नीतीश कुमार ने फिर मारी पलटी, इंडिया गठबंधन में आया भूचाल

बिहार से इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। जदयू ने इंडिया गठबंधन या बिहार में सत्तारूढ़ महागबंधंन से अपना नाता तोड़ लिया है। रविवार को नीतीश कुमार ने NDA के साथ मिलकर नौंवी बार सीएम पद की शपथ ले ली है। 

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लोकसभा चुनाव से पहले देश की राजनीती पल-पल बदलती जा रही है। भाजपा को हराने के लिए विपक्षी पार्टियों द्वारा बनाए गए इंडिया गठबंधन से पहले ही ममता बैनर्जी और अरविंद केजरिवाल अपने राज्यों में अलग चुनाव लड़ने का फैसले कर चुके हैं। 

इसी बीच अब बिहार से भी इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। जदयू ने इंडिया गठबंधन या बिहार में सत्तारूढ़ महागबंधंन से अपना नाता तोड़ लिया है। रविवार को नीतीश कुमार ने NDA के साथ मिलकर नौंवी बार सीएम पद की शपथ ले ली है। 

क्यों हुआ यह फैर-बदल

नीतीश कुमार के इस फैसले के पीछे कई वजह है उन में से कुछ पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे। आइए जानते हैं।

  1. पहली वजह: नीतीश के आरजेडी से मनमुटाव के पीछे लालू की बेटी रोहिणी आचार्य की एक सोशल मीडिया पोस्ट भी है, जिसमें उन्होंने नीतीश के वंशवादी राजनीति पर एक बयान को आधार बनाते हुए तीखी टिप्पणी की थी। बाद में जब कुछ जदयू नेताओं ने इसका विरोध किया तो रोहिणी आचार्य ने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी। 
  2. दूसरी वजह: नीतीश के एनडीए गठबंधन में लौटने की एक बड़ी वजह कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलना भी हो सकता है। नीतीश कुमार लगातार कहते रहे हैं कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को लगातार नजरअंदाज किया। उन्हें वह सम्मान नहीं दिया, जिसके हकदार थे। जबकि हाल ही में मोदी सरकार ने नीतीश की इच्छा अनुरूप कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया। 
  3. तीसरी वजह: नीतीश कुमार का कांग्रेस, राजद और इंडिया गठबंधन से मनमुटाव है। नीतीश कुमार ऐसे नेता थे, जिन्होंने विपक्षी गठबंधन को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी और उन्हीं के चलते इंडिया गठबंधन आकार ले सका। हालांकि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और TMC जैसे दलों के चलते उन्हें इस गठबंधन में अहम पद नहीं मिल पाया। नीतीश कुमार इससे खासे नाराज थे। 
  4. चौथी वजह: कहा जा रहा है कि जडयू के कम से कम 7 सांसद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के संपर्क में थे। इन सांसदों ने 2019 के चुनाव में एनडीए गठबंधन के समीकरण के चलते चुनाव जीता था और फिलहाल राजद, कांग्रेस और लेफ्ट समीकरण वाले मौजूदा गठबंधन में चुनाव जीतने की संभावना कम ही थी। ये नेता बीजेपी से गठबंधन चाहते थे, जबकि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह इसके खिलाफ थे। नीतीश कुमार ने इसे भांप लिया था कि अगर उन्होंने फौरन कोई कदम नहीं उठाया तो पार्टी दो धड़ों में बंट सकती है। पिछले महीने ही उन्होंने राजीव रंजन सिंह अर्थात लल्लन सिंह को अध्यक्ष पद से हटा दिया था। नीतीश को, लल्लन सिंह की तेजस्वी और लालू से नजदीकी भी रास नहीं आ रही थी।
  5. पांचवी वजह: साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन में रहते हुए जदयू ने 17 में से 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। पार्टी ने 2024 के चुनाव से पहले एक इंटरनल सर्वे कराया, जिसके परिणाम अच्छे नहीं थे। नीतीश को लगा कि अगर उनकी पार्टी नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए बैनर से चुनाव लड़ती है तो अच्छे नतीजे हो सकते हैं।

