दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कथित शराब घोटाले में चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। बीते शुक्रवार को उन्हें ईडी के सामने पेश होना था। कोर्ट से तो पहले ही झटका लग चुका है और पेश होने के स्पष्ट आदेश दिए गए हैं। इस बीच के. कविता की गिरफ्तारी ने भी आप संयोजक की चुनौतियों को बढ़ा दिया है। इस एक शराब घोटाले में अब कई लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।
मनीष सिसोदिया को सबसे पहले ईडी ने अरेस्ट किया था, इसके बाद संजय सिंह भी गिरफ्तार कर लिए गए। अब बड़े नेताओं में तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर की बेटी के कविता का नाम जुड़ गया है। उन्हें तेलंगाना से गिरफ्तार किया गया है और दिल्ली भी लाया जा चुका है। उनकी गिरफ्तारी की संभावना तो पहले से ही मानी जा रही थी, केजरीवाल की तरह उनकी तरफ से भी ईडी के समन को नजरअंदाज किया जा रहा था। दो बार उन्हें बुलाया गया था, लेकिन वे नहीं गईं।
इसी वजह से सबूतों के आधार पर ईडी ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए के कविता को अरेस्ट कर लिया और उनसे आगे की पूछताछ की जाएगी। अब के कविता पर जो आरोप लगे हैं, उनका सीधा वास्ता दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल से भी बैठता है।
असल में पिछले साल फरवरी में सीबीआई ने अकाउंटेंट बुचीबाबू गोरंतला को गिरफ्तार किया था। वो के कविता का अकाउंट संभालता था। सवाल-जवाब के दौरान उसने दावा किया था कि के. कविता, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के बीच राजनीतिक कनेक्शन था।
उसने ये भी बताया था कि कविता ने 19-20 मार्च 2021 को विजय नायर से भी मुलाकात की थी। विजय नायर को कथित शराब घोटाले में ईडी और सीबीआई, दोनों गिरफ्तार कर चुकी है. आरोप है कि 100 करोड़ की रिश्वत विजय नायर को ही दी गई थी।
अब ईडी के पास एक तरफ चार्जशीट में तो कई तरह दावे मौजूद है ही, इसके साथ-साथ सीएम अरविंद केजरीवाल को लेकर कुछ ऐसे सवाल भी हैं जो उन्हें और ज्यादा इस मामले में फंसा सकते हैं। असल में सबसे जरूरी फैक्ट तो ये निकलर सामने आया है कि विजय नायर, अरविंद केजरीवाल का करीबी था। यहां तक कहा गया है कि केजरीवाल ने नायर को अपना आदमी बताया था।
इसके ऊपर जिस शराब नीति को लेकर सारा बवाल चल रहा है, उसकी मीटिंग अरविंद केजरीवाल के घर पर ही हुई थी। इसके ऊपर मनीष सिसोदिया के ही तत्कालीन सचिन ने ईडी को बताया था कि शराब नीति में 6 फीसदी मार्जिन को बढ़ाकर 12 फीसदी करने का काम भी सीएम केजरीवाल ने ही किया था।
ऐसे में आरोप तो गंभीर लगाए गए हैं, उन आरोपों को साबित करने के लिए कुछ सबूत भी पेश किए गए हैं, अब केजरीवाल कैसे उनका सामना करते हैं, इस पर ही आगे का एक्शन तय होने जा रहा है।
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ED ने इसलिए किया के. कविता को अरेस्ट
बीआरएस नेता के कविता को उसी दिल्ली शराब घोटाला केस में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें अरविंद केजरीवाल सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया को अरेस्ट किया गया। उनके बाद आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह भी गिरफ्तार किए गए थे। जानकारी के मुताबिक, ईडी की टीम ने बीआरएस नेता के कविता को दो समन किए थे। हालांकि, कविता ने इसे नजरअंदाज किया।
यही नहीं उन्होंने ईडी के समन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका भी लगाई। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने इस पर सुनवाई 19 मार्च तक सुनवाई स्थगित कर दिया। इसी बीच ईडी की टीम ने शुक्रवार को शाम को के कविता को गिरफ्तार कर लिया। अब सवाल ये कि दिल्ली शराब घोटाले में साउथ का क्या कनेक्शन है और केसीआर की बेटी का नाम इसमें कहां से आया जानिए।
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से एक दिन पहले कार्रवाई
कविता की गिरफ्तारी लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से एक दिन पहले हुई है। के. कविता के खिलाफ मुख्य आरोप यह है कि वह साउथ लॉबी का हिस्सा थीं। उन्होंने दिल्ली की उत्पाद शुल्क नीति तैयार करने में अरविंद केजरीवाल सरकार के मंत्रियों और अन्य लोगों के साथ साजिश रची थी।
कविता पर दागी कंपनी इंडोस्पिरिट्स में बेनामी निवेश करने का आरोप है। ईडी आरोप लगा रही है कि घोटाले में 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई और पैसा हैदराबाद से दिल्ली ले जाया गया।
दिल्ली शराब घोटाला केस में कैसे आया कविता का नाम
दिल्ली शराब घोटाला केस में जांच एजेंसी ईडी ने दावा किया था कि के. कविता शराब कारोबारियों की लॉबी ‘साउथ ग्रुप’ से जुड़ी हुई थीं। ये 2021-22 के लिए दिल्ली आबकारी नीति में एक बड़ी भूमिका निभाने की कोशिश कर रही थीं।
यह नीति अब रद्द की जा चुकी है। आरोप है कि साउथ के इस ग्रुप और दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के बीच एक डील हुई थी। जिसमें इस ग्रुप ने आम आदमी पार्टी को 100 करोड़ रुपये का पेमेंट भी किया था। जांच एजेंसियों के मुताबिक रामचंद्र पिल्लई ने कविता की तरफ से इस डील में प्रतिनिधि के तौर पर काम किया था।
साउथ लॉबी से केसीआर की बेटी का क्या है कनेक्शन?
