धमाकों से कमल खिलने तक: 370 के बाद PM मोदी ने कैसे बदला जम्मू-कश्मीर का भाग्य?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में परिवर्तनकारी विकास योजनाओं ने क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत की है।

jammu & Kashmir, PM Modi, जम्मू और कश्मीर, पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में परिवर्तनकारी विकास योजनाओं ने क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत की है। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य समग्र विकास को बढ़ावा देना और समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाना है। 

शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, बुनियादी ढांचे, और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में व्यापक प्रयासों के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के विकास को सुनिश्चित किया है। इससे न केवल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि यह लोगों को नई उम्मीदें और अवसर भी प्रदान करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी की इस प्रतिबद्धता और समावेशी विकास की दृष्टि से, जम्मू-कश्मीर को एक विकसित और सशक्त राज्य के रूप में पुनर्निर्माण करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। 

और पढ़ें:- महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का बड़ा फैसला, शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दिया गया 10% आरक्षण 

प्रधानमंत्री का संबोधन और लाभार्थियों से बातचीत

इस दौरान जनता को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू और कश्मीर में विकास परियोजनाओं के महत्व पर जोर देते हुए कई महत्वपूर्ण बयान भी दिए।

समग्र विकास पर जोर: प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे और कौशल विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के महत्व पर प्रकाश डाला।

जम्मू कश्मीर के विकास के लिए प्रतिबद्धता: प्रधानमंत्री मोदी ने एक विकसित और सशक्त जम्मू और कश्मीर बनाने, समाज के सभी वर्गों के लिए प्रगति और समृद्धि सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से सशक्तिकरण: उन्होंने युवाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने में शिक्षा और कौशल विकास के महत्व पर जोर दिया, जिससे वे देश के विकास में प्रभावी ढंग से योगदान करने में सक्षम हो सकें।

अनुच्छेद 370 को निरस्त करना: प्रधानमंत्री मोदी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इसने जम्मू-कश्मीर के विकास में एक बड़ी बाधा को दूर कर दिया है, जिससे संतुलित विकास और समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

लाभार्थियों की पहचान: प्रधानमंत्री ने विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की सराहना की और उनके सशक्तिकरण और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की कहानियों पर प्रकाश डाला।

शिक्षा क्षेत्र पर प्रभाव

जम्मू और कश्मीर में शिक्षा क्षेत्र में की गई पहल महत्वपूर्ण रही है, जिसमें प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना और मौजूदा शैक्षिक बुनियादी ढांचे को उन्नत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना: आईआईटी, आईआईएम और एम्स जैसे संस्थानों का उद्घाटन क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ये संस्थान न केवल स्थानीय आबादी की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं बल्कि अकादमिक उत्कृष्टता और अनुसंधान को बढ़ावा देते हुए देश भर से छात्रों को भी आकर्षित करते हैं।

बुनियादी ढांचागत उन्नयन: मौजूदा शैक्षणिक संस्थानों में बुनियादी ढांचागत उन्नयन छात्रों और शिक्षकों के लिए सीखने के माहौल और सुविधाओं में सुधार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इन उन्नयनों में शैक्षणिक ब्लॉकों, छात्रावासों, पुस्तकालयों, सभागारों और अन्य सुविधाओं का निर्माण शामिल है, जो समग्रता को बढ़ाते हैं।

शिक्षा तक पहुंच: नए शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और मौजूदा संस्थानों के विस्तार से जम्मू और कश्मीर में छात्रों के लिए शिक्षा तक पहुंच बढ़ गई है। इससे नामांकन दर में वृद्धि हुई है और शैक्षिक परिणामों में सुधार हुआ है, अंततः युवाओं को उनकी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए ज्ञान और कौशल के साथ सशक्त बनाया गया है।

कौशल विकास: कौशल विकास पर जोर, जिसका उदाहरण कानपुर में भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) की स्थापना है। इसका उद्देश्य छात्रों को उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रदान करके शिक्षा और रोजगार के बीच अंतर को पाटना है। इससे न केवल उनकी रोजगार क्षमता बढ़ती है बल्कि समग्र योगदान भी मिलता है क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास।

स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना विकास

एम्स जम्मू का उद्घाटन जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं में क्रांति लेकर आएगा।

गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं: अत्याधुनिक सुविधाओं और उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित एम्स जम्मू, जम्मू और कश्मीर के लोगों को व्यापक और विशिष्ट स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार है। 720 बिस्तरों और कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, ऑन्कोलॉजी और सर्जरी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेष विभागों के साथ, संस्थान आबादी की विविध स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

