भारत अपनी अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। भरतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब गगनयान मिशन पर काम रही है। चंद्रयान और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद ये मिशन इसरो को और बुलंदियों पर पहुंचाएगा।
गगनयान भारत का पहला मानव मिशन होगा और यह मिशन 2025 तक लॉन्च होने वाला है। पीएम मोदी ने जब 2018 में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान की घोषणा की थी, तभी से संभावित अंतरिक्ष यात्रियों के नामों पर सस्पेंस बना हुआ है। अब उनके नामों की घोषणा कर दी गई है।
गगनयान मिशन के लिए चार विशेषज्ञ यात्री चयनित किए गए हैं, जिनमें प्रशांत बालकृष्ण नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन, और शुभांशु शुक्ला शामिल हैं। इन यात्रियों को बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा में तैयार किया जा रहा है। मंगलवार को तिरुवनंतपुरम में इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी इन्हें दुनिया के सामने पेश किया।
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कैसे चुने गए 4 जांबाज?
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए आवेदन करने वाले बहुत से टेस्ट पायलटों में से, 12 लोगों को सितंबर 2019 में बेंगलुरु में हुए पहले चरण के चयन में सफलता मिली। यह चयन भारतीय वायु सेना (IAF) के अधीन आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) द्वारा किया गया था।
कई चरणों के चयन के बाद, IAM और इसरो ने अंतिम 4 लोगों को चुना। 2020 की शुरुआत तक, इसरो ने चारों को शुरुआती प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा, जो कोविड-19 के कारण कुछ देरी के बाद 2021 में पूरा हुआ। उसके बाद से चारों को कई एजेंसियों और सशस्त्र बल की ओर से ट्रेनिंग दी जा रही है। इसरो अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) को प्रशिक्षण के लिए विभिन्न सिमुलेटरों से लैस करने पर काम कर रहा है। वे फिट रहने के लिए IAF के साथ नियमित रूप से उड़ान भरना जारी रखते हैं।
कब लॉन्च होगा गगनयान मिशन?
इसरो का गगनयान मिशन साल 2025 तक लॉन्च होगा। हालांकि इसके शुरुआती चरणों को इसी साल यानी 2024 तक पूरा किया जा सकता है। इसमें दो मानवरहित मिशन को अंतरिक्ष में भेजना शामिल है। जब ये मिशन सफल होंगे उसके बाद ही एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
गगनयान मिशन क्या है?
गगनयान मिशन ISRO द्वारा विकसित भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन के तहत 4 चालक दल के सदस्यों को 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिनों के मिशन के लिए लॉन्च करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इसरो ने इस मिशन की टेस्टिंग पिछले साल की थी। वहीं बुधवार को इसरो ने इसके क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग की। इस मिशन में HSFC (ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर) का खास योगदान है।
इस मिशन का क्या होगा असर
गगनयान मिशन का असर बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है, निम्नलिखित कुछ प्रमुख असर हो सकते हैं:
- तकनीकी प्रगति: इस मिशन के सफल होने से भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र में तकनीकी प्रगति का स्तर बढ़ सकता है। यह भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
- वैज्ञानिक अनुसंधान: इस मिशन से प्राप्त डेटा और अनुभव के आधार पर भारतीय वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नए और महत्वपूर्ण ज्ञान का संचार हो सकता है।
- राष्ट्रीय गर्व: यदि गगनयान मिशन सफल होता है, तो यह भारत के लिए एक राष्ट्रीय गर्व का विषय बनेगा, जिससे देश का अन्तर्राष्ट्रीय स्थान मजबूत होगा।
- अर्थव्यवस्था का विकास: अंतरिक्ष और उसके संबंधित क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति और अनुसंधान के माध्यम से अर्थव्यवस्था को विकसित किया जा सकता है। इससे नई रोजगार के अवसर भी पैदा हो सकते हैं।
- अंतरिक्ष यात्रा की तकनीकी प्रगति: गगनयान मिशन के सफल होने से मानव अंतरिक्ष यात्रा के लिए भारतीय तकनीकी क्षमता में वृद्धि हो सकती है। यह भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा के लिए भारत की अग्रणी भूमिका बना सकता है।
गगनयान मिशन का सफल होना भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नई ऊंचाइयों की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह मिशन भारत को मानव अंतरिक्ष यात्रा की क्षमता प्रदान करने में मदद करेगा और देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाएगा।
इसके अलावा, यह मिशन अंतरिक्ष और विज्ञान क्षेत्र में भारतीय तकनीकी क्षमता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान करेगा। इससे नए और उन्नत तकनीकी विकास, अनुसंधान, और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में नए अवसर पैदा हो सकते हैं। इस मिशन के सफल होने से देश की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता में भी वृद्धि हो सकती है।
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