पूरे देश में CAA को लेकर एक बार फिर से चर्चा तेज हो गई है। गृह मंत्रालय आदर्श आचार संहिता के लागू होने से पहले नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के नियमों को अधिसूचित करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय ले सकता है।
इसके तहत, केंद्र की मोदी सरकार की योजना है कि मार्च के पहले हफ्ते में सीएए के नियमों को प्रारम्भ किया जाए। इन नियमों के तहत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता आवेदनों का प्रसंस्करण सुनिश्चित किया जाएगा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, सीएए को लागू करने के लिए सरकार ने एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया है। अधिकारियों का कहना है कि इस पोर्टल के माध्यम से पूरी प्रक्रिया आसानी से और सुगमता से पूरी की जा सकेगी।
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आवेदन करने वालों से नहीं मांगा जाएगा कोई दस्तावेज
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आवेदन करने वालों को वो साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। सूत्रों के अनुसार, आवेदन करने वालों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। इस कानून में किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं हैं, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।
लोकसभा चुनाव से पहले लागू हो जाएगा सीएए
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, सीएए को लागू करने के नियम 2024 लोकसभा चुनाव से पहले जारी कर दिए जाएंगे। लाभार्थियों को भारतीय राष्ट्रीयता देने करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। उन्होंने कहा था कि सीएए देश का कानून है। इसकी अधिसूचना जरूर जारी होगी। लोकसभा चुनाव से पहले इसे जारी किया जाएगा। इसे लेकर किसी को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। भारत के पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना कांग्रेस नेतृत्व का भी वादा था।
2019 में संसद ने पारित किया था सीएए
दिसंबर 2019 में संसद ने सीएए पारित किया था। बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई। इसके बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध भी हुआ था। चार साल से ज्यादा समय के बाद सीएए लागू करने के लिए नियम बनाए जाने जरूरी हैं।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
CAA नागरिकता संशोधन कानून 2019, तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है, जिन्होंने लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी मजहब का हो, की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है।
CAA को लेकर क्यों हो रहा विवाद?
नागरिक (संशोधन) कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से विशिष्ट धार्मिक समुदायों (हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी) को अवैध अप्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इस पर कुछ आलोचकों का कहना है कि ये प्रावधान भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। जिसके कारण ये विवादों में घिरा हुआ है।
CAA में अब तक मुस्लिमों को क्यों नहीं जोड़ा गया?
गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर संसद में बताया था कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम देश हैं। वहां धर्म के नाम पर बहुसंख्यक मुस्लिमों का उत्पीड़न नहीं होता है, जबकि इन देशों में हिंदुओं समेत अन्य समुदाय के लोगों को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया जाता है। इसलिए इन देशों के मुस्लिमों को नागरिकता कानून में शामिल नहीं किया गया है। हांलाकि, इसके बाद भी वह नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिस पर सरकार विचार कर फैसला लेगी।
किसे मिल सकेगी नागरिकता?
CAA लागू होने के बाद नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास होगा। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। बता दें कि जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता मिलेगी। इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हों।
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