लंबे गए इमरान खान 

पाकिस्तान के आम चुनाव से पहले पूर्व पीएम इमरान खान को बड़ा झटका लगा है। सिफर मामले में इमरान खान को 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई है।

इमरान खान, सिफर केस, तोशाखाना केस, पाकिस्तान

पाकिस्तान के आम चुनाव से पहले पूर्व पीएम इमरान खान को बड़ा झटका लगा है। सिफर मामले में इमरान खान को 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा शाह महमूद कुरैशी को भी 10 साल की सजा सुनाई गई है। इमरान खान की पार्टी ने पुष्टि करते हुए बताया कि सिफर मामले में ये फैसला आया है।

इमरान और कुरैशी की मौजूदगी में ही जज अबुल हसनत जुल्करनैन ने यह फैसला सुनाया। पिछले साल से ही केस की सुनवाई अदियाला जेल में चल रही है। सुनवाई के दौरान जज जुल्करनैन ने PTI नेताओं से कहा कि उनके वकील अदालत में पेश नहीं हुए हैं और उन्हें सरकारी वकील दिए गए हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा कि कुरैशी और इमरान से धारा 342 के तहत सवाल पूछे गए थे। हालांकि, कुरैशी ने कहा कि उनके वकील मौजूद नहीं हैं तो वे अपना बयान नहीं दर्ज करा सकते हैं। पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव हैं। ऐसे में करीब 1 हफ्ते पहले आया यह फैसला इमरान के राजनीतिक करियर के लिए खतरनाक हो सकता है।

वहीं, इसी बीच बुधवार अर्थात आज ही तोशाखाना मामले में भी पाकिस्तान की एक अदालत ने इमरान खान को 14 साल की जेल की सजा सुनाई है। इमरान के साथ उनकी पत्नी को भी 14 साल के कठोर कारावास की सजा दी गई है। 

इससे पहले इमरान खान को 5 अगस्त 2023 को तोशाखाना मामले में 3 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। इस्लामाबाद की ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए खान के 5 साल तक चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया था। इसके बाद लाहौर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

और पढ़ें:- मारुति को पछाड़ देश की सबसे मूल्यवान कंपनी बनी टाटा मोटर्स

क्या है सिफर मामला

अप्रैल 2022 में सरकार गिरने के बाद इमरान की तरफ से लगातार दावा किया गया कि उनकी सरकार गिराने के लिए अमेरिका और उस वक्त के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने साजिश रची। खान का आरोप है कि उन्हें इस साजिश की जानकारी अमेरिका में उस वक्त के पाकिस्तानी ऐंबैस्डर असद मजीद खान ने एक सीक्रेट लेटर के जरिए दी थी। डिप्लोमैटिक टर्म में इसी लेटर को सायफर कहा जाता है।

यह सिफर अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट यानी फॉरेन मिनिस्ट्री की तरफ से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को भेजा गया था। इमरान इस लेटर को साल 2022 में कई चुनावी रैलियों में लहराते हुए नजर आए थे। उन्होंने दावा किया था कि उनकी सरकार को अमेरिका के इशारे पर फौज ने गिराया। कानूनी तौर पर ये लेटर एक नेशनल सीक्रेट होता है, जिसे सार्वजनिक जगह पर दिखाया नहीं जा सकता।

इसके अलावा खान का एक ऑडियो टेप भी वायरल हुआ था। इसमें इमरान, उस वक्त के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और चीफ सेक्रेटरी आजम खान की आवाजें थीं। फोरेंसिक जांच में यह साबित हुआ कि ऑडियो सही है, इससे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी। टेप में खान कुरैशी और आजम से कहते हैं- अब हम इस सायफर को रैलियों में दिखाकर इससे खेलेंगे।

तोशाखाना मामला क्या है?

तोशखाना नियम – राज्य के खजाने से उपहारों से संबंधित – कहते हैं कि सरकारी अधिकारियों को तब तक उपहार रखने की अनुमति है जब तक वे उनके लिए कीमत चुकाते हैं। हालांकि, उपहार पहले जमा किए जाने चाहिए। यानी ये उपहार पहले सरकार के खजाने में जाने चाहिए। तोशाखाना कैबिनेट डिवीजन के अंतर्गत एक विभाग है जो सभी सार्वजनिक अधिकारियों को मिले उपहारों और महंगी चीज़ों को रखता है। नियम कहते हैं कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति 30,000 पीकेआर से कम कीमत वाले उपहार अपने पास रख सकते हैं।

कब उजागर हुआ मामला

विवाद पहली बार तब उजागर हुआ जब पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के तहत बनी गठबंधन सरकार ने अगस्त 2022 में खान के खिलाफ मामला दर्ज किया। पीएमएल-एन ने दावा किया कि खान ने तोशाखाना को दिए गए उपहारों के बारे में जानकारी का खुलासा नहीं किया और इसका सहारा भी लिया। कुछ उपहारों की “अवैध” बिक्री भी की। जब खान 2018 में सत्ता में आए थे तो उन्होंने अन्य देशों से मिले उपहारों का खुलासा करने के संबंध में प्रतिरोध दिखाया और कहा कि इससे विदेशी संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

गिफ्ट्स में क्या-क्या था?

सत्ता में रहते हुए, इमरान खान ने पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) को एक पत्र लिखकर कम से कम चार उपहार बेचने की बात स्वीकार की थी। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने सरकार को कीमत का एक प्रतिशत भुगतान करके उन्हें खरीदा है। इन गिफ्ट में मंहगे कफलिंक्स, रोलेक्स घड़ियां, अंगूठी और महंगे पेन थे। पाकिस्तान के सूचना मंत्री के अनुसार, घड़ियों में सबसे कीमती, “मास्टर ग्राफ सीमित संस्करण” है जिसकी अनुमानित कीमत $300,000 है।

इमरान की पार्टी ने उठाए सवाल

इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए है। उन्होंने कहा कि यह एक दिखावटी केस है। हमारी कानूनी टीम इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देगी और उम्मीद है कि इस सजा पर रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला है।

Exit mobile version