रूस और यूक्रेन के बीच की जंग को दो साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। युद्ध कब खत्म होगा किसी को पता नहीं है। लेकिन ये युद्ध परमाणु युद्ध में तब्दील क्यों नहीं हुआ इसका खुलासा अमेरिकी मीडिया ने कर दिया। रूस यूक्रेन युद्ध से जुड़े अमेरिकी ऑफिसर्स के हवाले से बड़ी जानकारी सामने आई है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस युद्ध में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को रोकने में बड़ी भूमिका निभाई है। यानी पीएम मोदी दखल नहीं देते तो कीव नागासाकी और हिरोशिमा की तरह शमशान बन जाता। कहा जा रहा है कि मोदी पुतिन को नहीं मनाते तो दुनिया का इतिहास-भूगोल सब बदल जाता।
अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 के आखिरी दिनों में अमेरिका को यह डर सताने लगा था कि रूस एक रणनीतिक परमाणु हथियार से यूक्रेन पर हमला कर सकता है। इस परमाणु हमले के खतरे को देखते हुए अमेरिका ने भी ‘पुरजोर तरीके से अपनी तैयारी’ शुरू कर दी थी।
रूस अगर यूक्रेन पर परमाणु हमला करता तो यह हिरोशिमा और नागासाकी के बाद पहली बार होता जब किसी युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल किया जाता। इस महासंकट के बीच अमेरिका ने पीएम मोदी समेत दुनिया के कई देशों के नेताओं से मदद मांगी ताकि हमले को रोका जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी समेत दुनिया के अन्य नेताओं ने इस रूसी परमाणु हमले को रोकने में अहम भूमिका निभाई।
बाइडन प्रशासन के दो अधिकारियों ने सीएनएन से बातचीत में कहा कि अमेरिकी प्रशासन को खासतौर पर यह डर सता रहा था कि रूस टैक्टिकल या युद्धक्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले परमाणु बम का इस्तेमाल कर सकता है।
इसको देखते हुए अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने तत्काल जवाबी प्लान तैयार करना शुरू कर दिया था। इस हालात से बाइडन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी टेंशन में आ गए थे। इसके बाद रूसी हमले को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जाने की तैयारी शुरू हो गई। अमेरिका का यह डर कई घटनाक्रमों और खुफिया सूचनाओं पर आधारित थे।
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‘पीएम मोदी के बयानों ने रूस को रोका’
इसी के तहत बाइडन प्रशासन ने पीएम मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और दुनिया के अन्य नेताओं से बाइडन प्रशासन ने मदद की गुहार लगाई ताकि इस परमाणु संकट को टाला जा सके। बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने रूस को न केवल सीधा संदेश दिया बल्कि अन्य देशों से भी कहा कि वे रूस को ऐसा करने के लिए खुलकर आवाज उठाएं।
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि पीएम मोदी के सार्वजनिक बयानों ने इस महासंकट को खत्म करने में मदद की। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत की अपील के बाद रूस की सोच में बदलाव आया।
यूएस ने की पीएम मोदी की सराहना
पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सामने ही खुलकर कहा था कि यह दौर युद्ध का नहीं है। पीएम मोदी के इस बयान की अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने जमकर सराहना की थी। दरअसल, यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस को पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से बचाने में भारत और चीन ने अहम भूमिका निभाई है।
भारत ने रूस से रेकॉर्ड तेल खरीदा और दोनों के बीच व्यापार अब रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। विश्लेषकों का मानना है कि यही वजह है कि रूसी राष्ट्रपति भारतीय प्रधानंत्री मोदी की अपील को अनसुना नहीं कर सके।
यूक्रेन से जुड़े हर मामले में पीएम मोदी सक्रिय
रूस और यूक्रेन का संघर्ष दो साल पुराना है. फरवरी, 2022 में शुरू हुए हिंसक संघर्ष और गहराते मानवीय संकट के बीच बीते 24 महीने से अधिक समय में इस युद्ध के परमाणु संघर्ष की तरफ बढ़ने की कई रिपोर्ट्स भी सामने आईं।
दोनों देशों में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी या उनकी सुरक्षा के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमान संभाली थी। अब एक अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएम मोदी और कई वैश्विक नेताओं की सक्रियता के कारण परमाणु युद्ध को टाला जा सका।