भारत-चीन सीमा विवाद के बीच दलाई लामा ने चीन से शुरू की बातचीत।

भारत और चीन के बीच इन दिनों सीमा पर युद्ध जैसी तैयारी है। इस तनावपूर्ण माहौल के बीच तिब्‍बती धर्मगुरु दलाई लामा ने चीन के साथ पर्दे के पीछे बातचीत शुरू कर दी है।

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भारत और चीन के बीच इन दिनों सीमा पर युद्ध जैसी तैयारी है। गलवान हिंसा के बाद दोनों ही देशों ने सीमा पर 50-50 हजार से ज्‍यादा सैनिकों को तैनात किया है। इस तनावपूर्ण माहौल के बीच तिब्‍बती धर्मगुरु दलाई लामा ने चीन के साथ पर्दे के पीछे बातचीत शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि करीब 1 दशक के बाद तिब्‍बती नेताओं और चीन के बीच फिर से बातचीत शुरू हुई है। 

हालांकि अभी तत्‍काल इसमें कोई खास सफलता नहीं मिली है। तिब्‍बत की निर्वासित सरकार के राजनीतिक नेता पेनपा त्‍सेरिंग ने कहा है कि वार्ताकार बीजिंग में लोगों से बातचीत कर रहे हैं। साथ ही चीनी पक्ष की ओर से अन्‍य लोगों ने तिब्‍बती नेतृत्‍व के साथ संपर्क किया है।

तिब्‍बती नेता पेनपा त्‍सेरिंग ने कहा कि, ‘हमारा पिछले साल से बैक चैनल संवाद चल रहा है लेकिन हमें तत्‍काल कोई अपेक्षा नहीं है। यह लंबी अवधि तक चलेगा। हम बातचीत को जारी रखना चाहते हैं। इस बातचीत को शुरू हुए एक साल से ज्‍यादा का समय हो गया है। चीनी हमसे संपर्क कर रहे हैं, यह हम हैं जो उनके साथ संपर्क नहीं कर रहे हैं। 

लेकिन इस मौके पर कोई उम्‍मीद करना वास्‍तव‍िकता से दूर होगा।’ साल 2010 के औपचारिक बातचीत के टूट जाने बाद ऐसा पहली बार हो रहा है जब दोनों पक्षों के बीच फिर से संपर्क शुरू हुआ है लेकिन यह ‘बहुत अनौपचारिक’ है। साल 2010 में चीन और तिब्‍बती नेताओं के बीच 9 दौर की बातचीत हुई थी।

भारत और चीन में तनाव, दलाई लामा क्‍यों कर रहे बातचीत?

तिब्‍बत की निर्वासित सरकार के सूचना और अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के मंत्री नोरजिन डोलमा ने भी स्‍वीकार किया है कि चीन के साथ पर्दे के पीछे से बातचीत चल रही है। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि इस बातचीत से कोई ठोस परिणाम नहीं सामने आया है। 

साल 2002 और 2010 के बीच औपचारिक बातचीत के दौरान तिब्‍बती पक्ष ने एक दस्‍तावेज पेश किया था जिसमें उन्‍होंने तिब्‍बती लोगों को वास्‍तविक स्‍वायत्‍तता की मांग की थी। तिब्‍बती नेताओं और चीन के बीच यह बैकचैनल बातचीत ऐसे समय पर शुरू हुई है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर बहुत ज्‍यादा तनाव है।

भारत और चीन के बीच 6 दशक में रिश्‍ते सबसे नीचे चले गए हैं। तिब्‍बत के स्‍वायत्‍त इलाके में ही चीन ने हजारों की तादाद में सैनिक तैनात किए हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर सैन्‍य अड्डे और एयरबेस बना लिए हैं। यही नहीं चीन ने बड़े पैमाने पर अत्‍याधुनिक फाइटर जेट और मिसाइलें तैनात की है। 

चीन ने कई शक्तिशाली रेडार और अन्‍य जासूसी उपकरण भी लगाए हैं। चीन और भारत के बीच कई 2020 में गलवान हिंसा हुई थी और दोनों देशों के कई सैनिक मारे गए थे। तिब्‍बती नेता पेनपा त्‍सेरिंग ने कहा कि उनकी निर्वासित सरकार भारत के विदेश मंत्रालय और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ तिब्‍बत के मुद्दे पर पूरी तरह से मिलकर काम कर रही है।

तिब्‍बत के बच्‍चों को जड़ों से काट रहा चीन

पेनपा त्‍सेरिंग ने कहा कि भारत और त‍िब्‍बती सरकार के बीच बहुत पारदर्शी रिश्‍ता रहा है। उन्‍होंने कहा कि चीन ने जो सीमा पर दादागिरी दिखाई, उससे तिब्‍बत का मुद्दा भारत में प्रमुखता से उठा है। बता दें कि भारत सरकार की स्थित‍ि साफ है कि चीन के साथ तब तक रिश्‍ते सामान्‍य नहीं हो सकते हैं जब तक कि एलएसी पर चीन की सेनाएं पीछे नहीं हटती हैं। 

चीन की कोशिश अब है कि किसी तरह से यथास्थिति को बहाल रखा जाए जिसमें उसको फायदा है। चीन ने तिब्‍बत के बच्‍चों को उनकी जड़ों से काटना शुरू कर दिया है। उन्‍हें जबरन ऐसे स्‍कूलों में डाला जा रहा है जहां वे अपनी संस्‍कृति से कट जा रहे हैं। इससे वे अब चीन के रंग में रंगते जा रहे हैं।

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