पड़ोसी देश पाकिस्तान फिर से टूटने की राह पर अग्रसर है, आशंका जताई जा रहा है कि 1971 की ही तरह पाकिस्तान दो फाड़ हो सकता है। पाकिस्तान के पश्र्चिमी प्रांत बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे बलूच लिबरेशन आर्मी(BLA) ने सेन्य ठिकानों पर हमला किया है और दावा किया है कि उसने माच और बोलन शहरों पर कब्जा कर लिया है।
पाकिस्तानी सरकार का दावा है कि इस लड़ाई में अब तक 6 विद्रोही मारे गए हैं और 4 पाकिस्तानी सैनिकों की भी जान गई है। वहीं बलूचों का दावा है कि 50 से ज्यादा पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। हालांकि, पाकिस्तान ने उन चार के सिवा अन्य किसी भी सैनिक के मारे जाने को अस्वीकार है।
माच शहर बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा के दक्षिण में स्थित शहर है और पहाड़ों से घिरा हुआ है। बलूच विद्रोही रॉकेट और असॉल्ट राइफल की मदद से ये हमले कर रहे हैं। उन्होंने पूरे शहर पर पिछले 40 घंटे से कब्जे का दावा किया है।
अपने ताजा बयान में बीएलए ने कहा है कि उन्होंने 40 घंटे बाद अभी भी माच शहर पर अपना कब्जा बरकरार रखा हुआ है। उन्होंने सिब्बी में पाकिस्तानी सेना के एक काफिले पर भीषण हमला किया है। बीएलए ने कहा कि उनका ऑपरेशन दारा ए बोलान अभी तक सफल रहा है।
बीएलए ने कहा कि उसने सेना के 18 वाहनों को बीती रात सिब्बी में निशाना बनाया जो माच शहर में घुसने की कोशिश कर रहे थे ताकि वहां फंसे सैनिकों की मदद की जाए। पाकिस्तानी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया गया। इस दौरान रॉकेट, मशीन गन और अन्य भारी हथियारों की मदद से पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला बोला गया। बीएलए ने कहा कि जो कोई भी ऑपरेशन दारा-ए-बोलन को रोकेगा, उसे मार दिया जाएगा।
इस हमले में पाकिस्तानी सेना के 4 जवान मारे गए हैं और कई घायल हो गए हैं। इसके बाद पाकिस्तानी सैनिक माच में घुसे बिना ही वहां से वापस भाग गए। बीएलए ने कहा कि माजिद ब्रिगेड और पाकिस्तानी सेना के स्थानीय मुख्यालय में मौजूद सैनिकों के बीच भीषण लड़ाई चल रही है।
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बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए)
बलूचिस्तान के लोगों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उन्हें जबरदस्ती पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया, जबकि वो स्वयं को एक आजाद देश के तौर पर देखना चाहते थे।
ऐसा नहीं हो सका इसलिए इस प्रांत के लोगों का पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना के साथ संघर्ष चलता रहा और वो आज भी जारी है। बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वाले फिलहाल कई अलगाववादी समूह एक्टिव हैं। इनमें सबसे पुराने और असरदार संगठनों में से एक है बीएलए यानी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी है।
माना जाता है कि ये संगठन पहली बार 1970 के दशक की प्रारंभ में सामने आया ज़ुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार के खिलाफ बलोचों ने सशस्त्र विद्रोह प्रारंभ किया।
लेकिन सैन्य तानाशाह जियाउल हक के सत्ता पर कब्जे के बाद बलूच लीडरों से बातचीत हुई, और इसका नतीजा ये निकला कि सशस्त्र विद्रोह के ख़ात्मे के बाद बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी धीरे-धीरे गायब हो गई। बीएलए ने पहली आतंकी कार्रवाई 2000 की गर्मियों में अंजाम दी थी जब इसने पाकिस्तानी अधिकारियों पर हुई बमबारी का क्रेडिट लिया था।
2004 में, बीएलए ने बलूच लोगों के आत्मनिर्णय और बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करने के लिए इस्लामाबाद के खिलाफ हिंसक संघर्ष शुरू करने का ऐलान किया। बीएलए को पाकिस्तान, यूके, और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में लिस्टेड किया गया है।
बलूचिस्तान की अहमियत
पाकिस्तान का 44 फीसदी हिस्सा बलूचिस्तान में पड़ता है। लेकिन यहां की आबादी केवल 6 फीसदी है। इसमें बलूच, ब्राहुई और पश्तून आते है। बलूचिस्तान का एक हिस्सा अरब सागर का विशाल तट है तो दूसरा इलाक अफगानिस्तान और ईरान से सटा है। बलूचिस्तान में गैस, खनिज और दूसरे प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है।
ये इलाका प्राकृतिक संसाधनों के मामले में पाकिस्तान का सबसे अमीर प्रांत है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का बड़ा हिस्सा इस इलाके से गुजरता है। इस इलाके में दुनिया के कई देश खनन परियोजनाओं से जुड़े हैं। ग्वादर बंदरगाह भी इसी इलाके में पड़ता है। कनाडा की खनन कंपनी बैरिक गोल्ड की रेको डिक खदान में 50 फीसदी हिस्सेदारी है।
क्यों आजाद होना चाहता है बलूचिस्तान
बलूचिस्तान में इसलिए आजादी की मांग उठती रही है कि क्योंकि इनकी भाषा और कल्चर पाकिस्तान से अलग है। इस इलाके के लोग बलूची बोलते हैं। जबकि पाकिस्तान में उर्दू और पंजाबी का दबदबा है। इस इलाके के लोगों को डर है कि पाकिस्तान उनकी भाषा और उनके कल्चर को खत्म कर देगा।
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है। लेकिन सियासत और सेना में उनकी भूमिका नाम मात्र की है। बड़े पदों पर पंजाबी भरे पड़े हैं। बलूचों को कोई जगह नहीं मिलती है। बलूचिस्तान के संगठन पाकिस्तान में इस इलाके में मानवाधिकारों को कुचलने का आरोप लगाते हैं। अक्सर ऐसा देखा गया है कि बलूचिस्तान के समर्थक गायब हो जाते हैं या साजिश के तहत उनकी हत्या हो जाती है।