डॉक्टर को लोग भगवान के रूप में देखते है पर क्या किया जाए जब वही डॉक्टर राक्षस बन जाए। आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही डॉक्टर की जिसने पैसे कमाने की चाह में उन लोगों को कीमोथेरेपी देदी जो बिल्कुल स्वस्थ थे या जिनको कैंसर नहीं था अर्थात कीमोथेरेपी की आवश्यकता नहीं थी। हम बात कर रहे हैं डॉक्टर फरीद फता की।
1965 में लेबनान के बाबदा जिले के फरशिमा में एक ग्रीक-कैथोलिक परिवार में जन्मे फता ने लेबनानी गृहयुद्ध के अशांत वर्षों के दौरान अपनी चिकित्सा की पढ़ाई प्रारंभ की। मेडिकल करियर की तलाश में वे 1992 में ऑन्कोलॉजी में विशेषज्ञता के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चला गया। अमेरिका जाने बाद ही फरीद फता का असली खेल प्रारंभ हुआ। आइए जानते है कैसे फरीद फता ने पैसे कमाने के लालच में आम लोगों के जीवन को नारकीय बना दिया।
फरीद फता लेबनानी मूल के पूर्व हेमेटोलॉजिस्ट और अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़े स्वास्थय देखभाल धाखाधड़ी का मास्टमाइंड था। फता मिशिगन हेमेटोलॉजी-ऑन्कोलॉजी (एमएचओ) का मालिक था, जो एक समय पर मिशिगन में सबसे बड़ी कैंसर संस्थानों में से एक थी।
फता को 2013 में उन मरीजों को कीमोथेरेपी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जो स्वस्थ थे या जिनको कैंसर नहीं था अर्थात कीमोथेरेपी की आवश्यकता नहीं थी। फता को 2014 में स्वास्थ्य देखभाल धोखाधड़ी, रिश्वत देने और प्राप्त करने की साजिश रचने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में दोषी ठहराया गया। 10 जुलाई 2015 में फता को 45 साल की सजा सुनाई गई थी।
1992 में फरीद फता ने लेबनानी मेडिकल एसोसिएशन के समक्ष शपथ ली। ये वही शपथ है जो हर डॉक्टर लेता है जिसे हिप्पोक्रेटिक शपथ कहते हैं। इस दौरान रोगियों की देखभाल, गोपनीयता और उन्हें कोई नुकसान न करने की प्रतिबद्धता जैसे सिद्धांतों को बनाए रखने की प्रतिज्ञा ली जाती है और फता ने भी यही प्रतिज्ञा ली।
फता की यात्रा विदेशों में फलने-फूलने वाले लेबनानी प्रवासियों की सामान्य सफलता की कहानियों से अलग थी। फता को लेकर मिशिगन संघीय अभियोजक बारबरा मैकक्वाडे ने संक्षेप में कहा कि, वह संयुक्त राज्य अमेरिका के “इतिहास का सबसे बड़ा धोखेबाज डॉक्टर” था।
मैकक्वाड ने फता के मुकदमे के दौरान कहा कि कई मायनों में वह दुनिया की सबसे बड़ी पोंजी स्कीम के फाइनेंसर बर्नी मैडॉफ से भी बदतर है, इसमें उसने न केवल अपने पीड़ितों के बैंक खातों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि उनके शरीर को भी खोखला कर दिया।
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लेबनान से संयुक्त राज्य अमेरिका तक
मेडिकल करियर की तलाश में 1992 में फता ऑन्कोलॉजी में विशेषज्ञता के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका आया था। ब्रुकलिन के मैमोनाइड्स मेडिकल और मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर जैसे प्रसिद्ध संस्थानों में रहने के बाद, उसने 2003 में मिशिगन में अपना अभ्यास प्ररांभ करने से पूर्व पेंसिल्वेनिया में एक चिकित्सक के रूप में अपना करियर प्रारंभ किया।
फता अमेरिका में सिर्फ एक डॉक्टर बनने की इच्छा से नहीं आया था उसकी कई बड़ी-बड़ी महत्वाकांक्षाएं थी। फता ने न केवल मिशिगन में बल्कि पूरे देश में कैंसर के खिलाफ लड़ाई लड़ने में एक प्रमुख व्यक्ति बनने पर ध्यान केंद्रित करना प्रारंभ कर दिया था।
