‘रोमियो’ हेलीकॉप्टर उड़ाएगा दुश्मनों के होश।

भारतीय नौसेना बुधवार को कोच्चि में आईएनएस गरुड़ पर नए एमएच 60आर सीहॉक मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर(रोमियो) को कमीशन करेगी।

भारतीय नौसेना, एमएच 60आर सीहॉक, रोमियो हेलीकॉप्टर

भारत सरकार लगातार देश की तीनों सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने का काम कर रही है। इसी कड़ी में भारतीय नौसेना बुधवार को कोच्चि में आईएनएस गरुड़ पर नए एमएच 60आर सीहॉक मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर(रोमियो) को कमीशन करेगी। यह ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर का एक समुद्री संस्करण है। इसे भारत के रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। सीहॉक स्क्वाड्रन को भारतीय नौसेना में आईएनएएस 334 के रूप में कमीशन किया जाएगा।

नौसना ने क्या कहा?

नौसेना ने कहा कि इस हेलीकॉप्टर का उसके बेड़े में शामिल होना देश की रक्षा आधुनिकीकरण यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। यह एंटी सबमरीन वॉरफेयर, एंटी सर्फेस वॉरफेयर, खोज एवं बचाव अभियानों, मेडिकल इवैक्यूएशन और जहाजों को बीच समुद्र में रसद की आपूर्ति के लिए डिजाइन किया गया है। 

नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि सीहॉक हेलिकॉप्टरों को आईएनएएस (इंडियन नेवल एयर स्क्वॉड्रन) 334 नाम के नये स्क्वॉड्रन में कमीशन किया जाएगा और इसके शामिल होने के साथ ही नौसेना अपनी समुद्री ताकत में महत्वपूर्ण वृद्धि की गवाह बनेगी। 

हेलीकॉप्टर का भारतीय परिस्थितियों में कड़ाई से परीक्षण किया गया है और यह बेड़े में पूरी तरह से एकीकृत है। उनके उन्नत हथियार, सेंसर और एवियोनिक्स सूट सीहॉक को भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए आदर्श बनाते हैं, जो पारंपरिक और असममित दोनों खतरों के लिए उन्नत क्षमताएं प्रदान करते हैं। 

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एमएच 60 आर सीहॉक मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर की तैनाती से क्या असर होगा?

यह देश की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाएगा, नौसेना की परिचालन पहुंच का विस्तार करेगा और स्पेक्ट्रम तथा विशाल समुद्री डोमेन में निरंतर नौसैनिक संचालन का समर्थन करेगा। आईओआर में सीहॉक की तैनाती भारतीय नौसेना की समुद्री उपस्थिति को मजबूत करेगी, संभावित खतरों को दूर करेगी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करेगी। 

सीहॉक की तैनाती समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारतीय नौसेना के दृढ़ समर्पण को रेखांकित करती है, जो क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करने के भारत सरकार के लक्ष्य के साथ सहजता से जुड़ती है। 

क्या खासियत है? 

अमेरिका निर्मित एमएच 60आर सीहॉक, ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर का एक समुद्री संस्करण है। हेलीकॉप्टर को पनडुब्बी रोधी युद्ध, सतह रोधी युद्ध, खोज और बचाव और चिकित्सा निकासी सहित अन्य अभियानों के लिए तैयार किया गया है। 

भारत ने विदेशी सैन्य बिक्री के ढांचे के तहत फरवरी 2020 में 24-एमएच 60आर की खरीद के लिए अमेरिका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। नौसेना ने कहा, ‘‘हिंद महासागर क्षेत्र में सीहॉक की तैनाती भारतीय नौसेना की समुद्री मौजूदगी को मजबूत करेगी, संभावित खतरों को दूर करेगी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में एक सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करेगी।’’

किसी भी तरह के युद्धपोत पर तैनात कर सकते हैं

इसे भारतीय नौसेना के स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत INS Vikrant पर तैनात करने की योजना है। इसे फ्रिगेट, कॉर्वेट या डेस्ट्रॉयर्स से भी ऑपरेट किया जा सकता है। रोमियो को अमेरिकी कंपनी स्कोरस्की बनाती है। रोमियो के कुल 5 वैरिएंट्स हैं।

क्रू के अलावा पांच लोग और बैठ सकते हैं इसमें 

इसके अलावा इसमें 5 लोग बैठ सकते हैं। इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 10,433 kg है। यानी पूरे हथियारों, यंत्रों और सैनिकों के साथ इसकी लंबाई 64.8 फीट है। ऊंचाई 17.23 फीट है। एमएच 60आर हेलिकॉप्टर में दो जनरल इलेक्ट्रिक के टर्बोशैफ्ट इंजन लगे हैं। इसके मुख्य पंखे का व्यास 53.8 फीट है। यह हेलिकॉप्टर की एक बार में 830 km तक की दूरी तय कर सकता है। अधिकतम 12 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है। सीधे उठने की गति 1650 फीट प्रति मिनट है। रोमियो अधिकतम 270 km की गति से उड़ सकता है। 

हेलफायर मिसाइलों से लैस, टारगेट बचता नहीं है

जरूरत पड़ने पर गति को बढ़ाकर 330 km/hr तक ले जाया जा सकता है। इससे अधिक नहीं। अब आपको बताते हैं कि इस पर किस तरह के हथियार लगाए जा सकते हैं। इस पर दो मार्क 46 टॉरपीडो या MK 50 या MK 54s टॉरपीडो लगाए जा सकते हैं। 

इसके अलावा 4 से 8 AGM-114 Hellfire Missile लगाए जा सकते हैं। इस हेलिकॉप्टर पर APKWS यानी एडवांस्ड प्रेसिसिशन किल वेपन सिस्टम लगा सकते हैं। इस हेलिकॉप्टर पर चार प्रकार की हैवी मशीन गन लगाई जा सकती है। जिनसे दुश्मन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाना आसान हो जाता है। इसके अलावा रैपिड एयरबॉर्न माइन क्लियरेंस सिस्टम (RAMICS) और 30 मिमी की Mk 44 Mod 0 तोप लगाई जा सकती है। इस हेलीकॉप्टर का में जुड़ना भारतीय नौसेना के लिए काफी लाभदायक साबित होगा। 

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