क्या कभी सुना है कि थॉमस अल्वा एडिसन बल्ब जलाना भूल गए, या अलेक्जेंडर ग्राहम बेल टेलीफोन के तार जोड़ना भूल जाए? यदि नहीं, तो इंग्लैंड में आपका स्वागत है, एक ऐसा देश जो शायद दूसरों की मेहनत से कमाई गई संपत्ति को लूटने में कुशल है, लेकिन इसके अलावा हर क्षेत्र में फिसड्डी है, चाहे वह युद्ध हो, व्यंजन हो, या फिर अपने ही रचित खेलों में अपना कद बचाना ही क्यों न हो।
जिस तरह से पूर्व गत चैंपियन अब आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2023 से बुरी तरह बाहर होने की कगार पर हैं, उसका मुकाबला उनके पाक या राजनीतिक समकक्ष भी नहीं कर पाएंगे। उत्तम प्रदेस के उत्तम अटल बिहारी वाजपेयी स्मारक इकाना स्टेडियम में अंग्रेजों की वो धुलाई हुई है जो पाकिस्तान ने भी शायद ही सोची होगी, और जैसा कि इयोन मोर्गन ने खुद कहा , “मैंने कभी ऐसी खेल टीम नहीं देखी जिसने इस इंग्लैंड टीम की तरह खराब प्रदर्शन किया हो, अपेक्षाओं के स्तर को देखते हुए जो उनके कंधों पर है।”
कभी क्रिकेट पर एकछत्र राज करने वाली टीम इंग्लैंड अब अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है! तो नमस्कार मित्रों, और आइये जानते हैं कि क्यों इंग्लैंड बिना कोई ढंग का मैच खेले ही वर्ल्ड कप से चुपचाप खिसकने के मुहाने पर है, और क्यों आज इंग्लिश किरकिट उपहास का पात्र बना है।
अविजित सम्राट से रोत्लू तक की अद्वितीय यात्रा!
एक समय, खेल के आविष्कारक होने के नाते, इंग्लैंड में क्रिकेट उतना ही सामान्य था जितना कि पार्क में टहलना, या अपने आँगन में चाय की चुस्की लेना। ऐसा लगता था जैसे वे हाथ में बल्ला और गेंद लेकर पैदा हुए थे, और उनकी क्रिकेट प्रतिभा उनके राष्ट्र के ताने-बाने में बुनी हुई एक विरासत थी।
70 के दशक तक क्रिकेट के मैदान पर इंग्लैंड का वर्चस्व लगभग निर्विवाद था। उन्हें उनके ही क्षेत्र में हराना लगभग असंभव माना जाता था। वे पिच के राजा थे, और उनके प्रशंसक इसके साथ आने वाली महिमा का आनंद लेते थे।
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उनका प्रभुत्व ऐसा था कि जब वेस्टइंडीज ने पहला विश्व कप जीता था, तब भी तत्कालीन कप्तान टोनी ग्रेग ने यह घोषणा करते हुए कहा था कि इंग्लैंड विपक्षी टीम को “जमीन पर थिरकने” पर मजबूर कर देगा। लेकिन ओह, क्रिकेट के भगवानों में हास्य की कितनी भावना होती है। अहंकार से भरी वह टिप्पणी, शाब्दिक और आलंकारिक दोनों तरह से उलटी पड़ गई। धीरे-धीरे लेकिन लगातार, इंग्लैंड ने टेस्ट और एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट दोनों पर अपनी मजबूत पकड़ खो दी।
जैसे ही हमने 21वीं सदी में कदम रखा, एक समय की शक्तिशाली इंग्लैंड क्रिकेट टीम रोने-धोने वालों के झुंड में तब्दील हो गई लगती थी। वे उंगलियाँ उठाने में तत्पर थे, खेल कौशल की कमी के बारे में विलाप कर रहे थे जबकि स्वयं इसका कोई अभ्यास नहीं कर रहे थे।
पिछले साल ही, जब दीप्ति शर्मा ने अपरंपरागत ‘बार्करिंग‘ पद्धति (ईर्ष्यालु अंग्रेजों द्वारा गलत तरीके से ‘मैनकडिंग’ कहा गया) का उपयोग करके एक अंग्रेजी बल्लेबाज को आउट किया, तो अंग्रेजी क्रिकेट समुदाय ने हमारे देश पर हमला बोल दिया। उन्होंने हमें असभ्य, खेल कौशल के लिए अयोग्य कहा। वाह जी, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे?
शिष्टाचार की बातें कौन कर रहा है? वो, जो एक दमदार प्रतिद्वंदी को देखते ही गाली गलौज पे उत्तर आते हैं, या वो, बाउंड्री काउंट के आधार पर विश्व कप जीता? अभी तो हमने फुटबॉल में मैच हारने पर इनके प्रशंसकों के नौटंकियों पर चर्चा भी प्रारम्भ नहीं की है! यूरो कप के दंगाई याद दिलाऊं क्या?
इंग्लैंड का ये ह्रास तो होना ही था!
आप जानते हैं कि स्थिति वास्तव में कितनी नाजुक है जब श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसी टीमें, जो अभी अपने चरम पर भी नहीं हैं, मैदान पर आपको पटक पटक के धोये।
आप स्वयं सोचिये, इस विश्व कप में इंग्लैंड किसे हराने में कामयाब रहा? बस बांग्लादेश, एक ऐसी टीम जो शायद इस बार ‘Minnows’ के खिताब की एकमात्र हकदार है। नीदरलैंड और अफगानिस्तान जैसे देशों ने भी इन दोनों टीमों को टीम स्पिरिट और क्रिकेट में मीलों पीछे छोड़ा है।
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यहां तक कि 2019 आईसीसी विश्व कप में टीम को ‘अचानक जीत’ दिलाने वाले कप्तान इयोन मोर्गन भी अपना सिर खुजला रहे हैं। उनके अपने शब्दों में, “टीम के भीतर कुछ ऐसा है जो निश्चित रूप से अस्थिर है। वे जिस पद्धति का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं, और उनके नुकसान की पर्याप्त प्रकृति को देखते हुए, यह चेंजिंग रूम में मनोबल और उनके आत्मविश्वास पर सवाल उठाता है। यह होना ही चाहिए लंबे समय में अपने निम्नतम बिंदु पर हो।”
मॉर्गन ने इस बहाने को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि एक ही समय में सभी खिलाड़ी फॉर्म से बाहर हैं। वह इस बात पर जोर देते हैं कि इस क्रिकेट रहस्य में और भी बहुत कुछ है। कागज पर, इंग्लैंड के पास ऐसी बल्लेबाजी लाइनअप है जो टूर्नामेंट में किसी भी अन्य टीम को टक्कर दे सकती है, लेकिन जब यह सबसे ज्यादा मायने रखता था तब उन्होंने बल्लेबाजी नहीं की।
मैंने विभिन्न वर्गों और पूरे सोशल मीडिया पर अफवाहें सुनी हैं, जहां लोग कह रहे हैं “लंदन हैज फॉलेन।” अब, मुझे यकीन नहीं है कि यह पूरी तरह सच है, लेकिन क्रिकेट के क्षेत्र में, इंग्लैंड को भारत से 100 रनों की अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा, और कम स्कोर वाले मैच में, तो सच में “लंदन हैज फॉलेन !”
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