फरीद फता ने तेजी से अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की और उसके करिश्मे और उसके निस्वार्थता ने उसे अपने रोगियों का प्रिय डॉक्टर बना दिया। केवल आठ वर्षों की अवधि में ही उसने मिशिगन हेमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी (एमएचओ) नाम से सात क्लीनिक सफलतापूर्वक स्थापित कर लिए थे।
दरअसल, फता द्वारा रोगियों की देखभाल के लिए किए जा रहे काम पहली नजर में अच्छे लग सकते हैं, पर फता द्वारा जो प्रणाली लागू की गई थी वह अधिक से अधिक लाभ कमाने के लिए डिजाइन की गई थी। इस माध्याम से फता ने तेजी से पर्याप्त संपत्ति अर्जित की।
फता की भ्रामक प्रथाएं
2014 में अपने मुकदमे के दौरान, फता ने अपना अपराध स्वीकारा। फता ने बताया कि उसने मरीजों को गुमराह किया। फता ने बताया कि उसने रोगियों को अनावश्यक होने पर भी कीमोथेरेपी लिख दी। वहीं, 2007 और 2013 के बीच 553 से अधिक रोगियों को संभावित रूप से हानिकारक यहां तक कि घातक इंजेक्शन भी दिए गए।
लोगों को दिया धोखा
वहीं, संदेह से बचने के लिए फता ने अपने आस-पास के लोगों को भी धोखा दिया, यह दावा करते हुए कि उसके उपचार एक क्रांतिकारी “यूरोपीय” या “फ्रांसीसी” प्रोटोकॉल पर निर्धारित है। यहां तक कि उसने दवाओं के अपने अपरंपरागत उपयोग की प्रभावशीलता को प्रमाणित करने के लिए एक फर्जी चिकित्सा दस्तावेज भी बनाया था।
ताश का घर ढह गया
2007 तक फता अपने समुदाय में लेबनानी और अमेरिकी अभिजात वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा था। हालांकि, उसके इस अपराध का पतन होना संभव था। एक मरीज मैगी डोरसी ने फता पर केस दर्ज कराया था। दरअसल, मैगी डोरसी का सात महीने की कीमोथेरेपी के कारण चलना-फिरना मुश्किल हो गया था। तब उसे पता चला कि उसे कैंसर नहीं है। हालांकि इस में मामले को 2009 में कोर्ट के बाहर ही सुलझा लिया गया था।
फता पर किए गए दोषसिद्धि
10 जुलाई 2015 में फता को जानबूझकर गलत निदान करने और अनावश्यक उपचार निर्धारित करने, अमेरिकी बीमा कंपनियों को अनुमानित $35 मिलियन का चूना लगाने का दोषी ठहराया गया। फता को 45 साल की सजा सुनाई गई, जिसमें पूर्व रोगियों और उनके परिवारों को 26.5 मिलियन डॉलर की क्षतिपूर्ति का प्रावधान भी था। दूसरी ओर उसकी पत्नी समर जो एमएचओ की सीएफओ थी वो कथित तौर पर अपने बच्चों के साथ लेबनान भाग गई। वहीं, फता की अब तक की सभी न्यायिक अपीलों को खारिज कर दिया गया है। फता द्वारा दिनांक 23 फरवरी 2021 में किए सबसे ताजा अनुरोध को भी कोर्टा ने खारिज कर दिया है।
पीड़ितों पर प्रभाव
फता के धोखे के परिणाम ने उसके पीड़ितों के बीच तबाही का निशान छोड़ दिया है। दर्जनों पीड़ितों ने खुलासा किया कि अनावश्यक कीमोथेरेपी ने उन्हें कैसे नुकसान पहुंचाया है। रक्त कैंसर का गलत निदान होने के बाद रॉबर्ट सोबिरे ने अपने लगभग सभी दांत खो दिए। अनावश्यक कीमोथेरेपी से गुजरने वाली मैगी डोर्सी गंभीर ऑस्टियोपोरोसिस और दर्दनाक न्यूरोपैथी से पीड़ित हो गई हैं। एक अन्य मरीज सीसी ने बताया कि 177 अनावश्यक कीमो कराने के कारण उसके मूत्राशय, आंत और गुर्दे की समस्याएं इतनी गंभीर हो गई कि वह अब बुनियादी कार्य भी नहीं कर पाती है।