भारत ने ‘मिशन दिव्यास्त्र‘ के तहत मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक से लैस अग्नि-V मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया है। इस उपलब्धि ने न केवल भारत की सामरिक प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत किया है बल्कि पड़ोसी देश चीन की भी चिंता बढ़ा दी है।
मिशन दिव्यास्त्र और एमआईआरवी टेक्नोलॉजी
मिशन दिव्यास्त्र के तहत आयोजित अग्नि-V परीक्षण मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक में भारत की महारत दिखती है। यह क्षमता एक ही मिसाइल को विभिन्न लक्ष्यों पर स्वतंत्र रूप से कई हथियार ले जाने और तैनात करने की अनुमति देती है, जिससे भारत की निवारक क्षमता में काफी वृद्धि होती है। प्रत्येक मिसाइल की मारक क्षमता को प्रभावी ढंग से बढ़ाकर, एक साथ कई खतरों से निपटा जा सकता है।
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लगा है स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम
मआईआरवी ऐसी तकनीक है जिसमें मिसाइल प्रणाली में कई परमाणु आयुध होते हैं जो एक बार में कई लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं या कई आयुधों से एक लक्ष्य को भेद सकते हैं। इसकी खासियत है कि यह स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और उच्च सटीकता वाले सेंसरों से लैस है। ये सुनिश्चित करते हैं कि री-एंट्री व्हीकल सटीक लक्ष्यों पर पहुंचे। इसे भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता का प्रतीक माना जा रहा है।
रेंज बढ़कर हुई 7,000 किमी
अग्नि-5 एक परमाणु बेलेस्टिक मिसाइल है, जो परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है। पहले इस मिसाइल की रेंज 5,000 किमी तक थी, लेकिन अब इसकी रेंज बढ़ाकर 7,000 किमी तक हो गई है। इसकी रेंज को बढ़ाने के लिए डीआरडीओ ने इसमें लगे स्टील के हिस्सों को हटाकर कंपोजिट मटेरियल का इस्तेमाल किया है, जिससे इसका वजन करीब 20 फीसदी कम हो गया है।
अग्नि-5 की जद में अब कई देश
आपको बता दें कि अग्नि-5 एक अतरमहाद्वीपीय बेलिस्टिक मिसाइल है, जो अपनी बढ़ी हुई रेंज के चलते लगभग आधी दुनिया को अपनी जद में ले सकती है। भारत से लॉन्च किए जाने के बाद यह मिसाइल आधे अफ्रीका, रूस का ऊपरी हिस्सा, ऑस्ट्रेलिया का उत्तरी भाग और ग्रीनलैंड तक को अपनी जद में ले सकती है। जानकारी के अनुसार इस मिसाइल को भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और डीआरडीओ ने संयुक्त प्रयास के साथ बनाया है।
अग्नि सीरीज की अब तक की मिसाइलें
अग्नि सीरीज में अग्नि-1, अग्नि-2, अग्नि-3, अग्नि-4 और अब अग्नि-5 मिसाइलें विकसित की जा चुकी हैं। इनमें अग्नि-1 पहली जनरेशन की मिसाइल थी, जिसकी रेंज 700 से 800 किमी की थी। इसके बाद अग्नि-2 विकसित हुई, जिसकी रेंज 2,000 किमी से अधिक हुई। अग्नि-3 की रेंज 2,500 किमी तक हुई, जिसके बाद अग्नि-4 की रेंज को बढ़ाकर 3.500 किमी तक किया गया। अब अग्नि-5 की रेंज को बढ़ाकर 5,000 से 7,000 किमी तक कर दिया गया है।
ले जा सकती है 1,500 किग्रा का परमाणु बम
जानकारी के अनुसार अग्नि-5 का वजन करीब 50 हजार किलोग्राम था, लेकिन चूंकि इसके स्टील एलिमेंट को हटाकर कंपोजिट मटेरियल का इस्तेमाल किया गया और इसका वजन 20 फीसदी कम किया गया है, तो अब इसका वजन करीब 40 हजार किलोग्राम हो गया है यह मिसाइल 17.5 मीटर लंबी है और इसका व्यास 6.7 फीट है। इस मिसाइल में 1,500 किलोग्राम वजन का परमाणु बम लगाया जा सकता है।
चीन ने भेजा जासूसी जहाज
चीनी स्पाई जहाज Xiang Yang Hong 01 चीन के किंगदाओ से 23 फरवरी को रवाना हुआ था और रविवार को यह बंगाल की खाड़ी में पहुंचा है। यह 4 हजार टन से भी ज्यादा वजनी है खबर है। जासूसी जहाज Xiang Yang Hong 01 विशाखापत्तनम के तट से महज करीब 480 किमी की दूरी पर ही है।
7 मार्च को भारत ने NOTAM या नोटिस टू एयर मिशन जारी किया था। दरअसल यह एक प्रक्रिया है, जो बंगाल की खाड़ी और भारतीय समुद्र क्षेत्र (IOR) पर टेस्टिंग करने से पहले जारी करना जरूरी होती है। इसका मकसद पड़ोसियों को परीक्षण के बारे में बताना होता है।
अमेरिका ने 1970 में विकसित की थी MIRV तकनीक
MIRV तकनीक सबसे पहले अमेरिका ने 1970 में विकसित की थी। 20वीं सदी के अंत तक अमेरिका और सोवियत संघ दोनों के पास MIRV से लैस कई इंटरकॉन्टिनेंटल और सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइलें थीं।
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