किसान आंदोलनः एक बार फिर दिल्ली पहुंचे किसान, जानें अब क्या है मांगें

किसानों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का बिगुल बजा दिया है। पंजाब-हरियाणा समेत कई राज्यों से किसान दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहे हैं।

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भारत में यदि कोई विरोध होता है, तो उसकी शुरुआत राजनीतिक और समाजिक लाभ के उद्देश्य से होती है, लेकिन बाद में कट्टरता और अलगाववाद का रुप ले लेती है। दो साल पहले हुआ तथाकथित किसान आंदोलन इस अराजकता का एक सटीक उदाहरण है। एक बार फिर किसानों ने दिल्ली घेराव की तैयारी कर ली है।

पंजाब-हरियाणा के साथ ही कई और राज्यों के किसान दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, किसानों ने इसे ‘चलो दिल्ली मार्च’ का नाम दिया है, लेकिन इसे किसान आंदोलन 2.0 भी कहा जा रहा है। दरअसल, इस किसान आंदोलन का पैटर्न 2020-2021 में हुए किसान आंदोलन से काफी मिलता जुलता है। पिछली बार की तरह ही अलग-अलग राज्यों से किसान इस आंदोलन में शामिल होने वाले हैं।

इस आंदोलन को पिछली बार की तरह सभी किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त नहीं है। यह किसान आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर पर नहीं हो रहा है। इसे अलग-अलग किसान संगठन मिलकर आयोजित कर रहे हैं। किसानों की मांगों को लेकर चंडीगढ़ में सोमवार रात किसान नेताओं की केंद्रीय मंत्रियों के साथ पांच घंटे से अधिक समय तक बैठक हुई, जो बेनतीजा रही। अब आज यानी मंगलवार को किसान ‘दिल्ली मार्च’ शुरू करेंगे।

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इस बार क्या है किसानों की मुख्य मांग

पिछली बार जहां कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन था, तो इस बार किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून को बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं। किसान चाहते हैं कि सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए। किसानों के एजेंडे में मुख्य मांग सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए एक कानून बनाना और डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसल की कीमतों का निर्धारण करना है।

इन मांगों को लेकर डटे हैं किसान

  1. किसानों की सबसे खास मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनना है। 
  2. किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं।
  3. आंदोलन में शामिल किसान कृषि ऋण माफ करने की मांग भी कर रहे हैं।
  4. किसान लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं। 
  5. भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर निकाला जाए।
  6. कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए। 
  7. किसानों और 58 साल से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए। 
  8. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना।
  9. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए। 
  10. कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए।

किसानों को रोकने के लिए बॉर्डर पर कैसे कैसे इंतजाम

किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को देखते हुए राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। यूपी, हरियाणा और दिल्ली पुलिस अलर्ट पर है। मार्च को रोकने के मकसद से सिंघु और गाजीपुर सहित सारी सीमाओं को सील कर दिया है। अंबाला के पास शंभू में पंजाब से लगी सीमा सील कर दी गई।

विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर सभी सीमावर्ती रास्तों पर पुलिस और केंद्रीय बलों की टुकड़ियां तैनात की गई है। करीब 5 हजार सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है। जबकि कटीले और नुकीले तार लगाकार किसानों का रास्ता रोकने की तैयारी है। सीसीटीवी और लाउडस्पीकर भी लगाए गए हैं। 

दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर आठ लेयर की दीवारें खड़ी की गई हैं। कुछ सड़कों पर पत्थर के बड़े-बड़े बेरिकेड और लोहे के कंटेनर लगा दिए हैं। किसानों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पानी की बौछार करने के भी इंतजाम है। साथ ही सोशल मीडिया की हर गतिविध को मॉनिटर किया जा रहा है।

खुफिया एजेंसी से मिली जानकारी

इस बीच इंटेलीजेंस इनपुट्स मिले हैं कि किसान पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ने के लिए मोडिफाइड ट्रैक्टर्स के साथ दिल्ली की सीमाओं का रुख करेंगे। 

केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने कहा है कि किसानों के विशाल मूवमेंट को देखते हुए उन्होंने पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सरकार को इस बाबत अलर्ट कर दिया है। खुफिया विभाग के मुताबिक, 25000 किसान 5000 ट्रैक्टरों के साथ पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की ओर कूच करेंगे। 

किसानों ने इन ट्रैक्टरों में हाइड्रोलिक सिस्टम लगाया है ताकि बैरिकेड्स को हटाया जा सके। इसके अलावा ट्रैक्टरों में आग रोधी शेल से कवर किया गया है, ताकि टियर गैस से मुकाबला किया जा सके। यहीं नहीं किसानों ने बकायदा ट्रैक्टरों के साथ ड्रील भी की है।

वहीं, किसानों के मार्च को देखते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 13 फरवरी तक के लिए इंटरनेट, एसएमएस और डोंगल सेवाओं को बंद कर दिया है। इस बीच दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों को पूरी तरह से किसानों के किसी भी एक्शन पर पलटवार करने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।  

किसानों के दिल्ली मार्च पर राजनीति

दिल्ली कूच के आह्वान पर किसानों को विपक्ष का साथ मिल रहा है। विपक्ष सरकार पर अन्नदाता को रोकने का आरोप लगा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी मोदी सरकार पर किसानों को ठगने का आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ’10 सालों से दिन रात झूठ की खेती करने वाले मोदी ने किसानों को सिर्फ ठगा है। दो गुनी आमदनी का वादा कर मोदी ने अन्नदाताओं को MSP के लिए तरसाया है।’

राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘किसान महंगाई तले दबे हैं। फसलों का सही दाम न मिलने के कारण उनके कर्जे 60 फीसदी बढ़ गए। इसका नतीजा ये हुआ कि लगभग 30 किसानों ने हर दिन अपनी जान गंवाई। जिसकी USP धोखा देना है, वो MSP के नाम पर किसानों के साथ सिर्फ राजनीति कर सकता है, न्याय नहीं। किसानों की राह में कीलें बिछाने वाले भरोसे के लायक नहीं।’

किसानों के दिल्ली कूच पर हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा है कि राज्य के लोगों की सुरक्षा करने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ भी करेंगे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि बातचीत से बडे़-बड़े मुद्दे हल हो जाते हैं, यह भी हल हो जाएगा।

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