भारत ने UN के इज़राएल विरोधी प्रस्ताव को दिखाया ठेंगा, मनवाया अपना लोहा

कूटनीति इसे कहते हैं!

संयुक्त राष्ट्र के छिछोरपंती से निपटने के दो ही तरीके हैं! कुछ देश खुले तौर पर इसकी निंदा करते हैं, जबकि अन्य याचिकाओं की शक्ति पर भरोसा करते हैं। लेकिन भारत ने अपने अंदाज में  एक अलग रास्ता चुना. एक ऐसे कदम में, जिसे केवल साहसिक ही कहा जा सकता है, भारत ने सबसे कूटनीतिक तरीके से इजरायल को नीचे दिखाने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयास को निष्फल करने की भूमिका निभाई।

भारत ने ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (UNGA) में इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध को रोकने की अपील के प्रस्ताव की वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। शुक्रवार (27 अक्टूबर, 2023) को यूएनजीए में जॉर्डन के पेश किए इस प्रस्ताव में इजरायल पर हमला करने वाले इस्लामी आतंकी संगठन हमास का नाम तक नहीं था।

इस प्रस्ताव में गाजा पट्टी में बेरोकटोक मानवीय मदद पहुँचाने को लेकर भी अपील की गई। अब भारत ने इस प्रस्ताव से दूरी बनाने को लेकर कहा है कि वो इजरायल और फिलीस्तीन मुद्दे पर बातचीत के जरिए समाधान का समर्थन करता है, लेकिन इजरायल पर हमास के हमले की कड़ी निंदा करता है। वोटिंग से दूर रहने को लेकर संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप दूत योजना पटेल ने भारत की बात रखी।

योजना पटेल के अनुसार, “ऐसी दुनिया में जहाँ मतभेदों और विवादों को बातचीत से हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा को लेकर गहराई से फिक्रमंद होना चाहिए। वह भी तब, जब यह इतने बड़े पैमाने और तेजी से हो रही हो जो कि बुनियादी मानवीय मूल्यों का अपमान हो। राजनीतिक उद्देश्य को प्राप्त करने के साधन के तौर पर हिंसा अंधाधुंध नुकसान पहुँचाती है और किसी भी टिकाऊ समाधान की राह नहीं दिखाती है।”

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उन्होंने आगे कहा कि 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए आतंकी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के लायक हैं। हमारी संवेदनाएँ बंधक बनाए गए लोगों के साथ भी हैं। हम उनकी तत्काल और बगैर शर्त रिहाई की माँग करते हैं। आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई हदें, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती। दुनिया को आतंकवादी कृत्यों के किसी भी औचित्य पर यकीन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आइए हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता का नजरिया अपनाएँ।

यूएन में देश की उप स्थायी प्रतिनिधि पटेल ने कहा कि गाजा में चल रहे संघर्ष में हताहतों की संख्या एक गंभीर, संगीन और लगातार चिंता पैदा करने वाला विषय हैं। नागरिक, खासकर महिलाएँ और बच्चे अपनी जान देकर इसकी कीमत चुका रहे हैं। इस मानवीय संकट को संबोधित करने की जरूरत है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के कोशिशों और गाजा के लोगों को मानवीय मदद देने का स्वागत करते हैं। भारत ने भी इस कोशिश में योगदान दिया है।

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