तृतीयक देखभाल तक पहुंच: एम्स जम्मू की स्थापना से घर के नजदीक तृतीयक देखभाल सेवाएं प्रदान करके मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे पर बोझ काफी कम हो जाएगा। निवासियों को अब विशेष चिकित्सा उपचार लेने के लिए लंबी दूरी की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी, जिससे क्षेत्र में स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच में सुधार होगा और असमानताएं कम होंगी।

प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र: एम्स जम्मू चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के केंद्र के रूप में भी काम करेगा, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की अगली पीढ़ी का पोषण करेगा और स्वास्थ्य सेवा वितरण में नवाचार को बढ़ावा देगा। अनुसंधान और विकास पर संस्थान का ध्यान चिकित्सा विज्ञान की प्रगति और स्वदेशी स्वास्थ्य देखभाल समाधानों के विकास में योगदान देगा।

उन्नत सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणाम: गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करके और निवारक देखभाल उपायों को बढ़ावा देकर, एम्स जम्मू में जम्मू और कश्मीर में सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने की क्षमता है। निवारक स्वास्थ्य देखभाल, शीघ्र निदान और समय पर हस्तक्षेप पर संस्थान का जोर बीमारियों के बोझ को कम करने और क्षेत्र में समग्र स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार करने में मदद करेगा।

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रगति का विश्लेषण

एम्स जम्मू के अलावा, जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है, खासकर मेडिकल कॉलेजों और सीटों के मामले में।

मेडिकल कॉलेजों और सीटों में वृद्धि: पिछले कुछ वर्षों में, जम्मू और कश्मीर में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो 2014 में चार से बढ़कर वर्तमान में 12 हो गई है। इस विस्तार से एमबीबीएस और पीजी मेडिकल सीटों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई है, जिससे क्षेत्र के भीतर उच्च शिक्षा और विशेषज्ञता हासिल करने के इच्छुक चिकित्सा पेशेवरों के लिए अधिक अवसर उपलब्ध हुए हैं।

स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना: नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और मौजूदा कॉलेजों के विस्तार के परिणामस्वरूप पूरे जम्मू और कश्मीर में मजबूत स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है। इसमें शैक्षणिक भवनों, अस्पताल सुविधाओं, अनुसंधान केंद्रों और संबद्ध बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की क्षमता और क्षमताओं में वृद्धि होगी।

बेहतर स्वास्थ्य देखभाल पहुंच: मेडिकल कॉलेजों और सीटों के प्रसार ने जम्मू और कश्मीर के निवासियों, विशेष रूप से दूरदराज और कम सुविधा वाले क्षेत्रों के निवासियों के लिए स्वास्थ्य देखभाल पहुंच में सुधार करने में योगदान दिया है। चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विकेंद्रीकरण ने विशेष देखभाल को जमीनी स्तर के करीब ला दिया है, जिससे समय पर निदान, उपचार और स्वास्थ्य स्थितियों का प्रबंधन सुनिश्चित हो गया है।

मानव संसाधन विकास: चिकित्सा शिक्षा के विस्तार ने डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ सहित स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण और कौशल विकास की सुविधा प्रदान की है। इससे न केवल स्वास्थ्य कर्मियों की कमी दूर हुई है, बल्कि पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा वितरण की गुणवत्ता और दक्षता में भी वृद्धि हुई है।

बुनियादी ढांचे का उन्नयन

जम्मू-कश्मीर में उद्घाटन और आरंभ की गई महत्वपूर्ण सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी परियोजनाएं क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के परिदृश्य को बदलने और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं।

सड़क कनेक्टिविटी: दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे और श्रीनगर रिंग रोड जैसी सड़क परियोजनाओं के उद्घाटन से जम्मू-कश्मीर के भीतर और पड़ोसी राज्यों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ेगी। ये सड़क मार्ग माल और लोगों की सुगम आवाजाही की सुविधा प्रदान करेंगे, जिससे व्यापार, पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।

रेल कनेक्टिविटी: बनिहाल-खारी-सुम्बर-संगलदान रेल लाइन औरबारामूला-श्रीनगर-बनिहाल-संगलदान विद्युतीकरण सहित नई रेल लाइनों और विद्युतीकरण परियोजनाओं के उद्घाटन से क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे न केवल यात्रा का समय कम होगा बल्कि पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे आर्थिक वृद्धि और क्षेत्रीय विकास में योगदान मिलेगा।

हवाई कनेक्टिविटी: जम्मू हवाई अड्डे पर एक नए टर्मिनल भवन के निर्माण से हवाई कनेक्टिविटी और यात्री सुविधाओं में वृद्धि होगी, जिससे जम्मू और कश्मीर में हवाई यात्रा की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा। बेहतर हवाई कनेक्टिविटी अधिक पर्यटकों और निवेशकों को आकर्षित करेगी, आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी और क्षेत्र की वैश्विक कनेक्टिविटी को बढ़ाएगी।

