कुछ लोगों के कार्य ऐसे हैं, कि हर व्यक्ति उनके अगले निर्णय के बारे में जानने को उत्सुक है, और कुछ लोग तो ऐसे होते हैं, जिनके कारनामों को देखकर एक ही बात मस्तिष्क में आती है: “ये फिर आ गया?”
आज कुछ भी हो, अपना पड़ोसी मुल्क इस बात पर चैन से सो सकता है, कि चलो कोई तो है जो हमसे अधिक हिन्दुस्तानियों के अपशब्दों के योग्य है। जी हाँ, एक बार फिर जस्टिन ट्रूडो चर्चा के केंद्र में है, और इस बार भी, गलत कारणों से।
अब वह भारत के साथ अपनी तनातनी को वैश्विक बनाना चाहते हैं, और इनके करतबों को देखकर एक बार को पाकिस्तानी भी कह दे, “या खुदा, इतना नीचे तो हम भी नहीं गिर सकते!” असल में इज़राएल के घावों को अपनी बैसाखी बनाकर ट्रूडो भारत को नीचा दिखाने पर उद्यत है, वो अलग बात है कि कोई इन्हे घास भी नहीं डालता!
तो स्वागत है आप सभी का, और आज हमारी चर्चा इस बात पर होगी कि आखिर क्यों इज़राएल के घावों पर ट्रूडो अपने हितों के लिए नमक तक रगड़ने को तैयार है, और क्यों ट्रूडो भारत के साथ अपनी तनातनी का बतंगड़ बनाकर वैश्विक स्तर पर कनाडा की नाक कटवाने को आतुर है!
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“भारत के विरुद्ध एक्शन लीजिये न!”
हमास द्वारा किये गए आतंकी हमलों के प्रत्युत्तर में इज़राएल ने ताबड़तोड़ वार किये हैं! इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी जिस प्रकार से आतंकवाद के विरुद्ध इज़राएल मोर्चा सम्भाला हुआ है, उससे कई देश अभिभूत है, और भारत जैसे देशों ने स्पष्ट किया है कि कूटनीतिक मोर्चे पर इज़राएल को अलग थलग नहीं होने दिया जायेगा।
परन्तु हर कोई भारत जैसा निश्छल भाव तो नहीं रखता, कुछ जस्टिंडर ट्रूडो जैसे भी होते हैं! कनाडा सरकार के मुताबिक जस्टिन ट्रूडो ने जॉर्डन किंग से बातचीत के दौरान भारत-कनाडा विवाद पर पूरा अपडेट दिया और कहा कि कानून के शासन को बनाए रखना विएना कन्वेंशन का सम्मान करना सभी के लिए महत्वपूर्ण है. जॉर्डन के राजा से बातचीत के दौरान ट्रूडो ने इजरायल पर हमास के हमले की भी निंदा की. कहा कि इस लड़ाई में कनाडा, इजरायल के साथ खड़ा है. कनाडा सरकार पूरे मामले पर नजर रख रही है और अपने अंतररराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ लगातार संपर्क में है! बोल तो ऐसे रहे थे मानो इस क्रांतिकारी खोज के लिए नोबल समिति इन्हे नोबल पीस प्राइज़ से सम्मानित करेगी, पर शायद कर भी दे, ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए! कुछ भी हो सकता है!
Amusingly, the Jordanian statement has no mention of the discussions on India. Appears that the line already dead by the time Trudeau brought it up. pic.twitter.com/X7npzLbGmL
— Sanjeev Sanyal (@sanjeevsanyal) October 10, 2023
अब, आप सोच रहे होंगे कि आख़िर भारत का इसराइल-हमास झगड़े से क्या लेना-देना है? यह निश्चित रूप से सिर खुजलाने वाली बात है! ऐसा लगता है जैसे ट्रूडो पाकिस्तान और चीन की कतार में शामिल हो गए हैं, जो दिन-रात राग भारत अलापने से खुद को रोक नहीं पाते। जैसे पाकिस्तान कश्मीर का फटा हुआ ढोल लेकर संसार भर में भीख मांगते फिरते हैं, ट्रूडो साहिब “राजनयिक मार्ग” अपना रहे हैं, भले ही अंतिम परिणाम निल बटे सन्नाटा हो!
