क्यों SRK की फिल्में “Genuine Success” नहीं मानी जाती?

कुछ तो गड़बड़ है!

तो मित्रों, ‘जवान’ के रिलीज़ को एक हफ्ता पूर्ण हो चुका है, और ये फिल्म चर्चा के केंद्र में भी है. परन्तु इसलिए नहीं कि इस फिल्म ने शाहरुख़ की खोई हुई प्रतिष्ठा लौटा दी है, अपितु इसलिए क्योंकि ‘पठान’ की भांति अब ये फिल्म भी संदेह के घेरे में आ चुकी है.

७ सितम्बर को प्रदर्शित ‘जवान’ ने ओपनिंग डे पर खूब धन अर्जित किया, परन्तु अगर अब तक का कलेक्शन देखें, तो ये घरेलू स्तर पर 400 करोड़ भी नहीं पार कर पाया। इसके 600 करोड़ के छलावे में न फंसे, इस फिल्म ने अब तक 370 करोड़ से कुछ अधिक ही कमाया है.

ये कैसे सम्भव है? जवान ने तो 600 करोड़ का बिजनेस किया है न? हाँ, परन्तु ये कुल आंकड़ा है. अगर इसमें से ओवरसीज़ कलेक्शन, और अन्य भाषाओँ का राजस्व हटा दें, तो इस फिल्म ने अब तक 350 करोड़ का कलेक्शन भी नहीं किया है.

आम तौर पर अगर कोई फिल्म हिट होती है, तो उसे एक निरंतर कलेक्शन रेट बनाये रखना होता. उदाहरण के लिए कोई 100 करोड़ की फिल्म बनाता है, और पहले दिन घरेलू कलेक्शन में 40 करोड़ कमा लेता है, तो फर्स्ट मंडे आते आते उसे कुछ नहीं तो 25 से 30 करोड़ का कलेक्शन तो अवश्य करना चाहिए. ये नहीं कि पहले दिन 40 करोड़ कमाए, इतवार तक 60 करोड़ और सोमवार को 20 करोड़ से भी कम!

परन्तु ‘जवान’ ने यही कारनामा किया है. अगर बुधवार तक की घरेलु कलेक्शन आंकी जाए, तो इसने हिंदी संस्करण से केवल 326 करोड़ से कुछ अधिक कमाया है. ये तब, जब इसका प्रथम दिन का हिंदी कलेक्शन 65 करोड़ से अधिक था. बजट के अनुपात में जवान का कुल घरेलू कलेक्शन [सारे भाषाओँ के संस्करण मिलाकर] मात्र 365 करोड़ से कुछ अधिक है. घरेलू स्तर पर ‘हिट’ कहलाने के लिए इस फिल्म को मिनिमम 450 करोड़ चाहिए, वो भी घरेलू कलेक्शन में!

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तो आखिर ऐसा क्या कारण है, कि ‘द केरल स्टोरी’, ‘गदर २’, यहाँ तक कि ‘ज़रा हटके ज़रा बचके’ जैसी फिल्में जनता द्वारा हाथों हाथ ली जाती है, जबकि लाख प्रयास के बाद भी शाहरुख़ खान की सफलताओं को लोग संदेह की दृष्टि से देखते हैं?

इसके दो प्रमुख कारण है: बजट और एंटरटेनमेंट. कलेक्शन चाहे जितना भी हो, परन्तु न तो ‘पठान’ और न ही ‘जवान’ वो उत्साह और कलेक्शन प्राप्त कर पाई, जो भयंकर क्लैश के बाद भी अनिल शर्मा की ‘ग़दर २’ ने अर्जित किया. इसपर जब लोगों को इसका वास्तविक बजट पता चला तो वे भौंचक्के रह गए. केवल 60 करोड़ में सन्नी पाजी ने वो मनोरंजन प्रदान किया, जो 300 करोड़ और अनगिनत PR के बाद भी शाहरुख़ मियां नहीं कर पाए. जब अक्षय कुमार की “OMG 2” तक इस मोर्चे पे बाज़ी मार ले, तो समझ जाइये दाल में कुछ काला नहीं, पूरी दाल ही काली है!

इसके अतिरिक्त यदि ‘जवान’ वास्तव में इतनी उत्कृष्ट होती, तो रविवार को 80 करोड़ के कलेक्शन के बाद सोमवार को मात्र 33 करोड़ पे नहीं गिरती! केवल ‘ग़दर 2‘ से इसकी तुलना करें तो प्रथम दिन के 40 करोड़ के कलेक्शन के  मुकाबले इसने प्रथम सोमवार को सीधा 38 करोड़ से अधिक का कलेक्शन किया, यानी ड्राप लगभग नगण्य! शायद इसीलिए तारा पाजी कहे थे, “मियां जब हसरतें औकात से ज़्यादा बढ़ जाएं, तो बर्बादी में समय नहीं लगता!

अंतिम बार जब शाहरुख़ खान की सक्सेस वास्तव में सक्सेस कहलाने योग्य थी, तो वह थी ‘डियर ज़िन्दगी‘, जहाँ वह लीड रोल में भी नहीं थे, परन्तु 46 करोड़ में बनी इस फिल्म ने घरेलू स्तर पर लगभग 95 करोड़ का कलेक्शन किया था. ऐसे में शाहरुख़ खान अब भी एक जेनुइन सक्सेस के लिए तरस रहे हैं, जो उनकी स्टार पावर के साथ न्याय करें!

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