रामनवमी पर होगा रामलला का सूर्य तिलक, जानें क्यों है खास।

राम नवमी का दिन राम मंदिर के लिए बेहद खास होगा, जिसकी एक वजह मंदिर में होने वाला रामलला का सूर्य तिलक है। आईए जानते हैं कब और कैसे होगा तिलक।

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इसी साल की शुरुआत में जनवरी में राम मंदिर की स्थापना हुई थी। इस मंदिर में कई खास बातें हैं जो हर किसी को मंदिर की ओर आकर्षित करती हैं। साथ ही भगवान राम के दर्शन भी विशेष महत्व रखते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि राम नवमी का दिन इस मंदिर के लिए बेहद खास होगा, जिसकी एक वजह मंदिर में होने वाला सूर्य तिलक भी है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर सूर्य तिलक होता क्या है और रामलला को सूर्य तिलक कब और किस समय किया जाएगा।

रामनवमी के दिन भव्य मंदिर में श्रीरामलला के दिव्य दर्शन रात्रि 11 बजे तक हो सकेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चम्पत राय ने इस संबंध में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि श्रीराम नवमी महोत्सव के दौरान मंगला आरती के पश्चात ब्रह्म मुहूर्त में अति प्रातः 3:30 बजे से अभिषेक, श्रंगार एवं दर्शन साथ-साथ चलते रहेंगे। 

श्रंगार आरती प्रातः 5:00 बजे होगी, श्री रामलला का दर्शन एवं सभी पूजा-विधि यथावत साथ-साथ चलती रहेंगी। भगवान को भोग लगाने के लिए समय-समय पर अल्प-काल को पर्दा रहेगा। रात्रि 11:00 बजे तक दर्शन का क्रम पूर्ववत चलता रहेगा, तत्पश्चात परिस्थिति अनुसार भोग एवं शयन आरती होगी।

कब और कैसे होगा सूर्य तिलक

मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि तैयारी पूरी चल रही है। रामनवमी पर चार मिनट तक रामलला का सूर्य तिलक होगा। इसके लिए राममंदिर में उपकरण लगाए जा रहे हैं। बताया कि दिन में 12 बजे ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणें प्रभु रामलला के ललाट पर डाली जाएगीं।

मंदिर के भूतल पर दो दर्पण और एक लेंस लगाया जा चुका है। सूर्य की रोशनी दूसरे तल पर लगे तीन लेंस और 2 दर्पणों से होते हुए भूतल पर लगाए गए आखिरी दर्पण पर पड़ेगी। इससे परावर्तित होने वाली किरणों से मस्तक पर तिलक बनेगा। यह सूर्य अभिषेक 75 मिमी. का होगा। रविवार रात रामलला के शयन के बाद वैज्ञानिकों ने इसका ट्रायल भी किया।

सूर्य तिलक का महत्व

भगवान राम का जन्म सूर्य वंश में हुआ था और उनके कुल देवता सू्र्यदेव हैं। साथ ही भगवान राम का जन्म मध्य काल में अभिजीत मुहूर्त में हुआ था, तब सूर्य अपने पूर्ण प्रभाव में थे। भारतीय धर्म दर्शन में बताया गया है कि उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने, दर्शन व पूजा करने से बल, तेज व आरोग्य की प्राप्ति होती है और कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत रहती है। 

विशेष दिनों में जब सूर्यदेव की पूजा की जाती है, तब दोपहर के समय में ही होती है क्योंकि तब सूर्यदेव अपने पूर्ण प्रभाव में होते हैं। अयोध्या के मंदिर में रामलला के मस्तक पर भेजने के लिए सूर्य तिलक तंत्र का प्रयोग किया जाएगा। इस तंत्र का प्रयोग हर साल राम नवमी के दिन ही किया जाएगा।

40 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान

इस साल राम नवमी पर अयोध्या में करीब 40 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। मंदिर ट्रस्‍ट के मुताबिक 15 अप्रैल से 17 अप्रैल तक रोजाना प्रभु रामलला 20 घंटे तक श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। 4 घंटे के लिए भोग, शृंगार व आरती के समय मंदिर में पर्दा गिरा रहेगा। इस दौरान आम जन के लिए दर्शन बंद रहेगा।

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