जम्मू-कश्मीर में होने जा रहे यह तीन बड़े बदलाव।

लोकसभा चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर में तीन बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। केंद्र सरकार, सेना और स्थानीय प्रशासन स्तर पर तैयारी शुरू हो चुकी है।

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लोकसभा चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर में तीन बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। केंद्र सरकार, सेना और स्थानीय प्रशासन स्तर पर तैयारी शुरू हो चुकी है। पहला बदलाव राज्य से आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) हटाकर होगा। बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसके संकेत दिए थे।

दूसरा, जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा। जमीनी स्तर पर इसकी रणनीति बन गई है। तीसरा, 30 सितंबर के पहले राज्य में विधानसभा चुनाव कराना। यानी सरकार की कमान स्थानीय लोगों के हाथ आ जाएगी।

सबसे ज्यादा फोकस AFSPA हटाने पर है। इसके लिए सेना राज्य सशस्त्र पुलिस को एंटी टेरर ऑपरेशन्स के लिए तैयार कर रही है। पुलिस के 1100 इंस्पेक्टरों को डोडा के बार्ला में सेना के बैटल स्कूल में ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्हें सेना की तरह खुफिया सूचनाओं का विश्लेषण, उन्हें साझा करने और इलाकों की घेराबंदी करना सिखाया जा रहा है।

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पुलिस भरोसा जीत रही, इसलिए उन्हें जिम्मेदारी देने की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार का जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा इसलिए बढ़ा, क्योंकि वो सेना के साथ कई ऑपरेशन में साथ काम कर रही है। बहादुरी के लिए मिलने वाले कीर्ति और शौर्य चक्र पुलिसकर्मी हासिल कर रहे हैं। एक साल में 80 पुलिसकर्मियों को शौर्य पदक मिले हैं। जबकि प्रदेश स्तर पर 424 पुलिसकर्मियों को एंटी टेरर ऑपरेशन के लिए सम्मान मिल चुका है।

सेना की जगह राष्ट्रीय राइफल्स की तैनाती संभव

सूत्रों के मुताबिक, AFSPA हटने के बाद राज्य में सेना की जगह राष्ट्रीय राइफल्स की 4-4 कंपनियां रखी जा सकती हैं। राष्ट्रीय राइफल्स सेना से प्रतिनियुक्ति के आधार पर गठित हैं। इसमें 63 बटालियन हैं। इन्हें 100 से 150 सैनिकों की 4-4 कंपनियों में तैनात किया जा सकता है। यहां तैनात सेना के सवा लाख जवानों को पाक-चीन बॉर्डर शिफ्ट किया जा सकता है।

शाह ने कहा था- जम्मू-कश्मीर से AFSPA हटाने पर विचार करेंगे

अमित शाह ने 27 मार्च को एक मीडिया ग्रुप को दिए इंटरव्यू में कहा था कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) हटाने पर विचार करेंगे। वहां मौजूद जवानों को वापस बुलाने का भी प्लान बनाया जा रहा है।

शाह ने कहा कि सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी अब पुलिस को सौंपने की तैयारी है। पहले वहां की पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता था, लेकिन अब पुलिस बड़े ऑपरेशन लीड कर रही है।

क्या है AFSPA?

AFSPA को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है।

पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में AFSPA लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।

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