इंडिया गठबंधन में आया भूचाल 

वहीं, नीतीश कुमार के इस फैसले से पूरे इंडिया गठबंधन में भूचाल सा आ गया है। गठबंधन के कई सहयोगियों ने नीतीश कुमार के इस फैसले को लेकर उन पर निशाना साधा है। आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि जदयू 2024 में खत्म हो जाएगी। राजनीतिक दल के रूप में अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। तेजस्वी ने राज्य में और राजनीतिक घटनाक्रमों का भी संकेत दिया और कहा कि ‘खेल अभी शुरू होना बाकी है।’  

इतना जल्दी ऐसा होते कभी नहीं देखा

एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा कि ‘‘पटना में जो कुछ भी हुआ, इतने कम समय में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई।’’ पवार के अनुसार, ‘‘मुझे याद है कि नीतीश कुमार ने ही सभी गैर बीजेपी दलों को पटना में बैठक के लिए बुलाया था। लेकिन पिछले 10-15 दिनों में ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने इस विचारधारा को छोड़ दिया और आज बीजेपी में शामिल होकर सरकार बना ली।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘10 दिन पहले ऐसा नहीं लग रहा था कि वो ऐसा कोई कदम उठाएंगे। इसके विपरीत, वो बीजेपी के विरोधी की भूमिका निभा रहे थे। अचानक क्या हो गया, ये पता नहीं।’’ नीतीश कुमार के बारे में शरद पवार ने ये भी कहा कि जनता उन्हें भविष्य में ऐसा करने के लिए जरूर सबक सिखाएगी।’’ 

आज विश्वासघात का नया कीर्तिमान बना है। 

नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन छोड़ने पर अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि, “आज विश्वासघात का नया कीर्तिमान बना है। जनता इसका करारा जवाब देगी। कोई आप पर विश्वास न करे, एक व्यक्ति के रूप में किसी की इससे बड़ी हार और कुछ नहीं हो सकती।”

तेजस्वी कुछ नहीं करते थे

वहीं, इन सब आरोप और प्रत्यारोप के बीच नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के बयान का जवाब देते हुए कहा “ हम बिहार के विकास और प्रगति के लिए काम करते हैं। हम यही करते रहेंगे। तेजस्वी कुछ नहीं कर रहे थे। अब मैं वहीं वापस आ गया हूं जहां पहले था और अब कहीं जाने का सवाल ही नहीं उठता।” 

नीतीश ने इंडिया गठबंधन पर भी साधा निशाना

नीतीन कुमार ने यह कहते हुए मुख्यमंत्री पद से दिया थी कि बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन और विपक्षी इंडिया गठबंधन में उनके लिए चीजें ठीक नहीं चल रही थी।

पीएम ने दी नीतीश कुमार को बधाई  

पीएम मोदी ने बिहार में एनडीए की नई सरकार को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा, “बिहार में बनी एनडीए सरकार राज्य के विकास और यहां के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी।” 

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि नीतीश कुमार जी को मुख्यमंत्री और सम्राट चौधरी जी एवं विजय सिन्हा जी को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर मेरी बहुत-बहुत बधाई। मुझे विश्वास है कि यह टीम पूरे समर्पण भाव से राज्य के मेरे परिवारजनों की सेवा करेगी। 

नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट का जवाब भी ट्वीट से दिया। नीतीश कुमार ने लिखा कि ‘मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को उनके द्वारा दी गई बधाई एवं शुभकामना के लिए अपनी ओर से और समस्त बिहारवासियों की ओर से आभार प्रकट करता हूं तथा उनके सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद देता हूं।

अत: लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी पार्टियों द्वारा बनाए गए इंडिया गठबंधन का भविष्य चुनाव से पहले ही खतरे में आ गया है। जिस तरह से गठबंधन के सहयोगी एक-एक कर गठबंधन को छोड़ रहे है उस से सभी विपक्षी पार्टियों को खुद के अंदर झांक कर देखना चाहिए की उन्होंने जो गठबंधन बनाया है वह भाजपा से लड़ने के लिए बनाया है या खुद के सहयोगियों से। 

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