी दी है, जो कनाडा से संचालित होती है। बड़ी संख्या में प्रत्यर्पण अनुरोध हैं। कुछ आतंकवादी नेता हैं, जिनकी पहचान कर ली गई है… हमारी चिंता यह है कि राजनीतिक कारणों से यह (कनाडा) वास्तव में बहुत उदार रहा है।”
इसके अतिरिक्त ये भी सुनने में आ रहा है कि द वाशिंगटन पोस्ट के रिपोर्ट्स के अनुसार, हरदीप सिंह निज्जर की कथित “हत्या” में कनाडा की जांच संदेह के घेरे में है। यह इस राजनयिक गतिरोध के उभरते परिदृश्य पर प्रकाश डालता है। यह दर्शाता है कि जयशंकर के नेतृत्व में भारत ऐसे ट्रूडो प्रशासन को सस्ते में बिलकुल नहीं छोड़ने वाले, जो CCTV फुटेज के लिए भी स्थानीय निवासियों से महीनों बाद अनुरोध कर रहे हो।
सौ की सीधी एक बात, अब भारत अगर मगर, इंटरनेशनल प्रेशर इत्यादि के फेर में नहीं पड़ने वाला! एस जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि यदि कनाडा के पास कोई ठोस प्रमाण है, तो ही भारत उसकी बात को गंभीरता से लेगा, अन्यथा जब अमेरिका की गीदड़ भभकियों से हमें अंतर् न पड़ा, तो फिर ट्रूडो का कनेडा क्या है?
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