पंजाब में पाकिस्तान-भारत सीमा पर तस्करी की गतिविधियों के लिए ड्रोन का बढ़ता उपयोग चिंता का विषय बन गया है, हाल के वर्षों में सीमा पार से ड्रोन द्वारा भेजे गए प्रतिबंधित सामान की घटनाओं में काफी वृद्धि देखने को मिली है, पाकिस्तानी तस्कर ड्रोन संचालित करने के लिए सर्दियों में कोहरे का फायदा उठा रहे हैं।
ड्रोन तस्करी की घटनाओं में हुई वृद्धि
पंजाब में पाकिस्तान-भारत सीमा पर तस्करी की गतिविधियों के लिए ड्रोन का उपयोग हाल के वर्षों में बार-बार होने वाला अहम मुद्दा रहा है। इससे संबंधित पिछली कुछ घटनाओं के बारे में हम आपको बता रहे हैं:
- 2019: पाकिस्तान से ड्रोन द्वारा ड्रग्स ले जाने का पहला मामला सामने आया था। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने दोनों ड्रोन को मार गिराया और बरामद कर लिया था।
- 2020: इस वर्ष ड्रोन तस्करी का कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया।
- 2021: इस वर्ष सीमा पर ड्रोन तस्करी का एक मामला सामने आया।
- 2022: इस वर्ष स्थिति और बिगड़ गई बीएसएफ ने कम से कम 22 ड्रोन बरामद किए थे।
- 2023: इस वर्ष बीएसएफ द्वारा कम से कम 100 ड्रोन बरामद किए गए। बरामद तस्करी में 494 किलोग्राम हेरोइन, 37 हथियार और 601 राउंड गोला-बारूद शामिल था।
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घने कोहरे का तस्कर उठा रहे फायदा
पाकिस्तानी तस्करों ने अपनी तस्करी की गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए मौसम की स्थिति और विशेष रूप से सर्दियों में घने कोहरे का फायदा उठा रहे हैं। तस्करों के जीपीएस उपकरणों से लैस यह ड्रोन कम दृश्यता में भी नेविगेट करते हैं और विशिष्ट स्थानों पर अवैध खेप गिराते हैं। तरनतारन जिले से पकड़े गए चार लोगों के पता चला कि तस्कर कम दृश्यता का फायदा उठा कर ड्रोन के जरिए यहां खेप गिराते थे।
तस्करी नेटवर्क में ग्रामीणों की भूमिका
पाकिस्तान स्थित तस्करों के साथ पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्रामीणों की संलिप्तता देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक खतरा साबित हो सकती है। स्थानीय लोगों और तस्करों के बीच सांठगांठ सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। गिरफ्तार व्यक्तियों ने बताया कि तस्कर अक्सर ड्रॉप जोन स्थापित करने और अवैध खेप प्राप्त करने के लिए ग्रामीणों के सहयोग का फायदा उठाते हैं।
चीन के ड्रोन का उपयोग कर रहे तस्कर
पाकिस्तानी तस्कर अब बड़े के बजाय छोटे चीन निर्मित ड्रोन का प्रयोग कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि एक बड़ा ड्रोन औसतन 18 से बीस लाख रुपये में मिलता है, जबकि छोटे ड्रोन एक लाख से डेढ़ लाख तक में उपलब्ध हो जाते हैं। ऐसे में बड़े ड्रोन पकड़े जाने पर तस्करों को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ रही थी। यही कारण है कि वे छोटे ड्रोन से नशा भारतीय सीमा में पहुंचा रहे हैं।
सुरक्षा प्रयासों के बावजूद लगातार खतरा
ड्रोन घुसपैठ की लगातार बढ़ती घटनाओं ने भारतीय सुरक्षा बलों के सामने आने वाली चुनौतियों को बढ़ा दिया है। ड्रोन को मार गिराने और गिराई गई खेप को बरामद करने के प्रयासों के बावजूद तस्कर अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं। उदाहरण के लिए, धनोए खुर्द गांव में, सुरक्षा बलों द्वारा एक ड्रोन को मार गिराए जाने के बावजूद, पाकिस्तानी तस्करों ने एक के बाद एक कई ड्रोन भेजना जारी रखा। तस्करों द्वारा की गई यह हरकत सुरक्षा बलों के लिए लगातार खतरा बनती जा रही है।
भारत विकसित कर रहा एंटी ड्रोन सिस्टम
वहीं, बढ़ते खतरे के जवाब में, बीएसएफ ने अपने खुफिया नेटवर्क को मजबूत करने और कम दृश्यता, विशेष रूप से घने कोहरे के दौरान निगरानी बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वाले ड्रोन का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए कुछ सीमा चौकियों पर एंटी ड्रोन सिस्टम लगाएं जाएंगे। जो भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करते ही ड्रोन को रोकने में कारगर होंगे।
हवा में ही नष्ट हो जाएंगे ड्रोन
भारत तेजी से एंटी ड्रोन सिस्टम पर काम कर रहा है। आशा जताई जा रही है कि आने वाले कुछ ही महीनों में इस सिस्टम को विकसित कर सीमा पर तैनात कर दिया जाएगा। इस सिस्टम के जरिए भारत का हवाई रक्षा तंत्र और मजबूत हो जाएगा। दुश्मनों की ओर से भेजे गए ड्रोन का इस सिस्टम के जरिये तुरंत पता लग जाएगा।
तस्करों पर इस तरह शिकंजा कस रही बीएसएफ
सीमा सुरक्षा बल ने तकनीक की मदद लेने के अलावा मैनुअली भी तस्करों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। कई बार घनी धुंध के बीच ड्रोन नजर नहीं आता। ऐसे में तस्कर, हथियार और ड्रग्स के पैकेट हासिल करने में कामयाब हो जाते थे। बीएसएफ ने अब उन सभी रास्तों पर अपनी टीम लगा दी हैं जहां से तस्कर, बॉर्डर की तरफ आते हैं। इसका यह फायदा हुआ है कि कोई ड्रोन जो बीएसएफ की नजर में नहीं आया हो, और वह तस्करों के हाथ लग गया हो, तो उस स्थिति में बीएसएफ की टीमें उन तस्करों को पकड़ सकती हैं।