ईडी ने दावा किया कि हैदराबाद के कारोबारी रामचंद्र पिल्लई ने के. कविता और अन्य के कथित शराब कार्टल साउथ ग्रुप का प्रतिनिधित्व किया था। ईडी ने पिछले साल सितंबर से अब तक पिल्लई से कम से कम दर्जनों बार पूछताछ की। एजेंसी का दावा है कि पूरे दिल्ली आबकारी घोटाले के प्रमुख व्यक्तियों में से वह एक है, जिसमें भारी रिश्वत का पेमेंट और साउथ ग्रुप के सबसे बड़े कार्टल का गठन शामिल है।
ईडी ने कोर्ट को बताया कि साउथ ग्रुप में शरत रेड्डी (अरबिंदो फार्मा के प्रवर्तक), मगुनता श्रीनिवासुलु रेड्डी (ओंगोल लोकसभा सीट से वाईएसआर कांग्रेस सांसद), के कविता (तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की बेटी) और अन्य शामिल हैं।
ऐसे कविता के खिलाफ ED ने बढ़ाई जांच
जांच एजेंसी के मुताबिक, जून 2021 में हैदराबाद के आईटीसी कोहिनूर में एक बैठक हुई थी। इस मीटिंग में विजय नायर ने कुछ फंडों पर चर्चा की थी, जिन्हें हैदराबाद से दिल्ली ट्रांसफर किया जाना था। उन्होंने यह जिम्मेदारी दिनेश को सौंपी और उनसे इसके लिए कविता के एक अन्य सहयोगी अभिषेक बोइनपल्ली के साथ बातचीत के लिए कहा गया।
बाद में मगुंटा राघव रेड्डी और शरत चंद्र रेड्डी जैसे आरोपी सरकारी गवाह बन गए और के. कविता के खिलाफ बयान दिए। इस मामले में के. कविता से पिछले साल ईडी की टीम ने पूछताछ भी की थी।
क्या है दिल्ली शराब घोटाला?
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया।
इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी। जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई।
लाइसेंस फीस में भारी इजाफा करके बड़े कारोबारियों को लाभ पहुंचाने का आरोप
शराब ब्रिकी के लिए ठेकेदारों को लाइसेंस लेना पड़ता है। इसके लिए सरकार ने लाइसेंस शुल्क तय किया है। सरकार ने कई तरह की कैटेगिरी बनाई है। इसके तहत शराब, बीयर, विदेशी शराब आदि को बेचने के लिए लाइसेंस दिया जाता है।
अब उदाहरण के लिए पहले जिस लाइसेंस के लिए ठेकेदार को 25 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसी के लिए पांच करोड़ रुपये देने पड़े। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया।
इससे छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं और बाजार में केवल बड़े शराब माफियाओं को लाइसेंस मिला। विपक्ष का आरोप ये भी है कि इसके एवज में आप के नेताओं और अफसरों को शराब माफियाओं ने मोटी रकम घूस के तौर पर दी।
नीति से हुआ 144.36 करोड़ का नुकसान
सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थीं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था।
इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मामले में जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी।
घोटाले की जांच कैसे शुरू हुई?
इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके साथ ही दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई। हालांकि, नई शराब नीति को बाद में इसे बनाने और इसके कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोपों के बीच रद्द कर दिया गया था।
सीबीआई ने अगस्त 2022 में इस मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ नियमों के कथित उल्लंघन और नई शराब नीति में प्रक्रियागत गड़बड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की। बाद में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के संबंध में ईडी ने पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की जांच शुरू कर दी।
ईडी और सीबीआई दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में कथित घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही हैं। ईडी नीति को बनाने और लागू करने में धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है। वहीं, सीबीआई की जांच नीति बनाते समय हुई कथित अनियमितताओं पर केंद्रित है।