भारतीय नौसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए पिछले कई दशकों से प्रोजेक्ट-75आई के लिए पनडुब्बियों की तलाश कर रही है। इस प्रोजेक्ट में लगातार हो रही देरी ने भारतीय नौसेना की परेशानी को बढ़ा दिया है। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत ₹43,000 करोड़ से अधिक है। वर्तमान में इस परियोजना के लिए सिर्फ दो उम्मीदवार बचे हैं।
इनमें से एक जर्मनी की पनडु्ब्बी निर्माता टीकेएमएस (थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स) है और दूसरी स्पेन की नवंतिया है। भारतीय नौसेना ने दोनों देशों की ऑफर की गई पनडुब्बियों का मूल्यांकन किया है। संभावना है कि भारतीय नौसेना पनडुब्बियों के लिए जर्मनी की टीकेएमएस (थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स) को चुन सकती है।
भारतीय नौसेना की एक टीम ने मार्च में जर्मनी की टीकेएमएस का दौरा किया और फील्ड मूल्यांकन परीक्षण (एफईटी) किया। इसके बाद कई स्रोतों ने पुष्टि की है कि टीकेएमएस की पनडुब्बी ने निर्धारित सभी मानकों को पूरा किया है।
यह भी जानकारी मिली है कि स्पेन की नवंतिया कंपनी के साथ पनडुब्बी पर वार्ता जून से पहले पूरी कर लेगी। इस बीच खबर आई है कि जर्मन सरकार पनडुब्बी निर्माता टीकेएमएस (थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स) में हिस्सेदारी ले सकती है और इस पर चर्चा चल रही है।
भारत को पनडुब्बी बेचने को तैयार बैठा जर्मनी
टीकेएमएस में हिस्सेदारी लेने का जर्मन सरकार का कदम पनडुब्बी व्यवसाय की व्यवहार्यता के बारे में अपने हितधारकों को समझाने की कंपनी की इच्छा के अनुरूप है। सूत्रों ने कहा कि अगर जर्मन कंपनी के साथ डील होती है तो इसे गवर्मेंट टू गवर्मेंट डील के तहत लाया जाएगा। हालांकि, टीकेएमएस शुरू में भारतीय नौसेना के P-75I के लिए बोली लगाने का इच्छुक नहीं था।
इसका प्रमुख कारण अनुबंध के दायरे और इसकी जटिलता थी, लेकिन बाद में जर्मन सरकार ने इस कंपनी को बोली लगाने के लिए मना लिया। सूत्रों ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध और यूरोप के सुरक्षा दृष्टिकोण में बदलाव ने भी बड़े पैमाने पर रक्षा सहयोग बढ़ाने में जर्मन सरकार की रुचि में योगदान दिया।
भारत को कौन सी पनडुब्बी बेचना चाहता है जर्मनी
टीकेएमएस में हिस्सेदारी लेने का जर्मन सरकार का कदम कंपनी के हित के अनुरूप है और इससे उसके शेयरधारकों का विश्वास मजबूत होगा। ऐसा पता चला है कि P-75I के लिए TKMS द्वारा पेश किया गया डिज़ाइन इसकी अत्यधिक सफल क्लास 214 पनडुब्बी के साथ-साथ क्लास 212CD पर आधारित है, जिसमें पनडुब्बी में न्यूनतम रडार क्रॉस-सेक्शन के लिए कोणीय डिजाइन शामिल है। इस बीच, जानकार सूत्रों ने बताया कि टीकेएमएस के भारतीय साझेदार मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने पनडुब्बी डिजाइन के पहले चरण पर काम शुरू कर दिया है।
स्वदेशी सामग्री की शर्त कठिन
नौसेना द्वारा जारी प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) में विशिष्टताओं का विवरण देते हुए कहा गया है कि पहली पनडुब्बी में 45% स्वदेशी सामग्री (आईसी) होनी चाहिए जो छठी और आखिरी पनडुब्बी के लिए 60% तक होनी चाहिए। अंतिम डिजाइन टीकेएमएस और एमडीएल द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
एक सूत्र ने कहा, “एमडीएल पहली पनडुब्बी से ही 60% स्वदेशी सामग्री इस्तेमाल करने में सक्षम होगा और भारत के पास इसका डिजाइन होगा जो इसे बाद के चरण में भी इच्छानुसार स्वदेशी उपकरणों का एकीकरण करने में सक्षम बनाता है।”
जर्मनी और स्पेन ही दावेदार
सौदा आगे बढ़ने पर एक बड़े फैसले में, जर्मनी ने अप्रैल की शुरुआत में भारत को छोटे हथियारों का लाइसेंस दिया। हालांकि, जर्मनी ने लाइसेंस निर्यात पर प्रतिबंध को देखते हुए एक महत्वपूर्ण अपवाद के रूप में भारत को यह सुविधा दी है।
प्रोजेक्ट 75आई के लिए केवल जर्मनी और स्पेन ने सौदे के लिए बोलियां प्रस्तुत कीं, जिसकी समय सीमा जुलाई 2023 में समाप्त होने से पहले कई बार बढ़ाई गई। यह सौदा रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया के रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है।
स्पेन की नवंतिया ने इस पनडुब्बी का दिया है ऑफर
लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) और एमडीएल दो भारतीय शिपयार्ड हैं जिन्हें महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ भारत में छह उन्नत पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए विदेशी पनडुब्बी निर्माताओं के साथ साझेदारी करने के लिए चुना गया है। टीकेएमएस ने एमडीएल को चुना है, जबकि स्पेन की नवंतिया ने लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को अपना साझेदार बनाया है।
नवंतिया ने अपने S80 क्लास पर आधारित एक पनडुब्बी की पेशकश की है, जिसमें से पहली 2021 में लॉन्च की गई थी और पिछले नवंबर में S-81 ‘आइजैक पेरल’ के रूप में स्पेनिश नौसेना में शामिल की गई थी, जबकि L&T पनडुब्बियों के निर्माण के लिए जिम्मेदार होगी। नवंतिया में स्पेनिश सरकार की हिस्सेदारी है।
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