कतर की जेल में बंद 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को रिहा कर दिया गया है, ये वही पूर्व सैनिक हैं जिन्हें कतर की एक अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन भारत की कूटनीतिक दखल के बाद कतर ने सजा को माफ कर दिया था। अब आखिरकार इन पूर्व नौसैनिकों को कतर ने रिहा कर दिया है। आठ में सात पूर्व नौसैनिक भारत पहुंच भी चुके हैं।
इस मामले में भारत सरकार की कूटनीति की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। कुछ दिन पहले लोकसभा में AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार को चैलेंज करते हुए कहा था कि कतर में फंसे सैनिकों को वापस लाकर दिखाइए। किसे मालूम था कि सरकार अंदरखाने ऐसी रणनीति बनाएगी कि हमारे पूर्व नौसैनिकों को कतर वापस भेज देगा।
इन आठ भारतीय नागरिकों की गिरफ्तारी का मामला दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव को बढ़ा रहा था। कतर ने इन भारतीयों को अगस्त 2022 में गिरफ़्तार किया था लेकिन उनकी गिरफ्तारी का कारण कभी सार्वजनिक नहीं किया था।
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पिछले सप्ताह हुई थी भारत-कतर के बीत डील
गौर करने की बात ये भी है कि पूर्व नौसैनिकों की रिहाई उस समय हुई है, जब पिछले सप्ताह ही दोनों देशों के बीच एक अहम समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत भारत कतर से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) खरीदेगा। ये डील अगले 20 सालों के लिए हुई है और इसकी लागत 78 अरब डॉलर है।
भारत की पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (पीएलएल) कंपनी ने कतर की सरकारी कंपनी कतर एनर्जी के साथ ये करार किया है। इस समझौते के तहत कतर हर साल भारत को 7.5 मिलियन टन गैस निर्यात करेगा। इस गैस से भारत में बिजली, उर्वरक और सीएनजी बनाई जाएगी।
मोदी और कतर के अमीर की मुलाकात
भारत और कतर के बीच मैत्रीपूर्ण और मजबूत व्यापारिक संबंध हैं। ऐसे में भारत ने शुरू से ही इस मामले को लेकर कतर से बातचीत जारी रखी थी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्द अल-थानी से दुबई में हुए सीओपी 28 सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी।
इस मीटिंग में पीएम मोदी ने पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई के मसले पर बात की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी इस मीटिंग का जिक्र करते हुए ये बताया कि दोनों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को लेकर एक अच्छी वार्ता हुई है।
क्या था मामला
कतर की सरकार ने आधिकारिक तौर पर इन भारतीयों को हिरासत में लेने की कोई वजह नहीं बताई थी। लेकिन स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार गिरफ्तार किए गए भारतीयों पर दोहा में काम कर रहे एक सबमरीन प्रोजेक्ट की संवेदनशील जानकारियां इसराइल से साझा करने का आरोप था।
जेल से रिहा हुए ये भारतीय दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज में काम करते थे। ये कंपनी सबमरीन प्रोग्राम में कतर की नौसेना के लिए काम कर रही थी। इस प्रोग्राम का मकसद रडार से बचने वाले हाईटेक इतालवी तकनीक पर आधारित सबमरीन हासिल करना था।
पिछले साल कतर ने कंपनी को बंद करने का आदेश दिया था और इसके लगभग 70 कर्मचारियों को पिछले साल ही मई के अंत तक देश छोड़ने का निर्देश दिया गया था। इनमें ज्यादातर भारतीय नौसेना के पूर्व कर्मचारी थे।
जिन भारतीयों को गिरफ्तार किया गया था उनमें कमांडर (रिटायर्ड) पूर्नेंदु तिवारी, कैप्टन (रिटायर्ड) नवतेज सिंह गिल, कमांडर (रिटायर्ड) बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन (रिटायर्ड) सौरभ वशिष्ठ, कमांडर (रिटायर्ड) सुग्नाकर पकाला, कमांडर (रिटायर्ड) अमित नागपाल, कमांडर (रिटायर्ड) संजीव गुप्ता, और सेलर रागेश शामिल थे।
सैनिकों की वापसी के लिए सरकार ने क्या किया?
भारत ने पहले कतर की छोटी अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा पर चिंता व्यक्त की थी और इसे गलत बताया था। सरकार ने सभी अधिकारियों की मदद के लिए कानूनी विकल्पों पर विचार करने का वादा किया था।
इसके बाद भारत ने मौत की सजा के खिलाफ कतर की अपील अदालत का रुख किया। 28 दिसंबर को कतर की अपील अदालत ने मौत की सजा को कम कर दिया और उन्हें जेल की सजा सुनाई।
इस बीच नौसेना के पूर्व अधिकारियों के चिंतित परिजनों ने उनकी रिहाई और उनकी सुरक्षित वतन वापसी की गुहार लगाई। जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने आश्वासन दिया था कि वह सभी राजनयिक चैनलों को जुटाएगा और उन्हें वापस लाने के लिए कानूनी सहायता की व्यवस्था करेगा।
कतर अदालत के फैसले को भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत भी माना जा रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ मुलाकात के कुछ हफ्तों बाद आया है। इसे पहले 2019 में पाकिस्तान में एक ऑपरेशन के दौरान फंसे फाइटर जेट पायलट अभिनंदन को भी भारत ने अपनी कूटनीतिक शक्ति के जरिए बचाया था।