उत्तराखंड विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक को पेश कर दिया गया है। मंगलवार का दिन उत्तराखंड विधानसभा के लिए ऐतिहासिक बन गया है। उत्तराखंड विधानसभा देश की पहली विधानसभा बन गई है, जहां समान नागरिक संहिता विधेयक पर चर्चा हो रही है।
देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात भारतीय जनता पार्टी के शुरुआती घोषणापत्रों में से एक रही है। उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड की तर्ज पर कई अन्य प्रदेशों में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जा सकता है।
उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार इस मामले में रिकॉर्ड बनाने में सफल हो गई है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से धार्मिक आधार पर मिलने वाली स्वतंत्रता बंद हो जाएगी। भारतीय कानून के प्रावधन सभी वर्गों पर एक समान लागू होंगे।
और पढ़े:- भारत-चीन तनाव के बीच श्रीलंका पहुंची भारतीय पनडुब्बी
ड्राफ्ट में 400 से ज्यादा धाराएं
देवभूमि उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला आजादी के बाद पहला राज्य होगा। ड्राफ्ट में 400 से ज्यादा धाराएं हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से पैदा होने वाली विसंगतियों को दूर करना है।
शर्तें 10 जून 2022 को अधिसूचित की गई
उत्तराखंड सरकार ने मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। सरकार ने एक अधिसूचना 27 मई 2022 को जारी की गई थी और शर्तें 10 जून 2022 को अधिसूचित की गई थीं।
पहली बैठक 4 जुलाई 2022 को दिल्ली में हुई आयोजित
समिति ने बैठकों, परामर्शों, क्षेत्र के दौरे और विशेषज्ञों और जनता के साथ बातचीत के बाद ड्राफ्ट को तैयार किया। इस प्रक्रिया में 13 महीने से अधिक का समय लगा। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी पहली बैठक 4 जुलाई 2022 को दिल्ली में की थी।
ढाई लाख लोगों से सीधे मिलकर इस मुद्दे पर उनकी राय जानी
ड्राफ्ट के महत्वपूर्ण पहलुओं पर जुलाई 2023 में एक मैराथन बैठक में विचार-विमर्श किया गया और इसे अंतिम रूप दिया गया। कमेटी को समान नागरिक संहिता पर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से करीब 20 लाख सुझाव मिले हैं। इनमें से कमेटी ने लगभग ढाई लाख लोगों से सीधे मिलकर इस मुद्दे पर उनकी राय जानी है।
बहुविवाह पर लगेगी रोक
मुस्लिमों में में बहु विवाह करने की छूट है। चूंकि हिंदू, ईसाई और पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है और सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसलिए कुछ लोग दूसरा विवाह करने के लिए दूसरे में मजहब चले जाते हैं। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लगेगी।
शादी के लिए कानूनी उम्र 21 साल होगी तय
भारत में विवाह की न्यूनतम उम्र कहीं तय तो कहीं तय नहीं है। इस्लाम धर्म में छोटी उम्र में भी लड़कियों की शादी हो जाती है। वे शारीरिक व मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होतीं। जबकि अन्य धर्मों में लड़कियों के 18 और लड़कों के लिए 21 वर्ष की उम्र लागू है। कानून बनने के बाद युवतियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय हो जाएगी।
बिना रजिस्ट्रेशन, लिव इन रिलेशन में रहने पर अब होगी जेल
इसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर युगल को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड या दोनों हो सकते हैं।
रजिस्ट्रेशन के तौर पर जो रसीद युगल को मिलेगी उसी के आधार पर उन्हें किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी मिल सकेगा। यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
इसके मुताबिक, सिर्फ एक व्यस्क पुरुष व वयस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे। वे पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप या प्रोहिबिटेड डिग्रीस ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
मुस्लिम के खिलाफ है कानून
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किए जाने का विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने इसे कुरान, शरीयत, मुस्लिम पर्सनल लॉ पर इसे अतिक्रमण करार दिया है। अब लड़ाई सड़क से लेकर कोर्ट तक लड़े जाने की बात कही जाने लगी है।
शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी और इमाम संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती रईस काशमी ने यूसीसी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि यूसीसी में मुस्लिम समुदाय की आपत्तियों को दरकिनार किया गया है। वहीं, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी इस मामले में काफी सोच- विचार के बाद अपना पक्ष रख रही है। पार्टी को डर बहुसंख्यक वोट बैंक के नाराज होने का है।
केंद्र सरकार भी कर रही विचार
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून बनाना बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र वाला वादा था। धामी सरकार ने जन आकांक्षाओं के मुताबिक वो कानून बना दिया है। अब केंद्र सरकार की ओर से भी कहा जा रहा है कि विधि आयोग की रिपोर्ट के बाद इस दिशा में विचार किया जाएगा।
देश के 22वें विधि आयोग ने पिछले साल UCC पर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों से अपनी राय देने के लिए कहा था। फिलहाल, देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान ‘आपराधिक संहिता’ है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं है।
लंबे समय से उठ रही है मांग
यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आता है। इस अनुच्छेद में कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे। इसी अनुच्छेद का हवाला देकर देश में UCC लागू करने की मांग उठाई जा रही है। लोगों का तर्क है कि इस कानून के लागू होने से जनसंख्या वृद्धि रोकने में मदद मिलेगी।
इस मामले में बीजेपी को लेकर देखा जाए तो UCC पार्टी के प्राथमिक मुद्दों में शामिल रहा है। बीजेपी के जो तीन प्रमुख मुद्दे रहे हैं, उनमें दो मुद्दे राम मंदिर का निर्माण और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का वादा पूरा हो गया है। अब सिर्फ यूसीसी ही बाकी रह गया है।