भारत की 26/11 प्रतिक्रिया बनाम इजराइल का आतंकवाद पर युद्ध

भारत और इजरायल दोनों ही आतंकवादी हमलों से प्रभावित रहे हैं, लेकिन उनकी आतंकवाद के खिलाउ प्रतिक्रियाओं और रणनीतियों में महत्वपूर्ण अंतर है।

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Source- TheQuint

26/11 के मुंबई हमलों और इजरायल के आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के बीच तुलना करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। दोनों ही देश आतंकवादी हमलों से प्रभावित रहे हैं, लेकिन उनकी प्रतिक्रियाओं और रणनीतियों में महत्वपूर्ण अंतर है। यह लेख इन दोनों परिदृश्यों की गहराई से पड़ताल करेगा, भारत की 26/11 पर प्रतिक्रिया और इजरायल का आतंकवाद पर युद्ध की नीतियों की तुलना करेगा, और उनके प्रभावों को समझेगा।

26/11 के हमले और भारत की प्रतिक्रिया

26 नवंबर 2008 को, मुंबई में दस लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आतंकवादियों ने विभिन्न स्थानों पर हमला किया, जिसमें ताज महल होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, नरीमन हाउस और लियोपोल्ड कैफे शामिल थे। इन हमलों में 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। यह घटना भारतीय सुरक्षा तंत्र की कमियों को उजागर करती है और सरकार को अपने आतंकवाद विरोधी नीतियों में सुधार करने के लिए मजबूर करती है।

भारत की प्रतिक्रिया में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) को तैनात करना शामिल था, जिन्होंने लगभग 60 घंटे तक चले ऑपरेशन के दौरान आतंकवादियों को निष्क्रिय किया। इस ऑपरेशन के दौरान नौ आतंकवादी मारे गए और एकमात्र जीवित आतंकवादी, अजमल कसाब, को गिरफ्तार किया गया। कसाब को 2012 में फांसी दी गई। हमलों के बाद, भारत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की स्थापना की और तटीय सुरक्षा को मजबूत किया।

इजरायल का आतंकवाद पर युद्ध

इजरायल ने दशकों से आतंकवाद का सामना किया है, विशेष रूप से हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों से। इजरायल की आतंकवाद विरोधी नीति में तीव्र और निर्णायक सैन्य कार्रवाइयां शामिल हैं, जिन्हें अक्सर ‘रिटालिएटरी स्ट्राइक्स’ के रूप में जाना जाता है। इजरायल की नीति का लक्ष्य त्वरित और कठोर सैन्य जवाब देकर आतंकवादी समूहों की क्षमता को कमजोर करना है।

इजरायल की रणनीति में प्रमुख तत्वों में इंटेलिजेंस नेटवर्क, विशेष बलों का उपयोग, और सीमा पार ऑपरेशन शामिल हैं। इजरायल की सैन्य कार्रवाई अक्सर आक्रमक होती है, जिसमें हवाई हमले, जमीनी हमले और लक्षित हत्याएं शामिल होती हैं। यह रणनीति आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को कड़ा संदेश देती है कि किसी भी हमले का गंभीर परिणाम होगा।

भारत और इजरायल की प्रतिक्रियाओं की तुलना

1. सैन्य रणनीति और कार्रवाई:

भारत ने 26/11 के बाद त्वरित और प्रभावी ऑपरेशन किया, लेकिन इसकी प्रतिक्रिया मुख्यतः रक्षात्मक थी। NSG कमांडो की तैनाती और कसाब की गिरफ्तारी ने भारत की क्षमता को दर्शाया, लेकिन इसकी प्रतिक्रिया आंतरिक सुरक्षा पर अधिक केंद्रित थी। इसके विपरीत, इजरायल की रणनीति आक्रामक और प्रतिशोधी है, जिसमें आतंकवादियों और उनके ठिकानों पर सीधे हमले शामिल हैं।

2. कूटनीतिक पहल:

भारत ने पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने की कोशिश की, जिससे सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन प्राप्त हो सके। भारत की कूटनीति में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों का उपयोग शामिल था। इजरायल, हालांकि, अक्सर एकतरफा कार्रवाई करता है और अपनी सुरक्षा के लिए कूटनीतिक समर्थन से अधिक सैन्य क्षमता पर निर्भर रहता है। इजरायल की कूटनीति का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी समर्थन पर आधारित है, जो उसके सैन्य अभियानों को वैधता और समर्थन प्रदान करता है।

3. आंतरिक सुधार:

26/11 के बाद, भारत ने अपने आंतरिक सुरक्षा ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार किए। NIA की स्थापना, तटीय सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण, और खुफिया तंत्र में सुधार इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इजरायल में, आंतरिक सुरक्षा सुधार लगातार होते रहते हैं और उनकी खुफिया एजेंसियां, जैसे मोसाद और शिन बेट, दुनिया की सबसे कुशल एजेंसियों में से एक मानी जाती हैं।

4. सार्वजनिक और राजनीतिक दबाव:

भारत में 26/11 के बाद जनता और राजनीतिक नेताओं ने त्वरित न्याय और सुधार की मांग की। यह दबाव सरकार को सुरक्षा उपायों को तेजी से लागू करने के लिए प्रेरित करता है। इजराइल में, जनता और राजनीति का दबाव अक्सर सैन्य कार्रवाई के पक्ष में होता है, जिससे सरकार को तेजी से और निर्णायक रूप से कार्रवाई करने के लिए समर्थन मिलता है।

5. अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और समर्थन:

भारत की प्रतिक्रिया ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान सीमा पार आतंकवाद की ओर आकर्षित किया और पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया। इजरायल की कार्रवाइयाँ, हालांकि, अक्सर विवादित होती हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विभाजन पैदा करती हैं। अमेरिकी समर्थन के बावजूद, इजराइल को यूरोप और अन्य देशों से आलोचना का सामना करना पड़ता है।

निष्कर्ष

भारत की 26/11 के हमलों के प्रति प्रतिक्रिया और इजरायल की आतंकवाद विरोधी नीतियों के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। भारत की प्रतिक्रिया रक्षात्मक और कूटनीतिक थी, जिसमें आंतरिक सुधारों पर जोर दिया गया। इसके विपरीत, इजरायल की नीति आक्रामक और प्रतिशोधात्मक है, जिसमें सैन्य क्षमता और त्वरित कार्रवाई पर जोर दिया गया।

दोनों दृष्टिकोणों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। भारत की रणनीति ने अंतरराष्ट्रीय समर्थन और दीर्घकालिक स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि इजराइल की रणनीति ने त्वरित निवारण और सुरक्षा पर जोर दिया। दोनों ही देशों के अनुभव आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण सबक प्रदान करते हैं और यह समझने में मदद करते हैं कि आतंकवाद का सामना कैसे किया जा सकता है।

इस प्रकार, भारत और इजरायल की आतंकवाद के खिलाफ रणनीतियां भिन्न हो सकती हैं, लेकिन उनका उद्देश्य समान है-अपने नागरिकों की सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करना। भविष्य में, दोनों देशों को एक दूसरे से सीखना जारी रखना चाहिए और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को मजबूत करना चाहिए।

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