लोगों को घरों में किया जा रहा ‘डिजिटल अरेस्ट’, साइबर ठगी का नया तरीका

कानूनी तौर पर डिजिटल अरेस्ट नाम का कोई शब्द एक्जिस्ट नहीं करता। यह एक फ्रॉड करने का तरीका है। जो साइबर ठग अपनाते हैं।  इसका सीधा मतलब होता है ब्लैकमेलिंग यानी इसके जरिए ठग अपने टारगेट को ब्लैकमेल करता है।

Digital Fraud, डिजिटल अरेस्ट, साइबर अपराध,

आजकल जैसे-जैसे आधुनिकता बढ़ी है। हर क्षेत्र में आधुनिक तकनीक आई है। जिससे लोगों को बहुत सहूलियत भी हुई है। तो वहीं अपराधियों को भी इस तकनीक से अपराधों को अंजाम देने में फायदा हुआ है। अब अपराधी कहीं दूर बैठे भी किसी को अपना शिकार बना लेते हैं। 

जिन लोगों को ऑनलाइन हो रहे फ्रॉड के बारे में कम जानकारी है। उन लोगों को साइबर अपराधी अपने चंगुल में फंसा लेते हैं और मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। इसी फ्रॉड का एक नया तरीका है डिजिटल अरेस्ट। क्या होता है डिजिटल अरेस्ट और कैसे आप इससे बच सकते हैं। आइए जानते हैं। 

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?

कानूनी तौर पर डिजिटल अरेस्ट नाम का कोई शब्द एक्जिस्ट नहीं करता। यह एक फ्रॉड करने का तरीका है। जो साइबर ठग अपनाते हैं।  इसका सीधा मतलब होता है ब्लैकमेलिंग यानी इसके जरिए ठग अपने टारगेट को ब्लैकमेल करता है। डिजिटल अरेस्ट में कोई आपको वीडियो कॉलिंग के जरिए घर में बंधक बना लेता है। वह आप पर हर वक्त नजर रख रहा होता है। 

डिजिटल अरेस्ट के मामलों में ठग कोई सरकारी एजेंसी के अफसर या पुलिस अफसर बनाकर आपको वीडियो कॉल करते हैं। वह आपको कहते हैं कि आपका आधार कार्ड सिम कार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी गतिविधि के लिए हुआ है। 

तकनीक के मामले में होते हैं एक्सपर्ट

ऐसे साइबर ठग तकनीक के मामले में काफी कुशल होते हैं और उन्हें पता होता है कि शिकार को कैसे अपनी बातों में फंसाकर उसकी मेहनत की कमाई वसूल लें। गौरतलब है कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में साइबर अपराध के मामले करीब दोगुना हो गये हैं। उसके अनुसार, ऐसे अपराध की संख्या 2021 में 345 थी, वो अब बढ़कर 685 हो गयी है। 

‘डिजिटल गिरफ्तारी’ गिरोह का किया था भंडाफोड़

बता दें कि पिछले महीने ही दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारी का डर दिखाकर लोगों से साइबर ठगी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया था। पुलिस ने इस संबंध में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से एक महिला और उसके बेटे समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। इन लोगों को ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। 

‘डिजिटल गिरफ्तारी’ साइबर धोखाधड़ी का नया तरीका है, जिसके तहत साइबर ठग स्वयं को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या सीमा शुल्क जैसी किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी का सदस्य बताकर लोगों को वीडियो कॉल करते हैं और उन्हें उनके नाम से प्रतिबंधित मादक पदार्थों के फर्जी अंतरराष्ट्रीय पार्सल मिलने का भय दिखाकर उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं। 

और पढ़ें:- एक ओला ड्राईवर ने एक आदमी को उसके बेटे के सामने पीटा, ओला को फर्क नहीं पड़ता

 हाल की कुछ घटनाएं

केस- 1

केस- 2

केस- 3

डिजिटल गिरफ्तारी से खुद को बचाने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं:

डिजिटल गिरफ्तारी के मामले में, एक और महत्वपूर्ण पहलू है जिम्मेदारी और साझेदारी। ध्यान दें कि आप अपने डिजिटल उपकरणों और जानकारी की जिम्मेदार हैं। आपको सुरक्षित और स्वच्छ इंटरनेट अनुभव सुनिश्चित करने के लिए सहायक उपकरणों का उपयोग करना चाहिए, जैसे कि एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर, फ़ायरवॉल, और अद्यतित सॉफ़्टवेयर। 

इसके साथ ही, आपको सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मों पर अपनी गतिविधियों को सतर्कता और सजगता के साथ संभालना चाहिए। अंत में, डिजिटल गिरफ्तारी से बचने का एक महत्वपूर्ण पहलू है सामाजिक संज्ञान और शिक्षा, ताकि लोग जागरूक हों और सुरक्षित इंटरनेट उपयोग करें।

और पढ़ें:- ग्रेट निकोबार द्वीप को ‘हांगकांग’ में बदलने की तैयारी कर रहा भारत

Exit mobile version