भारत के इतिहास में राम मंदिर के बाद एक और भव्य मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के संभल जिले में श्री कल्कि धाम मंदिर की आधारशिला रखी है, इसे लेकर हर किसी के मन में भक्ति भाव और आस्था की लहर उठ रही है।
पीएम मोदी ने श्री कल्कि धाम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कहा कि आज यूपी की धरती से भक्ति, भाव और अध्यात्म की एक और धारा प्रवाहित होने को लालायित है। आज पूज्य संतों की साधना और जनमानस की भावना से एक और पवित्र धाम की नींव रखी जा रही है।
मुझे विश्वास है कि कल्कि धाम भारतीय आस्था के एक और विराट केंद्र के रूप में उभरकर सामने आएगा। कई ऐसे अच्छे काम हैं, जो कुछ लोग मेरे लिए ही छोड़ कर चले गए हैं। आगे भी जितने अच्छे काम रह गए हैं, उनको भी संतों और जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से हम पूरा करेंगे।
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श्री कल्कि धाम मंदिर का महत्व
श्री कल्कि धाम मंदिर के महत्व की बात करें, तो धर्मग्रंथों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि धरती पर जब-जब पाप बढ़ता है, तब-तब भगवान विष्णु धरती पर अवतरित होते हैं। त्रेता में भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में जन्म लिया था। वहीं, द्वापर में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
कलियुग के बारे में कहा जाता है कि जब कलियुग अपनी चरम सीमा पर होगा, तो भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेकर धरती पर जन्म लेंगे और उनके जन्म के बाद वे पापियों का संहार करके इस धरती को पापमुक्त करेंगे, जिसके बाद कलियुग का भी अंत हो जाएगा।
जन्म से पहले ही भगवान कल्कि की मूर्ति होगी स्थापित
पौराणिक मान्यता के अनुसार कलियुग 432000 वर्ष का है, जिसमें पांच हजार वर्ष बीत चुके हैं। अभी कलियुग का पहला चरण चल रहा है। जब कलियुग अपने आखिरी चरण में होगा, तो भगवान कल्कि का जन्म होगा। इस कारण से इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह अपने आप में ऐसा पहला मंदिर होगा, जहां पर भगवान कल्कि के जन्म लेने से पहले ही उनकी मूर्ति स्थापित की जाएगी।
श्रीमद्भागवत गीता में क्या बताया गया है?
श्रीमद्भागवत गीता के 12वें स्कंद में भी भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का उल्लेख है और बताया गया है कि कलयुग के आखिर और सतयुग के संधि काल में भगवान विष्णु कल्कि के तौर पर अवतार लेंगे।
बताया गया है कि जब गुरु, सूर्य और चंद्रमा एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, तब भगवान कल्कि का विष्णुयशा नामक ब्राह्मण परिवार के घर में जन्म होगा। वह सफेद घोड़े पर सवार होंगे और 64 कलाओं से युक्त होंगे। श्रीमद्भागवत के 12वें स्कंद में लिखा है-
शम्भल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः।
भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति॥
इसका मतलब यह है कि शम्भल गांव में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण महात्मा होंगे, जो बड़े उदार हृदय वाले होंगे। इन्हीं ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि अवतार लेंगे।
कब तैयार होगा मंदिर
भगवान विष्णु के 10 अवतारों के लिए दस अलग-अलग गर्भगृह बनाए जाएंगे। श्री कल्कि धाम मंदिर का परिसर पांच एकड़ में बनकर तैयार होगा। इस भव्य मंदिर को बनाने में पांच वर्ष तक का समय लगेगा। माना जा रहा है कि इस मंदिर की भव्यता अयोध्या के राम मंदिर की तरह ही होगी।
500 साल पहले क्या हुआ था?
संभल में 500 साल पहले से भगवान कल्कि का मंदिर हुआ करता था, लेकिन उस मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनवा दी गई। इस मस्जिद का निर्माण भारत में मुगल वंश की नींव रखने वाले बाबर ने करवाया था। बहुत कम लोगों को पता है कि मुगल शासक बाबर ने अपने जीवन काल में कुल तीन मस्जिदों का निर्माण करवाया। जिसमें अयोध्या में बाबरी मस्जिद, पानीपत में काबुली बाग मस्जिद और संभल की शाही जामा मस्जिद शामिल है।
बाबर ने तुड़वाया था कल्कि मंदिर
इतिहासकारों के मुताबिक संभल में जिस जगह बाबर ने शाही जामा मस्जिद का निर्माण करवाया, वहां कभी भगवान कल्कि का मंदिर हुआ करता था। इतिहासकारों के मुताबिक साल 1528 में बाबर के आदेश पर उसके वफादार मीर बेग ने कल्कि मंदिर को तहस-नहस कर दिया और मंदिर के अवशेष पर ही मस्जिद की तामीर कराई। आज भी कल्कि मंदिर की दीवार और दूसरी चीजों पर मंदिर के अवशेष नजर आ जाते हैं।
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‘फिर भी हम न केवल डटे रहे, बल्कि और भी ज्यादा मजबूत होकर सामने आए’
पीएम मोदी ने कहा कि भारत पराभव से भी विजय को खींच लाने वाला राष्ट्र है। हम पर सैकड़ों वर्षों तक इतने आक्रमण हुए। कोई और देश होता, कोई और समाज होता तो लगातार इतने आक्रमणों की चोट से पूरी तरह नष्ट हो गया होता। फिर भी हम न केवल डटे रहे, बल्कि और भी ज्यादा मजबूत होकर सामने आए।