एक ओला ड्राईवर ने एक आदमी को उसके बेटे के सामने पीटा, ओला को फर्क नहीं पड़ता

दिल्ली के किरण वर्मा और उनके छोटे बेटे के लिए ओला कैब की यात्रा एक भयानक अनुभव में बदल गई। जब ड्राइवर ने उनसे अचानक मार पिटाई शुरू कर दी। किरण के साथ हुई यह घटना ओला को सवालों के घेरे में खड़ा करती है।  

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दिल्ली के किरण वर्मा और उनके छोटे बेटे के लिए ओला कैब की यात्रा एक भयानक अनुभव में बदल गई। जब ड्राइवर ने उनसे अचानक मार पिटाई शुरू कर दी। किरण के साथ हुई यह घटना ओला को सवालों के घेरे में खड़ा करती है।  

क्या थी घटना

किरण वर्मा ने लिंक्डइन पर अपने साथ हुई घटना के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने लिखा कि जैसे ही उन्होंने ओला कैब बुक कर यात्रा शुरू की, ड्राइवर का व्यवहार तुरंत खराब हो गया क्योंकि उसने सामान्य इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के बजाय नकद भुगतान की मांग की। 

ड्राइवर की इस बात को किरण ने मानने से इनकार करते हुए मानक प्रक्रिया से पैसे देने के लिए कहा। किरण के इनकार से बेपरवाह ड्राइवर ने यातायात से बचने के बहाने नियोजित मार्ग से न जाकर किसी और रास्ते से जाना शुरू कर दिया। कुछ गलत होने का एहसास होते ही किरण ने जब रास्ता बदलने पर सवाल उठाया तो ड्राइवर ने किरण की इस बात का कोई जवाब देना सही नहीं समझा।

तनाव बढ़ने के साथ ही कैब के अंदर का माहौल और भी अधिक तनावपूर्ण हो गया। स्थिति को शांत करने और अपने बेटे को आश्वस्त करने की किरण की कोशिशों के बावजूद, ड्राइवर का आक्रामक आचरण और भी तेज हो गया, जिससे किरण लगातार असुरक्षित और भयभीत महसूस करने लगा। स्थिति तब ओर बिगड़ गई जब किरण ने ड्राइवर की फोटो खींच ली। इस हरकत से गुस्साए ड्राइवर ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए किरण के डरे हुए बेटे के सामने ही उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। 

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ओला की तरफ से रही शून्य जवाबदेही

इस घटना के बावजूद किरण ने ओला से मदद लेने के लिए तुरंत उनकी हेल्पलाइन से संपर्क किया और अपने साथ हुई पूरी घटना का विवरण देते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज कर दी। लेकिन यहां से उन्हें निराशा हाथ लगी, क्योंकि ओला की प्रतिक्रिया बेहद अपर्याप्त साबित हुई। ओला की ओर से स्थिति की गंभीरता पर गहन जांच या विचार किए बिना ही शिकायत को जल्दबाजी में बंद कर दिया गया।

ओला की संस्कृति और ग्राहक सुरक्षा पर विचार

भाविश अग्रवाल के नेतृत्व में ओला की कॉर्पोरेट संस्कृति जांच के दायरे में आ गई है, खासकर किरण और उनके बेटे द्वारा अनुभव की गई घटनाओं के बाद। ऐसा प्रतीत होता है कि कंपनी के भीतर जवाबदेही की घोर कमी है, जैसा कि यात्रियों की शिकायतों को खारिज करने और गलती करने वाले ड्राइवरों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न करने में दिखती है। भाविश अग्रवाल के नेतृत्व में ग्राहक सुरक्षा और संतुष्टि के प्रति ओला की प्रतिबद्धता गंभीर चिंताएं पैदा कर रही है।

यह घटना राइडशेयरिंग उद्योग के भीतर व्यापक सुरक्षा चिंताओं पर भी प्रकाश डालती है। यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार और हिंसा की घटनाएं पूरे उद्योग को प्रभावित करती हैं। ओला जैसी कंपनियों को अपने यात्रियों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने में अपनी ज़िम्मेदारी समझनी चाहिए और इन चिंताओं को दूर करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए।

अन्य घटनाओं और कंपनियों के साथ तुलना करने पर, यह स्पष्ट हो है कि ओला यात्री सुरक्षा के प्रबंधन को लेकर आलोचना का सामना करने वाली अकेली नहीं है। लेकिन राइडशेयरिंग उद्योग में ओला को अपनी इस कमी सुधारने की सख्त आवश्यकता है। अपने ग्राहकों का विश्वास फिर से हासिल करने के लिए, ओला को यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाले प्रणालीगत बदलावों को लागू करना होगा, जिसमें ड्राइवरों के लिए मजबूत प्रशिक्षण कार्यक्रम, सुरक्षा प्रोटोकॉल का सख्त प्रवर्तन और यात्री शिकायतों के समाधान के लिए पारदर्शी तंत्र को लागू करना शामिल हैं।

ऐसी सभी कंपनी का बहिष्कार करें जो यात्रियों सुरक्षा प्रदान न कर सकें

ऐसी कंपनी की प्रयोग करने से इंकार करें जो यात्री सुरक्षा और शिकायतों के प्रति प्रतिक्रिया को प्राथमिकता देने में विफल रहती है। इसके बजाय, उबर जैसी वैकल्पिक राइडशेयरिंग सेवाओं का विकल्प चुनें, जिसने यात्रियों की चिंताओं को दूर करने और सभी के लिए एक सुरक्षित अनुभव सुनिश्चित करने में सफल रही है।

किरण वर्मा के साथ हुए कष्टदायक अनुभव दिखता है ओला और सभी राइडशेयरिंग कंपनियों में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। आइए हम उन लोगों के साथ एकजुटता से खड़े हों जिन्होंने इसी तरह की कठिनाइयों का सामना किया है और #StopUsingOla के आंदोलन में एकजुट हों। साथ मिलकर, हम सभी यात्रियों के लिए सेवा के बेहतर मानकों और जवाबदेही की मांग कर सकते हैं।

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