आर्थिक विकास: सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी में बुनियादी ढांचे के उन्नयन का जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, निवेश को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा। बढ़ी हुई कनेक्टिविटी क्षेत्र की क्षमता को उजागर करेगी, पर्यटन, आतिथ्य, विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करेगी, जिससे आर्थिक विविधीकरण और समृद्धि आएगी।

सामाजिक-आर्थिक लाभ: बेहतर बुनियादी ढांचे से न केवल वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही में सुविधा होगी बल्कि स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और बाजारों जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुंच भी बढ़ेगी। इससे जम्मू-कश्मीर के निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा, सामाजिक समावेशन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्रीय असमानताएं कम होंगी।

समुदायों का सशक्तिकरण

पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना और राष्ट्रीय आजीविका अभियान जैसी योजनाओं ने जम्मू-कश्मीर में सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

पीएम आवास योजना: पीएम आवास योजना के तहत किफायती आवास के प्रावधान ने न केवल लाभार्थियों की जीवन स्थितियों में सुधार किया है बल्कि सुरक्षा और सम्मान की भावना भी प्रदान की है। पक्के घरों तक पहुंच ने श्री लाल मोहम्मद जैसे हाशिए पर रहने वाले समुदायों का उत्थान किया है, जिन्हें नया घर बनाने के लिए सहायता मिली, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ।

उज्ज्वला योजना: उज्ज्वला योजना ने वीणा देवी जैसी महिलाओं को स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन प्रदान करके, पारंपरिक और हानिकारक खाना पकाने के तरीकों पर उनकी निर्भरता को कम करके सशक्त बनाया है। इससे न केवल उनके स्वास्थ्य परिणामों में सुधार हुआ है, बल्कि उन्हें जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने के कठिन परिश्रम से भी मुक्ति मिली है, जिससे उन्हें अन्य उत्पादक गतिविधियों को करने की अनुमति मिली है।

राष्ट्रीय आजीविका अभियान: राष्ट्रीय आजीविका अभियान जैसी पहल ने कीर्ति शर्मा जैसी महिलाओं को उद्यमिता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने के लिए सशक्त बनाया है। ऋण और कौशल विकास के अवसरों तक पहुंच प्रदान करके, इन पहलों ने महिलाओं को आजीविका स्थापित करने, आय उत्पन्न करने और अपने समुदायों की आर्थिक वृद्धि में योगदान करने में सक्षम बनाया है।

इन सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण पहलों ने न केवल लाभार्थियों के जीवन स्तर में सुधार किया है, बल्कि जम्मू और कश्मीर में आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक समावेश और लैंगिक समानता को भी बढ़ावा दिया है।

सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं

जम्मू-कश्मीर में विकास परियोजनाएं लोगों के जीवन पर महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक प्रभाव डालने के लिए तैयार हैं।

रोजगार सृजन: बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, शैक्षिक पहल और कौशल विकास कार्यक्रम विशेष रूप से युवाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेंगे। इससे न केवल बेरोजगारी कम होगी बल्कि गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सशक्तिकरण में भी योगदान मिलेगा।

कौशल विकास: कौशल विकास पर जोर, जिसका उदाहरण कानपुर में भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) की स्थापना है, व्यक्तियों को उद्योग-प्रासंगिक कौशल से लैस करेगा, जिससे उनकी रोजगार क्षमता और आय-सृजन क्षमता में वृद्धि होगी। इससे क्षेत्र में आर्थिक विविधीकरण और टिकाऊ आजीविका को बढ़ावा मिलेगा।

आर्थिक विकास: बढ़ी हुई कनेक्टिविटी, बेहतर बुनियादी ढांचे और पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश से जम्मू और कश्मीर में आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा मिलेगा। इससे निवेश आकर्षित होगा, उद्यमशीलता बढ़ेगी और समग्र अर्थव्यवस्था में क्षेत्र का योगदान बढ़ेगा।

अतः में जम्मू-कश्मीर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में व्यापक विकास पहल ने सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए एक मजबूत नींव रखी है। बुनियादी ढांचे के उन्नयन से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सशक्तिकरण कार्यक्रमों में प्रगति तक, ये पहल समग्र विकास और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। 

आवश्यक सेवाओं तक बेहतर पहुंच, आजीविका के अवसरों में वृद्धि और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, यह क्षेत्र निरंतर प्रगति, आर्थिक विविधीकरण और अपने लोगों के लिए एक उज्जवल भविष्य का अनुभव करने के लिए तैयार है।

और पढ़ें:- ‘यूबी एरिया’ में चीन के खिलाफ मजबूत मोर्चे के तैयारी में भारतीय सेना

Exit mobile version