राजनीति बदलने का नारा देकर दिल्ली की सत्ता में आए अरविंद केजरीवाल की याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी है। यह याचिका शराब मामले में नियमित जमानत को लेकर नहीं थी, बल्कि यह याचिका इस आधार पर थी कि उन्हें हिरासत में लिए जाने का कोई आधार नहीं था। और उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तो यहां तक कहा था कि एक सिटिंग मुख्यमंत्री को कैसे गिरफ्तार किया जा सकता है?
यह भी तर्क दिए गए थे कि केवल चुनावों में अरविंद केजरीवाल प्रचार न कर सकें, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि उनकी गिरफ्तारी दरअसल पीएमएलए की धारा 19 का उल्लंघन है। और चूंकि ईडी के पास कोई सबूत या गवाह नहीं है, और किसी भी गवाह ने उनका नाम नहीं लिया था, इसलिए उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है। दिल्ली उच्च न्यायालय में जस्टिस स्वर्णकान्ता शर्मा की कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई थी और 3 अप्रैल को इस मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया गया था।
कोर्ट के फैसले से हुआ हर झुठ का पर्दाफाश
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी के समन्वयक एवं मुख्यमंत्री आरविंद केजरीवाल की याचिका पर निर्णय सुनाते हुए आम आदमी पार्टी के हर झूठ का पर्दाफाश तो किया ही, साथ ही यह भी बताया कि आप भी आम आदमी ही हैं। आम आदमी के नाम पर राजनीति करने वाले अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री होने का हवाला दिया था कि एक मुख्यमंत्री को ऐसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
अब ऐसे में आम आदमी पार्टी के दोहरे रवैये पर प्रश्न उठते हैं कि आखिर अपराध को क्या केवल मुख्यमंत्री होने के नाम पर माफ कर दिया जाए? और भ्रष्टाचार से लड़ने का वादा करके दिल्ली की सत्ता में आई आम आदमी पार्टी आज मुख्यमंत्री पद के चेहरे के पीछे इसलिए छिप रही है कि उसे सजा न मिले।
क्या अरविंद केजरीवाल इसे भूल गए हैं कि एक लोकतंत्र में एक मुख्यमंत्री एवं आम आदमी दोनों के समान अधिकार हैं। वे स्वयं को इतना विशेष क्यों मान रहे हैं? न्यायालय ने भी इसी बात पर टिप्पणी की। अरविंद केजरीवाल पर टिप्पणी करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि ईडी द्वारा एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि केजरीवाल ने साजिश रची और आबकारी नीति बनाने में शामिल थे और अपराध की आय का इस्तेमाल किया।
न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि वे कथित तौर पर नीति निर्माण और रिश्वत की मांग में व्यक्तिगत क्षमता और आप के राष्ट्रीय संयोजक की हैसियत में शामिल हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि गवाह को दी गई माफी पर संदेह उत्पन्न करने का अर्थ है कि न्यायालय की प्रक्रियाओं पर प्रश्न उठाना। अप्रूवर अर्थात गवाह के लिए कानून 100 वर्ष से अधिक पुराना है। यह एक साल पहले कानून नहीं बनाया है, जो याचिकाकर्ता को फंसाने के लिए बना दिया गया हो। उन्होनें यह भी कहा कि यह न्यायालय का मामला नहीं है कि किसे किससे चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिला या फिर किसने चुनावी बॉन्ड खरीदे।
गिरफ्तारी के बारे में टिप्पणी करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि ईडी के पास पर्याप्त सामग्री थी, जिसके कारण उन्होंने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल द्वारा जांच मेंं शामिल नहीं होने और न्यायिक हिरासत मेंं बंद लोगों पर भी असर पड़ा। और जो सबसे बड़ी बात माननीय उच्च न्यायालय ने कही कि न्यायाधीश कानून द्वारा बाध्य होते हैं न कि राजनीति के द्वारा। निर्णय कानूनी सिद्धांतों द्वारा लिखे जाते हैं न कि राजनीतिक दृष्टिकोण से।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कहा कि यह मामला ईडी और केजरीवाल के बीच का मामला है, दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच नहीं। ईडी के पास पर्याप्त सामग्री है, यह भी कहा कि गवाह और उनके खुद के उम्मीदवारों ने माना कि उन्हें नकद पैसे दिए गए थे।
आम आदमी के नाम पर राजनीति करने वाली आम आदमी पार्टी ने न केवल अपने मुख्यमंत्री के लिए विशेष व्यवहार की मांग न्यायालय से की, बल्कि अपनी राजनीति में बाबा साहब आम्बेडकर एवं सरदार भगत सिंह का भी अपमान किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने कुछ दिन पहले जब अपनी बात रखी तो उन्होंने सरदार भगत सिंह एवं बाबा साहब की तस्वीरों के बीच सलाखों के पीछे अरविंद केजरीवाल की तस्वीर भी लगाई।
आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल इससे पहले भी ऐसा कर चुके हैं। अपने नेताओं की तुलना पहले भी भगत सिंह से की थी। मनीष सिसोदिया को भगत सिंह बताया गया था। यहां तक कि राजनीतिक लाभ के लिए उनकी तुलना महाराणा प्रताप के वंशज से भी की गई थी।
और अब यह देखना सभी के लिए यातनापूर्ण था कि उनकी जेल मेंं बंद फोटो भगत सिंह जी और बाबा साहेब के बीच लगी है। अरविन्द केजरीवाल देश सेवा मेंं कार्य करते हुए जेल में नहीं है बल्कि शराब घोटाले के कारण जेल में हैं। लोगों को याद होगा कि पंजाब में नशा मुक्ति का नारा लगाकर सत्ता में आने वाली आम आदमी पार्टी ने दिल्ली को कैसे नशे की आग में झोंक दिया था। पढ़ाई के लिए स्कूल खुलवाने के नाम पर शराब के ठेके खुलवा दिए थे।
इस तस्वीर को लेकर भगत सिंह के पोते यदविंदर संधू की प्रतिक्रिया भी सामने आई थी जिसमेंं उन्होंने कहा था कि ये देखने के बाद मुझे बहुत बुरा लगा है। मैं आम आदमी पार्टी से कहूंगा कि वह ऐसी गतिविधियों से दूर रहे।
उन्होंने कहा था कि आम आदमी पार्टी को राजनीति करनी है ते करे, मगर इस प्रकार महान लोगों से तुलना न करें। आज के उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि आज न्यायालय मे अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के हर झूठ का पर्दाफाश हो गया है और यह भी हैरान करने वाली बात है कि आज तक किसी भी सिटिंग मुख्यमंत्री के लिए न्यायालय द्वारा इतने कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है, जितना अरविन्द केजरीवाल के लिए किया गया। अब फिर प्रश्न यही है कि क्या दिल्ली की जनता से माफी मांगेंगे केजरीवाल?
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