केंद्र सरकार का स्पष्ट रुख : मीडिया नहीं बन सकता आतंकियों का मंच!

चलो, देर आये दुरुस्त आये!

ऐसा लगता है कि केंद्र नरम पड़ने के मूड में नहीं है, खासकर उन लोगों के खिलाफ जो किसी भी तरह से भारत को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत करते हैं। इस संकल्प को ध्यान में रखते हुए, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 21 सितंबर को एक महत्वपूर्ण सलाह जारी की, जिसमें टेलीविजन चैनलों से आतंकवाद सहित गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे या कानून द्वारा प्रतिबंधित संगठनों से संबंधित व्यक्तियों को कोई भी मंच प्रदान करने से परहेज करने का आग्रह किया गया।

लेकिन ये एडवाइजरी क्यों जारी की गई है? 20 सितंबर को एक विशेष साक्षात्कार के लिए एबीपी न्यूज़ पर खालिस्तानी आतंकवादी और सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के प्रवक्ता गुरपतवंत सिंह पन्नून की उपस्थिति इसका कारण बनी। साक्षात्कार के दौरान, पन्नून ने कई टिप्पणियाँ कीं जिन्हें देश की संप्रभुता और अखंडता, भारत की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए हानिकारक माना गया और यहां तक कि देश में सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने की भी संभावना थी, जैसा कि मंत्रालय द्वारा बताया गया।

एडवाइजरी में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि यह एक टेलीविजन चैनल पर हाल ही में हुई चर्चा के जवाब में जारी किया गया था, जिसमें एक विदेशी देश में स्थित व्यक्ति दिखाया गया था, जो आतंकवाद सहित गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा है, और एक ऐसे संगठन से संबंधित है जिसे भारत में कानून द्वारा प्रतिबंधित किया गया है।
असल में ABP न्यूज ने ऑपरेशन ‘गद्दार’ टाइटल के साथ गुरपतवंत सिंह पन्नू का इंटरव्यू लिया था। इसमें एबीपी के एग्जीक्यूटिव एडिटर जगविंदर पटियाल ने पन्नू से बात की थी। इसमें पन्नू लगातार खालिस्तान के समर्थन की बात कर रहा है। साथ ही पंजाब को एक अलग देश बताने का राग अलाप रहा था। बावजूद जगविंदर पटियाल आतंकी को बार-बार ‘आप’ और ‘मिस्टर पन्नू’ कहकर संबोधित कर रहे थे।

यही नहीं जब पन्नू ने रेफरेंडम यानी जनमत संग्रह की बात की तो पटियाल ने पहले तो उससे कहा कि पंजाब में चुनाव होता है। वहाँ के लोग वोटिंग कर सरकार चुनते हैं। लेकिन जब पन्नू ने रेफरेंडम की बात की तो पटियाल के सुर बदल गए। उन्होंने कहा, “आप यहाँ आओ। अगर लोग आपके साथ खड़े हो जाएँगे आपको वहाँ का मुख्यमंत्री बना देंगे तो आप बातचीत करना। मैं आपसे कहता हूँ आप यहाँ आइए। मैं आपके साथ चलूँगा और पंजाब में रेफरेंडम करवाऊँगा। अगर लोग कहेंगे कि आपका एजेंडा ठीक है तो आप मुख्यमंत्री बन जाइएगा।”

ये वैसे भी कोई नई बात नहीं है। भारतीय पत्रकारिता भारतीयों के हित को छोड़ सबकी बात करते हैं। कई बार इन्होने ऐसे लोगों को मंच दिया जो वास्तव में देश के लिए बहुत बड़ा ख़तरा थे, जैसे यासीन मलिक, ज़ाकिर नाइक इत्यादि।

परन्तु अब भारत सरकार ऐसा कुछ भी स्वीकार नहीं करेगी। केंद्र सरकार द्वारा जारी बयान में यह भी कहा गया है कि इस इंटरव्यू के दौरान व्यक्ति ने कई ऐसे कमेंट किए गए थे, जो देश की संप्रभुता/अखंडता, भारत की सुरक्षा तथा अन्य देश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए हानिकारक हैं। साथ ही इससे देश में सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होने की भी आशंका है।

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