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि जॉर्डन भी ट्रूडो चचा जितना बेरोज़गार है! बिल्कुल नहीं। वास्तव में, किंग अब्दुल्ला द्वितीय के कार्यालय के रीडआउट में ट्रूडो के भारत के आरोपों का उल्लेख तक नहीं किया गया। भारतीय इतिहासकार संजीव सान्याल ने ठीक ही कहा है, “आश्चर्यजनक रूप से, जॉर्डन के बयान में भारत पर चर्चा का कोई जिक्र नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि जब ट्रूडो ने इसे जब उठाया तब तक यह मुद्दा निरर्थक हो गया।”
भगवान बचाये कैनेडा को!
लगता है किसी ने ट्रूडो चचा को ये नहीं बताया कि एक ख़राब तंज की रेहड़ी नहीं पीटते! या हो सकता है कि कुछ लोगों ने साहस किया हो, लेकिन ऐसा लगने लगा है कि जस्टिन ट्रूडो ने जीवन के गूढ़ रहस्यों को नजरअंदाज करने में पीएचडी कर ली है।
सही कहा है किसी ने, “आप एक मूर्ख को शिक्षित कर सकते हैं, लेकिन आप उसे चिंतन के लिए विवश नहीं कर सकते!” और, मेरे दोस्तों, यह हमारे प्रिय जस्टिन, या हमें कहना चाहिए, जस्टिन ट्रूडो पर चरितार्थ हो सकता है।
जिन्हे अब भी मूल विषय का ज्ञान न हो, उनकी विशेष सूचना के लिए सितम्बर के अंत के निकट जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की ‘हत्या’ को लेकर भारत पर निशाना साधने का प्रयास किया था! 19 सितंबर को वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट से पता चला कि कैसे हमारे कनाडाई प्रधान मंत्री ने भारत-कनाडा मुद्दे को उठाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े लोगों से समर्थन जुटाने की कोशिश की। परन्तु भारत की ओर से कूटनीतिक आलोचना के डर से उन सभी ने उसे नजरअंदाज कर दिया।
पर आपको लगता है कि जस्टिन ने अपना सबक सीख लिया होगा? गलत! ऐसा प्रतीत होता है कि उसने भारत से शत्रुता करना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। मजेदार बात यह है कि वह हर मोड़ पर औंधे मुंह गिर रहा है। कहीं न कहीं पाकिस्तान को भी लगता होगा, “लाख बुरे कर्म हो अपने, परन्तु इतने बुरे दिन तो हमारे भी न आये!”
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जब प्रमुख महाशक्तियों ने खुद को उससे दूर कर लिया, तो जस्टिन ने अपने भरोसेमंद साथी: मीडिया की ओर रुख किया। लेकिन यहां भी बंधु को निराशा ही मिली- स्थानीय समाचार पोर्टलों ने तुरंत कन्नी काट ली, और फाइनेंशियल टाइम्स और द वाशिंगटन पोस्ट जैसे अंतरराष्ट्रीय दिग्गजों ने भारत के मामले को और भी मजबूत कर दिया।
ऐसा लगता है जैसे ट्रूडो खराब जीपीएस के कारण एक खोए हुए पर्यटक की तरह कूटनीतिक चक्रव्यूह में बुरी तरह पिट रहा है! सबसे पहले, वह जॉर्डन के राजा के साथ बातचीत करने के लिए गाजा संकट का कार्ड निकालता है, और साथ ही वह चुपचाप भारत के बारे में भड़ास निकालने की कोशिश करता है। कौन जानता है, उसने उन कनाडाई ट्रक ड्राइवरों के बारे में भी कुछ शिकायत की होगी जो उसकी नीतियों पर हंगामा कर रहे हैं। कोई तो सुन ले, कोई तो कहे कि तुम्हारी बातों में कुछ गलत नहीं है! परन्तु ये जीवन है, परिकथा नहीं!
ट्रूडो के इन्ही कर्मों के पीछे भारत ने कूटनीतिक रूप से इन्हे लगभग अस्पृश्य बना दिया है, और इनके लिए वीज़ा सेवा भी रद्द कर दिया है! परन्तु एक प्रश्न तो अब भी व्याप्त है: क्या जस्टिन ट्रूडो इन सब से सबक लेंगे? इसकी आशा नगण्य है, और यही कनाडा वासियों के लिए सबसे कष्टकारी तथ्य है, जिससे वह चाहकर भी मुंह नहीं मोड़ सकते!
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