भारत में इलेक्शन ऑपरेशन सेंटर एक्टिव करेगा Meta 

लोकसभा चुनाव में ऑनलाइन सामग्री के जरिये खलल की आशंका दूर करने के लिए तकनीकी कंपनी मेटा विशेष इलेक्शन ऑपरेशन सेंटर तैयार करेगी।

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लोकसभा चुनाव में ऑनलाइन सामग्री के जरिये खलल की आशंका दूर करने के लिए तकनीकी कंपनी मेटा विशेष इलेक्शन ऑपरेशन सेंटर तैयार करेगी। मेटा अपने ऐप्लिकेशन एवं तकनीकी प्लेटफॉर्म पर लोगों को गुमराह करने वाली खबरों से बेअसर रखने के लिए खास इंतजाम करेगी। 

कंपनी भारत में तथ्यों की जांच करने वाली (फैक्ट चेकर) अपनी टीम को तैयार कर रही है और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के गलत इस्तेमाल पर भी अंकुश लगाने की जुगत में लगी है। देश में 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में लोकसभा चुनाव कराए जाएंगे।

मेटा ने कहा है कि वह गुमराह करने वाली खबरें फैलने से रोकने के सभी उपाय करेगी। कंपनी ने कहा कि वह मतदाताओं को प्रभावित करने वाली सामग्री हटाएगी और फेसबुक और थ्रेड्स पर पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए जवाबदेही तय करेगी। मेटा ने कहा है कि देश में आम चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष एवं पारदर्शी रखने में वह अपनी तरफ से पूरा सहयोग करेगी।

मेटा ने भारत के लिए विशिष्ट चुनाव परिचालन केंद्र तैयार करने के बारे में आज कहा, ‘कंपनी अपनी एआई, डेटा साइंस, अभियांत्रिकी, शोध, संचालन, सामग्री नीति और विधि टीमों से विशेषज्ञ बुलाएगी और विभिन्न प्लेटफॉर्म से ऐसी सामग्री हटाएगी, जो चुनाव प्रक्रिया एवं मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है।’

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नई तकनीकी का जिम्मेदार उपयोग

इस आम चुनाव में जेनेरेटिव एआई की मदद से तैयार सामग्री पर भी आयोग समेत सबकी निगाहें होंगी। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कुछ महीने पहले बड़ी तकनीकी कंपनियों को ऐसी व्यवस्था (वाटर मार्किंग) या प्रणाली तैयार करने के लिए कहा था, जो एआई डीपफेक के इस्तेमाल से तैयार सामग्री का पता लगा सके। मेटा के साथ काम कर रहे फैक्ट-चेकर एआई से तैयार सामग्री की समीक्षा करने के साथ उन्हें रेटिंग भी देंगे।

मेटा ने कहा कि वह गूगल, ओपनआई, माइक्रोसॉफ्ट, अडोबी, मिडजर्नी और शटरस्टॉक द्वारा एआई से तैयार तस्वीरों की पहचान कराने के लिए नई तकनीक तैयार कर रही है। यूजर इन कंपनियों द्वारा तैयार तस्वीरों को फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स पर डालते रहते हैं।

मेटा की तरह गूगल भी चुनाव के दौरान मतदाताओं को गुमराह करने वाली सामग्री पर नकेल कसने में सहयोग कर रही है। कंपनी ने अपने एआई प्लेटफॉर्म जेमिनी में कुछ बदलाव किए हैं जिसके बाद यह भारतीय चुनावों से सीधे तौर पर जुड़े किसी सवाल का जवाब नहीं दे पाएगा।

11 फेक्ट चेक पार्टनर

अब देश भर में मेटा के 11 फेक्ट चेक पार्टनर हैं, जो 15 भाषाओं को कवर करते हैं। इसके 15,000 कंटेंट समीक्षक हैं, जो 20 भारतीय भाषाओं सहित 70 से अधिक भाषाओं में फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स पर कंटेंट की समीक्षा करते हैं।

मेटा ने कहा कि हम स्वैच्छिक आचार संहिता से भारत के चुनाव आयोग के साथ जुड़े हुए हैं, जिसमें हम 2019 में शामिल हुए थे, जो आयोग को हमारे लिए गैरकानूनी कंटेंट को चिह्नित करने के लिए एक उच्च प्राथमिकता वाला चैनल देता है।

इस साल से, कंपनी को वैश्विक स्तर पर विज्ञापनदाताओं से यह बताना जरूरी है कि वे किन मामलों में राजनीतिक या सामाजिक मुद्दे वाले विज्ञापन बनाने या बदलने के लिए एआई या डिजिटल तरीकों का उपयोग करते हैं।

मेटा किस प्रकार की सामग्री हटा देगा

मेटा ने कहा कि यह फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स से “सबसे गंभीर प्रकार की गलत सूचना” को हटा देगा। इसमें ऐसी सामग्री शामिल है जो मतदान को दबा या प्रभावित कर सकती है, या हिंसा या शारीरिक क्षति में योगदान कर सकती है। इसमें एक धर्म के किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे धर्म के किसी अन्य व्यक्ति या समूह को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने या परेशान करने के झूठे दावे भी शामिल होंगे।

गलत कंटेंट की पहचान कैसे करेगा मेटा?

मेटा ने कहा कि वह कीवर्ड डिटेक्शन का उपयोग करेगा ताकि तथ्य-जांचकर्ताओं के लिए गलत सूचना को समय पर ढूंढना और रेटिंग देना आसान हो सके। इसके लिए, इसके सभी साझेदारों को कंपनी के नए शोध उपकरण मेटा कंटेंट लाइब्रेरी तक पहुंच प्राप्त होगी, जो एक शक्तिशाली खोज क्षमता प्रदान करती है।

कंपनी ने कहा कि वह एआई-जनित सामग्री का भी पता लगाएगी जो उसके सामुदायिक मानकों या सामुदायिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन करती है और उसे हटा देगी। एआई-जनित सामग्री स्वतंत्र तथ्य-जांचकर्ताओं द्वारा समीक्षा और मूल्यांकन के लिए भी योग्य है।

ऐसी गलत AI सामग्री फेसबुक पर फीड में कम दिखाई देगी और सामग्री का वितरण कम कर देगी। इंस्टाग्राम पर, परिवर्तित सामग्री एक्सप्लोर से फिल्टर हो जाएगी और फीड और कहानियों में कम प्रमुखता से प्रदर्शित होगी, इससे इसे देखने वाले लोगों की संख्या काफी कम हो जाएगी।

कंपनी फरवरी के अंत से व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर गलत सूचनाओं को पहचानने और संबोधित करने के बारे में उपयोगकर्ताओं को शिक्षित करने के लिए 8 सप्ताह लंबा सुरक्षा अभियान, ‘जानें क्या है वास्तविक है’ चला रही है।

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