भारतीय राज्य चुनाव 2023: मीडिया मेल्टडाउन, भाजपा की जीत, और 2024 का पूर्वानुमान

यह रविवार भारतीय राजनीति में, विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ा दिन था। उन्होंने तीन राज्यों अर्थात मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की जडें खोद डाली। इन राज्यों में नवंबर में चुनाव हुए थे। भाजपा की जीत की सुनामी कुछ ऐसी है, कि दुनिया भर की मीडिया सकते में है।

न्यूयॉर्क टाइम्स, जिसे अक्सर एक उदारवादी न्यूज़पेपर के रूप में चिह्नित किया जाता है, वे काफी नरम पाए गए। कल तक ये कहते नहीं थक रहे थे कि मोदी जी का समय हुआ समाप्त और चुनाव में होंगे बर्बाद, लेकिन हाय-ऐसा लगता है कि वे बहुत जल्दी बोल गए। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की भीषण जीत के साथ, वे मुह में मिटटी लगाये घूम रहे हैं।

NYT को मानना पड़ा की कांग्रेस बर्बाद हो चुकी है, उनकी एक एनालिस्ट आरती जेराथ ने तो यह तक कह दिया की २०२४ में मोदी ही मोदी होने वाला है।

NYT ने यह भी कहा कि मोदीजी डबल गेम खेलते हैं – एक तरफ तो विकासपुरुष की छवि और दूसरी और हिन्दू ह्रदय सम्राट। उन्होंने ये भी कहा की राज्य चुनाव में भाजपा की हालत खस्ता थी लेकिन मोदी जी के पोस्टर जैसे ही लगे एकदम से वक़्त बदल गया, समां बदल गया, माहौल बदल गया।

NYT लगभग भक्तात्मक टोन में कहता है कि मोदी को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। इसलिए ये कभी कोई इलेक्शन नहीं हारे और आगे भी नहीं ही हारेंगे। कांग्रेस बस उनके रिटायरमेंट की प्रतीक्षा कर सकता है।

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आइये अब ब्लूमबर्ग की बात करते हैं – ब्लूमबर्ग वाले अन्दर से रोते हुए ऊपर से मुस्कुरा रहे थे। एक हफ्ते पहले कहते थे कि मोदी केंद्र से नहीं जायेंगे लेकिन राज्यों से तो खदेड़े जायेंगे। राम राम पहले बोल दिए ये लोग भी। अब कह रहे हैं कि स्टेट चुनाव से कभी भी आम चुनाव की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। मतलब माइक मिला है तो कुछ भी बोलेंगे चाहे खुद को contradict ही क्यों न करना पड़े।

ब्लूमबर्ग ने लगभग भारतीय वोटरों को ही blame करते हुए कहा कि राहुल भाई ने तो जातीय असमानता और बेरोज़गारी के मुद्दे उठाये थे लेकिन भारतीय जनता ने उन्हें नकार दिया मतलब राहुल जी सही, जनता पागल। एक पड़ा न गुद्दी पे तो ब्लूम अलग गिरेगा और बर्ग अलग। जिस पार्टी ने देश को केवल जाती पाती में बांटा हो, और साठ साल तक अकंटक राज्य भोग कर भी जॉब्स न दे पायी हो वो ये सब बोल भी कैसे सकती है।

Reuters, सदैव सीढ़ी सपाट बातें बोलता है, इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ – उन्होनें कहा की प्रधानमंत्री मोदी अयोध्य हैं और इन चुनावों से यदि कोई निष्कर्ष निकलता है तो वो यह कि २०२४ में मोदीरथ कोई नहीं रोज सकता, उन्होंने विपक्षी एकता के बारे में बात कि कहने को तो २८ पार्टियों का इंडिया अलायन्स नामक गठजोड़ है लेकिन स्टेट में सब कांग्रेस को छोड़ के भाग लिए और भाजपा ने कांग्रेस को आसानी से हरा दिया।

AFP ने कहा कि इस प्रचंड जीत से भाजपा की हिम्मत और बढ़ेगी और मोदी का मार्ग प्रशस्त होगा। राहुल गाँधी में उन्होंने कहा कि ५३ साल के राहुल गांधी मोदी के सामने पस्त ही दिखते हैं।

सबसे अधिक आग अगर किसी को लगी तो वो है थे इकोनॉमिस्ट। मोदी जी से जन्मजात वैर रखने वाली ये ब्रिटिश पब्लिकेशन चुनावों से पहले मोदी जी के विनाश की भविष्यवाणी कर रही थी। अब कह रही है – भारत के गरीब उत्तर और अमीर दक्षिण का अंतर अब और गहरा गया है। क्योंकि जहाँ पढ़े लिखे अमीरों ने तेलंगाना में कांग्रेस को जिताया वहीँ गरीब और नार्थ इंडियन्स ने भाजपा को वोट दिया। वोटर शेमिंग का इससे घटिया उदहारण कहाँ मिलेगा। इकोनॉमिस्ट ने कहा कि तेलंगाना का हाथ से निकल जाना मोदी के लिए बड़ी हार है। निकल जाना? पर तेलंगाना था ही कब हाथ में।

इकोनॉमिस्ट की कुंठा ठीक ही है। हार गए तो तो गरीब अनपढ़ और अगर जीत जाते तो सो ब्यूटीफुल, सो एलिगेंट, जस्ट लूकिंग लाइक अ वाओ नार्थ इन्डियंस हो जाते। यार हारो तो ठीक सम्मान से हारो ये सब क्या बकवास है। और कौन सा गरीब भाई। ४ साल में यूपी में क्या हुआ भूल गए। मध्य प्रदेश को मामा जी कहाँ से कहाँ लेके आये भूल गए।

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